Wednesday, October 26, 2011

Thursday, October 20, 2011

People in Saranda do not need roads but rights over jal, jangal, jamin

People in Saranda do not need roads but rights over jal, jangal, jamin

What the Adivasi people in Saranda villages need is not so much roads but restoration of their rights over their land, forest and minerals. The historical emergence of naxalism in this area is precisely because of the deprivation of these rights. Lot of news paper publicity is being given to the central & state govts allotting Rs. 2183 crore to construct 6,500 km roads that will connect the state’s villages. For whom are these roads really meant? They are mainly meant for the use of govt, police, military and businessmen’s vehicles so they can reach the villages easier and faster. Their intention will not be to serve the people but to control and exploit them. Ordinary villagers actually do not need these roads because there are no functional schools to take their children to nor are there functional health facilities to take their sick persons to.

Instead of this expensive circus, the govt should recognize the Adivasis people’s traditional rights over jal, jangal, jamin and provide irrigation & drinking water facilities, provide functional schools for their children and functional health facilities for their sick.

Stan Swamy २० अक्टूबर .2011

Tuesday, October 18, 2011

आप सभी शुभ चिन्तक ..भी सोचें की ...आखिर हम झारखण्ड को..आदिवासी..मूलवासी..किसान..समाज को कंहा ले जाना चाहते हैं..और इनको कौन सा दिशा देना चाहते हैं..?



आदिवासी समाज के बधिजिवियों, चिंतकों, जनसंगठनो के ....लिए एक सबक
साथियों आदिवासी अस्तित्व रक्षा मंच का गठन..२००६ में उस समय किया गया..जब झारखण्ड बिधान सभा और लोक सभा सीट को चुनाव आयोग द्वारा delimitation karne की कोशिश की जा रही थी. तब झारखण्ड के कई जानसगठन , लोकतंत्र पर बिश्वास करने वाले राजनीति पार्टी , सामाजिक संगठन, सामाजिक कार्यकर्ताओं को बुला कर रांची के एच .पी .डी सी में बुलाया गया था...चुनाव आयोग झारखण्ड के २८ अरक्षित सीट को घटा कर २१ और ४ आरक्षित सीट को घटा कर ३ करने का घोषणा किया था..इसको रोकने के लिए ..आदवासी अस्तित्व रक्षा मंच का गठन किया गया था. और चुनाव आयोग द्वारा घोषित नीति के खिलाफ संघर्ष भी किये..जब मित्तल कंपनी..खूंटी जिला के तोरपा, रनिया और गुमला जिला के कामडारा प्रखंड के गाँव का जमीन स्टील प्लांट के लिए अधिग्रहण करना चाहा तब..आदिवासी अस्तितत्व रक्षा मंच के बेनर से ..सर्ब्सह्मती से ..बिस्थापन के खिलाफ संघर्ष को बढाया गया..२००८ में. आन्दोलन के क्रम में महसूस किया गया की..बेन्नर का नाम आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच किया जाय..ताकि सभी..समुदाय के अस्तित्व का बोध हो सके. इस सोच के साथ ..सर्ब सहमती से ..जून २००८ में बेन्नर का नाम आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच रखा गया..बिदित हो की ..मंच का केंद्रीय कमिटी का गठन ..किया गया..प्रखंड में भी कमिटी बनी...पंचायत को भी जिमेवारी दे गयी..इसके पहले..२००६ से ही कंपनी के खिलाफ आन्दोलन शुरु किया गया..जमीन बचाव संगठन के बेन्नर से. केवल कर्रा प्रखंड .बाद में जब कंपनी तोरपा..रनिया और कामडारा इलेके का जमीन भी चिन्हित किया ..तब आन्दोलन को ..जमीन बचाव संघठन कर्रा के साथ मिल कर तोरपा, रनिया, कामडारा प्रखंड में दिन -रात मेहनत का बिस्तर किया गया. और आन्दोलन को मजबूती देने के लिए..सभी प्रखंडो को जोड़ दिया गया . इस तरह से आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच को खड़ा किया गया. ..झारखण्ड के सभी शुभ चिंतकों, जल जंगल जमीन, प्रकृति के पुजारियों, प्रयावरण के शुभ चिंतकों, झारखण्ड केभाषा संस्कृति के शुभ चिंतकों को आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच बधा ई देती है की..६ सालों से दिन-रात के प्रयास , आप सभों के सहयोग, प्यार, सेन्हे से ...आज तक ..इस इलाके को उजाड़ने ऩे..बचाया जा सकता है...और मंच..बचनबद है...नारा दिया है..हम किसी भी कीमत में अपने पूर्वजों का एक इंच जमीन नहीं देंगे...जंगल जमीन नदी पहाड़ गाँव समाज के साथ हम..भाषा-संस्कृति की रक्षा के लिए हम बचनबद हैं..
लेकिन..हमें दुःख भी है की..डी बी एस एस के सहयोग से..आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच -केन्द्रेय कमीटी का गठन कब किया गया..मंच के प्रबुद्ध..समर्पित..साथियों को..इसकी कोई जानकारी नहीं है..इसकी जानकारी..हम सभी साथियों को तब हुवा..जब हमारे हाथ में..१९ अक्टोबर २०११ को ..कामडारा के कूदा बगीचा में आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच..का सम्मलेन आयोजन ..करने ..का नोटिस है ..मुझे यह नोटिस ..१७ अक्टोबर को कोरको टोली गाँव में संगठन का मीटिंग में साथियों ऩे दिखाया..बताये..कल डी बी एस एस के स्टाफ आये थे..बोले..यह कार्यक्रम रखा गया है..इसमें आना है. साथियों ऩे सवाल भी किया..की आप डी बी एस एस के लोग उतना दिन कंहा थे..जब हम लोग दिन-रात संघर्ष कर रहे थे..मंच के साथियों..को जवाबमिला ..की दीदी को तो कई मीटिंग में..बुलाये लेकिन नहीं आती है..
मै इस बात को यंहा इस लिए रख रही हूँ..की ..हम एक तरफ आदिवासी समाज का रोना रोते हैं..एक साथ आने की बात करते है..संगठित होने का आह्वान करते हैं...लेकिन..हम..समाज के प्रति कितना बिस्वस्त हैं..?...यह सवाल...सबसे बड़ा सवाल है...मै ..नोटिस की कोपी..भी आब से सामनेरखना चाहती हूँ...तभी..आप सभी शुभ चिन्तक ..भी सोचें की ...आखिर हम झारखण्ड को..आदिवासी..मूलवासी..किसान..समाज को कंहा ले जाना चाहते हैं..और इनको कौन सा दिशा देना चाहते हैं..?????
यह सन्देश तब मै आप को लिख रही हूँ ...जब आज..१९ -१०-२-११ को कूदा मैदान में ..आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच का सम्मलेन के लिए ..मैदान में माइक अदि बंद रहे हैं..
जो सूचना जो..बंटा गया है..इसका मजमून ये है..

आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच के क्रन्तिकारी साथियों,
झारखंडी जोहर
आप सभो को सूचित किया जाता है की दिनांक १९-१०-११ बुधवार को ११ बजे दिन में कामडारा प्रखंड के कूड़ा बगीचा में बिराट आम सम्मलेन रहा गया है..इस बैठक में नीमिन बिसयों पर चर्चा कियाजायेगा..
१-बिस्थापन पुरंवास नीति २०११ पर
२-छेत्रिय समस्या पर
३०.सलहाकार समिति का बिस्तर..
४ .संगठन के मजबूती के संबंध में
५. अन्य
अत. सभी प्रखंड के क्रन्तिकारी साथियों से आग्रह है की अधिक से अधिक संख्या में आ कर इस सभा में समिल्लित हों
स्थान- कूदा बगीचा..
समय- ११ बजे दिन
दिन- बुधवार..

सचिव -शिवशरण मिस्र -आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच
केन्द्रीय कमिटी...
१३.१०.२०११

Sunday, October 16, 2011

मै अपने गली में जैसे ही पहुंची सामने इमली और सागवान के पेड़ से सूरज की किरने टकराते हुए मेरे आँख से टकरा रही हैं..

घडी का मिनट सुई..चार से सरकते हुए ९ पर आ गया है
हलकी ठंढ महसूस हो रही है
बहार अभी अंधकार पूरी तरह छटा नहीं है.
क्लब रोड में रांची रेलवे स्टेशन से आने वाले
कई यात्री रिक्सा से इस रोड से गुजर रहे हैं
मोर्निंग वक में जाने वाले एक-दो जवान
भी नजर आ रहे हैं
रोड में bhari ट्रक भी ख़ाली रास्ता पा कर
सरपट भाग रहा है
सुजाता चौक अभी सुनसान ही है
रांची क्लब बिल्डिंग के सामने एक
कुतिया मेरे सामने खड़ा होकर
हूँ हूँ हूँ कर रही है
मै पूछी क्या हुवा..बोलो ?
मुझे जवाब देती- इसके पहले ही
रोड के उस पर से ३-४ कुते आ धमके
मै और वो समझ पते तब तक
उन कुतों ऩे उस पर हमला बोल दिया
कुतिया..पूंछ नीचे झुकाए
भाग खड़ी हुई
मै उनकी और घूम कर केवल देख रही थी
की कंही कुते..उनको नोच ना लें
लेकिन कुतों ऩे ..उसे कटा नहीं
रहम किया और छोड़ दिया
आगे बस स्टैंड में २०-२५ यात्री खड़े हैं
लेकिन नहीं पता की ये कंहा कंहा जाने वाले हैं
अभी यंहा एक भी बस नहीं है
सभी अपना अपना गंतब्य के लिए इंतजार में हैं
यंही से..सिमडेगा..मनोहरपुर..चैबासा..गुमला..रुट
से लिए बसें निकलती है
ओवेर्ब्रिज़ में ४-५ ओटो मिनीडोर खड़ा
यात्रियों का इंतिजार कर रही है
रेलवे स्टेशन से आने वाले यात्री भी
यंही ओटो पकड़ते हैं
राजेंद्र चौक में एक दो यात्री खड़े हैं
कुछ लोग हाई कोर्ट की और से
पैदल आ रहे हैं..शहर के अधिकांश लोग
बी एम्म पी मैदान मोर्निंग वक के लिए आते हैं
महिला-पुरुष सभी पैदल चलते मिलेंगे
बी एम्म पी मैं गेट में सिर्फ दो ही संत्री हैं
हाई कोर्ट चौक पहुंचते ही झारखण्ड का
आह्साश होता है..की अब मै झारखण्ड के गाँव में हूँ
रात की गहरी नीद से koua. .मैना, गौरिया , तोता , गिलहरी,
सभी जग गए हैं
सभी एक साथ अपनी अपनी बात कह रहे हैं
कँव कँव ..जीं जी , गूं गूं ..पूरा वातावरण चिडियामय
