
फिनलैंड के सामी समूदाय जो जीवन प्रकृति से जुडा है इसपर चर्चा करते कहते हैं- मच्छुवारा समूदय तीन माह लगातार सोता हैऔर तीन माह जागता है। बताते हैंउत्तरी फिनलैंड में गरमी के समय तीनमाह तक सूरज डूबता नहीं है तथा ठंडके दिन में तीन माह तक अंधेरा रहताहै। कहा जाता है कि मच्छुआरे रात मेंही मच्छली मारने का काम करते हैंदिन को नहीं। 21 अप्रैल से 27 अप्रैलतक हेलसिंकी में शोशल फोरम काआयोजन किया गया। इसमें कई देशोंके प्रतिनिधियों ने भाग लिया। एकदिन में 8 से 10 विषयों पर सेमिनारसंपन्न होता था। इनमें से मूल रूप सेजंगल विधायक, खदान-विस्थापन, जीवोलोजिकल डेब्ट, आदिवासीसमाज तथा जंगल] यूरेनियम खदानतथा रेडियेसन ]यूरेनियम खदान तथान्यूक्लीयर पावर प्लांट चर्चा के मुख्यामुददा रहे। यूरेनियम सेमिनार मेंरेडियेसन का मुददा गरम रहा। सभीप्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र मेंरेडियेसन से स्वास्थ्य तथा पर्यावरणपर हो रहे कुप्रभाव पर प्रकाश डालतेहुए जोर दिये कि अब हमें-ओरयूरेनिमय खदान नहीं चाहिए न हीन्यूक्लियर पावर प्लांट चाहिए।जीवोलोजिकल डेब्ट, आदिवासी तथाजंगल, आदिवासी तथा खदान,तथाविस्थापन विषय पर चले सेमिनार मेंप्रतिनिधियों ने जोर दिया किआदिवासियों की सामाजिक, आर्थिकतथा सास्कृतिक व्यवस्था जंगल, नदी, पानी, जमीन पर टिका होता है।जब खदान खोदा जाता है, जंगलकाटा जाता है, जमीन पर करखानाबनया जाता है तब वे समाज से, सास्कृति से और प्रकृति प्रदतआर्थव्यवस्था से उजड़ जाते हैं।इसलिए इन्हें नष्ट करने वालीयोजनाओं का विरोध करना चाहिए।खदान-विस्थापन पर चर्चा करते हुूएयह भी सवाल उठा कि-फिनलैंड भारतके छतिसगढ के दो खदानों में फिनिसमशीन भेज कर खादान में काम करवारहा है, इससे वहां के मजदूरों कोरोजगार से बंचित किया जा रहा है।अप्रैल को हेलसिंकी के ओल्डस्टुडेन्ट हाउस में यूरेनियम खदान, विस्थापन, जंगल-जमीन विस्थापनपर बड़ी सभी की गयी। इस सभा मेंमुख्य सचिव ट्रेड एण्ड माइनिंगहेलसिंकी, सिमेनप्पू के सदस्य, उत्तरीकेरेलियन में यूरेनियम खदान केखिलाफ चल रहे आंदोलन के सदस्य, प्रकृति और पर्यावणर संरक्षणएशोसियेशन पूर्वी उसामी के सदस्य, सीटीजन फाॅर जसटिसफाॅरम-मलावी तथा फा्रंस केप्रतिनिधि, ओस्ट्रिया तथा जर्मनी केप्रतिनिधि एवं फिनलैंड के विभिन्नक्षेत्र से आये प्रतिनिधियों ने भागलिया। 26
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