Friday, March 11, 2011

बुनकर समिति के हाथों बुना कपड़ा आज देश बिदेश में अपना पहचान बना चुका है।PART -1

SUT KA LACHHA BANATA BUNKAR...SWADESH ANDOLAN KA GAOURAWSHALI PARAMPARA...GLOBLIZATION KE KHILAPH SANGHARSH KARTE BUNKAR
खूंटी जिलामूख्यालय से पांच किमी दूर सेनेगुटू मौजा में जिला के कई गांवों के परंपरागत कपड़ा बूनकर, समिति बना कर कई असुविधाओं के बीच अपनी परंपारिक हस्तकला को विकसीत करने में जुटे हैंं। जिप्सूडीह बुनकर समिति के हाथों बुना कपड़ा आज देश बिदेश में अपना पहचान बना चुका है। राज्य के कई बड़े बड़े संस्थानों में इनके बने कपड़ो पर उंकेरा डिजाईन हर आंखो को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। दिन में सूर्य की प्रकाश में बुनकर अपनी कला को निखारते है, और रात को डिबारी बत्ती की रौशनी में अपनी कला को लूम के कच्चे धगे में उतारते हैं। एक ओर इनके बूने कपड़े हेंडीक्रप्ट तथा परंपरागत कस्तकारी को बिशेष पहचान दिया है, वहीं दूसरी ओर इन बुनकरों की बस्ती अंधकार में डुबा हुआ है। बिहार सरकार द्वारा बनाये इंदिरा आवास में रह रहे इन बुनकरों को आज भी राशन कार्ड, लाल कार्ड, पीला कार्ड्र कुछ भी नहीं मिला है। जबकि तीन सौ गज में टोडांगकेल गांव तक बिजली पहुचा है। झारखंड सरकार ने इस कुटीर उद्वोग पर आज तक किसी तरह की रूचि नहीं दिखाई, न ही राज्य के मंत्री, नेता-विधायक, सांसदों ने इन बुनकरों की सुधी ली।

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