हो गया है ..५ मिनट तक मै उन लोगों के बोलियों
गीतों और सुर में गोत्ता लगाते रही
हाई cort के ऊपर गोलाकार गुम्बंद में
दुधिया रंग की लाइट जल रही है
रोड में हलकी रौशनी है
अब सुबह का उजाला भी...
रोज एक बुजुर्ग के साथ एक काली
बिदेशी कुतिया भी मोर्निंग वक में आती है
और दिन दोनों अलग अलग चलते हैं
आज मालिक ऩे उनका गला का बेल्ट को थमा हुवा है
रांची शहर रोज नए नए पोस्टरों से सजता रहता है
कल तक सभी चौक चौराहों में दूसरा पोस्टर था
आज कंही जिंदल कम्पनी का, कंही इस्पात इंडस्ट्री का
कंही..आमिर खान का कंही..सोना-चाँदी का, कंही -नए दुल्हन-दुल्हिन का
बड़ा बड़ा पोस्टर आई जी ऑफिस के सामने..बी एम्म पी के दीवारों
पर सजा हुवा है
बन भवन के गेट में हरा बेन्नर लहर रहा है..लिखा है
बन प्राणी सप्ताह -२००११ , बन्य प्राणियों के सुरक्छा के लिए आप से सहयोग की आपील है
इसे देख मन..परेशासन है..एक ओर झारखण्ड सरकार
१०४ कंपनियों के साथ एमं वो यू कर ली है
पूरे झारखण्ड में खदान खोलने, कारखाना बनाने, डैम बनाने, शहर बसाने , बड़ा बड़ा मोल बनाने
और क्या क्या बनाने के लिए..
इसे झारखण्ड का बचा-खुचा पूरा जंगल उजाड़ जायेगा
खेत-खलिहान-नदी-नाला- गाँव सभी उड़ेंगे .
तब..बन बिभाग का यह बेन्नर ..किस काम का ?
मछली घर के गेट के बगल में काली मंदिर के
दरवाजा में कई लोग माथा टेक रहे हैं
वंही सामने देवेन्द्र माझी का आदम कद मूर्ति चुप-छाप
अकेला खड़ा है -जो झारखण्ड में सारंडा -कोल्हान इलाके
का जंगल बचाने की लड़ाई लड़ते .जंगल माफियाओं ऩे
गोलियों से भुन दिया गया..जो झारखण्ड के लिए सहीद हुवा
दो बचियाँ आगे आगे जा रही हैं..
रोड के किनारे जो भी कागज -कूट का
टुकड़ा पड़ा हुवा हैं..प्लास्टिक बोरा में भरते
जा रही हैं ..इनकी निगाह सिर्फ ..संकड़ के किनारे
फेंका ..कचडों के बीच पड़ा कागजों और
प्लास्टिक..सीसी.लोहा के टुकड़ों पर है
बोरा --इतना बड़ा हो गया है की दोनों बचियों
के कंचा के ऊपर सर तक आ गया है..याने
बचियों की लम्बाई से बोरा की लम्बाई बढ़ते जा रही है
सामने से रदी सामान खरीदने वाले
दो ठेला वाले आ रहे हैं बांये ओर से
दोनों बचियाँ बोये और सड़क पर कर
ठेला वाले से पूछ रही हैं,,कूट कैसे किलो लीजियेगा
ठेला वाला..५ रूपया में लेंगे ..
बच्ची ..६ रूपया में बेचते हैं हम लोग
ठेला वाला..५ रूपया में ही लेंगे
बच्ची -कूट ठेला में रख देती है
ठेला वाला मुस्कान के हाथ --५ रूपया का सिका रख दिया
मै भी उनके पास आ गयी थी..
वंही उनकी सहेली..मधु खड़ी थी..
शायद इनके पास ठेला वाला के पास बेचने जैसा सामान--
नहीं था..
मै दोनों बचियों से बात की..स्क्कूल जाती हो?
दोनों जवाब दी..नहीं..
डोरंडा से कडरु तक बने ओवेर्ब्रिज़ में कौए झुण्ड के झुण्ड
दाना चुग रहे हैं..रात को isi सड़क से कई गाड़ियाँ
गेंहू और चावल बोरियों में लाद करले जाती है
