VOICE OF HULGULANLAND AGAINST GLOBLISATION AND COMMUNAL FACISM. OUR LAND SLOGAN BIRBURU OTE HASAA GARA BEAA ABUA ABUA. LAND'FORESTAND WATER IS OURS.
Thursday, March 31, 2011
सरहुल एक पर्व-त्योहार मात्र नहीं है, बल्कि झारखंड के गैरवशाली प्राकृतिक धरोहर का नाम है सरहुल।-PART-1
सरहुल एक पर्व-त्योहार मात्र नहीं है, बल्कि झारखंड के गैरवशाली प्राकृतिक धरोहर का नाम है सरहुल। यही धरोहर मानव-सभ्यता, संस्कृति एवं पर्यावरण का रीढ़ भी है। आदिवासी समाज इंद्रधानुषी आकाश के नीचे प्राकृतिक छटटा की रंगस्थली में निवास करता है। लहरदार पृष्ट भूमि में विभिन्न रंग विरंगे पतों, पक्षियों-जानवरों से भरे जंगल-पहाड़, नही-घाटियों के गोद में बसे हैं आदिवासीयों की बस्तियां । चटटानों-पहाड़ों की ढ़लान में उछलते-कुददतें, -क्षरने, आकाश में घिरे बादल, बादलों का आनंद लेते पंख फैलाए-नाचते मोर, आम मंजरियों का आंनंद लेते भैंरों की टोली, आदिवासी समाज को जीने की कला सिखलाता है। जंगल के लार-झार, पेड़-पैधों पर सुगबुगाये लाल-हरे कोपलें, मंजरियों से ढ़के आम-आमड़ो के पेड़, सफेद दुधिया फूलों से सजे-कांटों भरे ढेलकाटों की झाड़ चिलचिलाती धूप से तपती धरती एवं आकाश में मंडराते बादल, कड़कते बिजली की कौंध के साथ मुसलाधार बारिस प्राकृतिकमूलक समाज में जीवन संघर्ष एवं जीने की नयी चेतनाएं भरता है। यही आदिवासी समाज के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक राजनीतिक जीवन दर्शन का मुलाधार भी है।
एक ओर लाल-हरे तिरिल, तरोब, मदुकम, बारू औरसरजोम(साल) सुड़ा नये पते, दुधिया-सफेद फूलों से लदे साल बृक्षों और आम मंजरियों के मधीम-मधिम खुशबु से मदहोश बयार, फुदकते चिडि़यों के चहचहाहट और कोयल की मधुर कुक झारखंड के शान- सम्पनता एवं अपराजित सांस्कृति का बोध कराता है। वहीं दुसरी ओर पते-विहीन लाल पलाश फुल झारखंडी आदिवासी समाजिक विरासत पर हो रहे पूंजीवादी व्यवस्था एवं वैश्वीकरण के हमलों का अहसास दिला रहा है। यही नहीं झाडियों में खिले नन्हें लाल इचआ(धवाई) फुल वतैवाम साम्राज्यवादी -फासीवादी शत्कियों के खिलाफ संघर्ष का अहवान कर रहा है ताकि द्धिदू-कान्हू, सिंदराय-बिंदराय, फूलो-झानो, बिरसा मुडा, माकी देवमानी केअबुआ हातु,अबुआ रार्रज की स्थापना की जा सके। वैश्वीकरण के इस दौर में कथित विकास की अवधारणा ने सरहुल फूल पर हमला बोल दिया है। आदिवासियों के विरासत जल-जंगल-जमीन आबाद करने का अपना इतिहास रहा है। मोहन जोदडों और हड़प्पा के सभ्यता- सांस्कृति से लेकर छोटानागपुर-संथाल परगना (झारखंड) तक जंगल-जमीन आबाद करने, उजाड़े-खदेड़ जाने का संघर्षपुर्ण इतिहास रहा है। जिस प्राकृतिक धरोहर को आदिवासियों ने आबाद किया यह इस समुदाय का खूंट-कटी समुदायिक विरासत माना गया। देश के लिस भी हिस्से में आदिवासी बसते गये, इनके द्वारा आबाइ इलाकों में मुगलों, आर्यों एवं अंग्रेलों का क्रम से आना जारी रहा। इतिहास गवाह है 1700-1900 के दशक में अंग्रेज शोषक-शशको, जमींदारों, ईजारेदारों द्वारा आदिवासियों के हाथों से जल-जंगल-जमीन की लूट का दामन चक्र से समूचा झारखण्ड जलता रहा।
आदिवासी समाज के सामुदायिक विरासत को इनके हाथ से छीन करअंग्रेजी हुकूमत ने व्यत्किगत सम्पति बना दिया। देश के जिस भी क्षेत्र में बाहरी शत्कियों ने आदिवासी समाज पर हावी हुआ, आदिवासियों ने प्रतिवाद आंदोलन चलाया। इस संघर्ष को आज भी आदिवासी समाज बसंत ऋतु तथा सरहुज त्योहार में गाता है-जदुर राग
ससंग हातु हाले -सासंग हातु
हगिया- बोया को मपा तना
ससंग हातु हाले-ससंग हातु
कुमाया-गेडेया किन तुपुइं तना
हगिया-बोया को मापा तना
ओते सोबेन दुदुगर जना
कुमया-गेडेयो को तुपुइं तना
सिरिमा सोबेन कोहाडी जना।
इचा बहा सहर तेका तुपुइं तना
ओते सोबेन दुदुगर जना
मुरूद बहा कापी तेको मापा तना
सिरिमा सोबेन कोहाडी जाना।
हिन्दी-हल्दी घाटी मैदान में अंग्रेज सैनिकों के साथ मामा और भागीना दोनों लड़ रहे हैं। दोनों अंग्रज सैनिकों के गोलियों का जवाब इचआ-जंगली फूल के चियारी तथा पला’ा फूल के तलवार से दे रहे हैं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
शुभागमन...!
ReplyDeleteकामना है कि आप ब्लागलेखन के इस क्षेत्र में अधिकतम उंचाईयां हासिल कर सकें । अपने इस प्रयास में सफलता के लिये आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या उसी अनुपात में बढ सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको 'नजरिया' ब्लाग की लिंक नीचे दे रहा हूँ, किसी भी नये हिन्दीभाषी ब्लागर्स के लिये इस ब्लाग पर आपको जितनी अधिक व प्रमाणिक जानकारी इसके अब तक के लेखों में एक ही स्थान पर मिल सकती है उतनी अन्यत्र शायद कहीं नहीं । प्रमाण के लिये आप नीचे की लिंक पर मौजूद इस ब्लाग के दि. 18-2-2011 को प्रकाशित आलेख "नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव" का माउस क्लिक द्वारा चटका लगाकर अवलोकन अवश्य करें, इसपर अपनी टिप्पणीरुपी राय भी दें और आगे भी स्वयं के ब्लाग के लिये उपयोगी अन्य जानकारियों के लिये इसे फालो भी करें । आपको निश्चय ही अच्छे परिणाम मिलेंगे । पुनः शुभकामनाओं सहित...
नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव.
ये पत्नियां !