दाना बोरियों से गिर गया है
पूरा ओवेर्ब्रिज़ पर्यवार्निये जिवान्शैले से सिंगार किया गया है
सभी तरह के जंगली जानवर..पानी में रहने वाले जीवों
से ..आदिवासी..मूलवासी-किसानों के जीवन शैली पूरा ब्रिज में अंकित है
सामने शहर में बड़े बड़े मोल..बिग्ग बाज़ार..रांची का सबसे बड़ा ५ स्टार होटल
मैं रोड में वापस सुजाता चौक के पास कई
साईकिल में लादे कोयला बोरियों को
धकेल कर ले जाते लोग..बेचने के लिए..
सरकार और बिजली बोड कहते हैं..
कोयला की कमी के कारण ..बोकारो थर्मल
और तेनु घाट थर्मल पवार प्लांट , और पतरातू थर्मल पवार प्लांट
में -जितना बिजली उत्पादन का टार्गेट था
नहीं हो रहा है..
और ये जो बोरा में बेचने आये हैं इन्हें सरकार चोर
मानती है..पुलिस पकडती है इन्हें ..जेल भेजती है
लेकिन पूरा झारखण्ड का कोयला..पूरे देश में
नेता..मंत्री, अधिकारीयों और माफियाओं द्वारा भेजा जा
रहा है..ये चोर नहीं हैं..राज के लुटेरे नहीं हैं..
इस कोयला खदान से लाखो लोग बिस्थापित हो गए हैं..
आज ये बिस्थापित कंहा हैं..किस हाल में हैं
ना तो सरकार तो यह जानना चाहती है
और ना ही नेता, मंत्री ..
इसी लिए हम लोगों ऩे नारा दिया है..
अब और कोई बिस्थापन नहीं
अब हम अपने पुरजों की एक इंच जमीन नहीं देंगे
क्लब रोड में ठेला में चाय बेचने वाले चूल्हा जला रहे हैं
नगीना..ब्रिटिश लाइब्रेरी के गेट के बगल
गोस्सनर कॉलेज के सामने
चुला जला रहे हैं..
पत्नी..आलू छिल रही है
मेरा होटल का सटर भी उठ चूका है
अन्दर आदिवासी समाज के शुभ चिन्तक, लेखक, सामाजिक
कार्यकर्ता श्री अतवा मुंडा ट्रे में गुलाब जामुन मीठा
सजा रहा है
मै लाल चाय पीना चाही
एतवा बोला.बोहनी नहीं हुवा है..अन्दर..रस्वाई में
जा कर मिस्त्री लोगो के साथ पी सकते हैं
मै मिस्त्री लोगों के साथ चाय पीई
दीपावली आने वाला है..कौन कौन आप लोग घर जायेंगे
मै अपने होटल संभाल रहे साथियों से पूछी..
सिर्फ भोद्रो ऩे कहा ..हम २५ को जायेंगे ४_५ दिनों के लिए
मन में संतोष लगा..की काम चलता रहेगा
मै होटल से अपना घर के लिए निकली
सामने मेरा गली से एक लड़की साईकिल पर
आगे पेपर..पीछे पेपर --लेकर आ रही है
मैंने रोका..क्या नाम है बेटी
शोभा...पिता का नाम मोहन..
किस क्लास में पढ़ रही हो..रांची विमेंस कॉलेज में..फास्ट इयर में
मै गदगद हूँ..मै उनका पीठ केवल थाप् थापा सकी
मै अपने गली में जैसे ही पहुंची
सामने इमली और सागवान के
पेड़ से सूरज की किरने टकराते हुए
मेरे आँख से टकरा रही हैं..
चाँद अब पछिम दिशा में सरकता जा रहा है
सूरज ऩे चाँद को गुड आफ्टर नून किये
और चाँद ऩे सूरज को गुड मोर्निंग किये
मै अपने घर के दरवाजे में पहुची..
नेल्सन नहाने जा रहा है
लाली.-कुतिया .दरवाजे में बैठी है..
मैंने लाली को गुड मोर्निग बोली .
लाली
पूंछ हिला कर ..गुड मोर्निंग की

date..17 octo. 2011..time..10 am

अब हम सभों की जिम्मेवारी है की..डॉ. मुंडा जी के सपनों और अधूरे कामों को मिल कर पूरा करे...तभी..हम उन्हें सची स्राधांजलि दे सकते हैं..

डॉ रामदयाल मुंडा जी...झारखण्ड के भाषा-संस्कृति और इतिहास को बढ़ाने का काम किये..इन्होने झारंखंड के नायकों का इतिहास..बोध, आदिवासी चेतना को बिकसित करने का काम किये..इन्होने ऐसा काम किये शायद..किसी ऩे इस दिशा में सोचा भी नहीं था..है..इन्हों ऩे ..झारखण्ड के पहला आदिवासी नेता..जयपाल सिंह मुंडा, झारखण्ड में इतिहासकार डॉ. कुमार सुरेश सिंह और झारखण्ड के .निसवार्थ..से लैश और झारखण्ड की माटी की सुनाग्ध राजनीतिक चेतना से लैश .श्री निरल एनेम होरो..के नाम पर रांची शहर में पथल गाड़ी करने का योजना बनाये..इन तीनों के नाम पर खूंटी जिला के चलेगी में १८-१८ फिट का पथल कटवा कर रखे हैं..यह काम..इन्होने २०१० में ही किये हैं..मुंडा जी की पत्नी अमिता मुंडा ऩे बताई..की जयपाल सिंह मुंडा के नाम पर.पथल गाड़ी के लिए .रांची के जयपाल सिंह एस्ड़ेदियम में जगल भी चिन्हित कर दिये हैं. डॉ, कुमार सुरेश सिंह के नामपर ..डिपार्टमेंट में गाड़ने की योजना थी..श्री एनी होरोजी का ..कंहा तय किये थे..वो बता नहीं पाए..
इनके निधन के बाद जब मुंडा जी के नाम पथल गाड़ी करना हुवा..तब इसी में से एक को..उनके नाम पर कर दिया गया..इसलिए की समय बहुत काम था..अब हम सभों की जिम्मेवारी है की..डॉ. मुंडा जी के सपनों और अधूरे कामों को मिल कर पूरा करे...तभी..हम उन्हें सची स्राधांजलि दे सकते हैं..

Is itihasik...asthal..ke itihas ho ..age badhane ka Dr. Ramdayal Munda ne kiya..our..is itihasik..asthal me..sarkar se ..sahid Askarak..banwaye.



adivasiyon ke itihas me 9 june 1900 ka bisesh mahatwa hai...9 june ko munda adivasiyon ne ..Birsa Munda ke aguwai me angrejon ke khilaf dombari Buru me ..aar paar ki ladai lade the..sail rakab our dombari buru ek hi jagah hai..dono pahad ek dusre se sata huwa hai..yanha sail-sukam bahut adkhik the..is liye is pahad ko sail rakab kahte hain...
9 june 1900 ko angrej sainik Birsa Munda ko khojne Dombari Buru..pahunche...dombari Buru me Birsa Munda ke sath sangharsh karne wale..meeting kar rahe the...angrej sainikon ne..pahad ko gher liya tha..pahd ke niche se sainik banduk se goli chala rahe the...our andolankari adivasi..teer chala rahe the...
Is ladai me 1000 se adhik adivasi..mare gaye..isme mahila..bacha..purush sabhi samil the..Is ghatna ke bare..angrej saik ke kaptan stret field likhte hain...In sahidon me kai mahilayen bhi thi..purush our mahilayen dur se ek hi dikhte the..dono lamba lamba bal rakhe the...lash ke bich me ek bacha dikha, jo ek mrit mahila ka astan chush raha tha...Yas bahut hi dardnak ..drisya tha.
Is goli bari me adivasi..angrejon ke bandukon ka jawab teer-dhanush se de rahe the...angrejon ke goliyon ka samna adivasi..sina..chhti me goli kha kar rahe the..lekin angrejon ke samne ghutna nahi jhukaye...
Ise din..Birsa Munda ka dahina hath Gaya Munda ki patni Maki Munda..wanha pahunche..street fild jab unse pucha ki..koun ho..iske jawab me Maki..boli..tum kaoun hote ho jo..mere hi ghar me..ki mai koun hun...Maki Munda ek hath se bachha godi karke sambhali hui thi..ek hath se tanki..thame...angrej..kaptan..ka samna kar rahi thi...
Is itihasik...asthal..ke itihas ho ..age badhane ka Dr. Ramdayal Munda ne kiya..our..is itihasik..asthal me..sarkar se ..sahid Askarak..banwaye...pahad par chadhne ke liye rasta nahi tha..Dr. Munda ji ne rasta bhi banwaye.
Aaj..is shahid asthal par har..9 Janwari..our 9 june ko..log ..apna itihas ko yad karne ke liye aate hain...

Monday, October 3, 2011

Dr. Ramdayal Munda ji ke..BIKAS..ki parikalapna hai...Jharkhand ka bikas matlab...yanha ka bhasa.. Sanskriti...itihas...lok..sahitya...jagal..jamin..


Ranchi biswabidyalay..ke chhetriya bhasha bibhag me Adivasi Sankriti ke bikas ke liye Dr. Ramdayal Munda ji ne ...Karam ka ped...khud hi lagaye hain...sath hi Jharkhand ki Sanskritik birasat ..jangal-Sarna ko biksit karne ke liye Karam ped ke choron or sakhuwa ka ped laga diye hain.....ye Dr. Ramdayal Munda ji ke..BIKAS..ki parikalapna hai...Jharkhand ka bikas matlab...yanha ka
bhasa.. Sanskriti...itihas..sikcha ka bikas .lok..sahitya...jagal..jamin...nadi...pahad...gaon...samaj..ka BIKAS...ho...


1 october. 2011 ko ...Bhasha Bibhag ne antim...johar..kiya



ranchi biswabidyalay..ke chhetriya bhasha bibhag me Adivasi Sankriti ke bikas ke liye Dr. Ramdayal Munda ji ne ...Karam ka ped...khud hi lagaye hain...sath hi Jharkhand ki Sanskritik birasat ..jangal-Sarna ko biksit karne ke liye Karam ped ke choron or sakhuwa ka ped laga diye hain....aaj yah AAKHDA....Khamosh hai.....
Aaj yanha Nagada...Mandar baj raha hai...lekin.....karam our sarhul parab ki khushi me...nachne-gane ke liye nahi....
Aaj Adivasi-Mulvasi Kalakar...Nagada..Mandar Baja rahe hain...Dr. Ramdayal Munda ji..ke..birasat ko..Sanskritik sangharsh ko...samajik mulyon ki..racha ke Andolan ko...jal..jangal...jamin...Sarna-Sasan diri-ki rakcha ko anwarat jari...rakhne..ke liye.....BINGUL Funk rahe hain


MUNDA JI KE LIYE----JHARKHAND ke....liye...Ek Ahwan....hamara Sangharsh Jari rahega..

30 sept. 2011...jindagi ka ek ssam...


Dr Ramdayal Munda..1939-2011

30 agast 2011 ..sam 5.30 baje ...kyuri abdulrajak aspatal..me Jharkhand ke Sanskriti dhara Dr ramdayal Munda ji ne jiwan ki antim sans li..