Saturday, May 31, 2014

उपरोक्त बिंन्दुओं पर आप का ध्यान अकृष्ट करने का मूल उदे’य यह है कि-किसी भी चुनाव में देश और राज्य निर्माण में हर मतदाता अपना विवेकपूर्णक निर्णय से मतदान कर सकें, यह तभी संभव होगा जब चुनाव आयोग और प्रशासान इस तरह का महौल -वातावरण दे पायेगें।

सेवा में,
डीजीपी 
झारखंड
विषय- बूथ-संध्या  11-चूरले, बूथ-22 गुमडू, जारियागढ, लप्पा, बूथों का चुनाव रदद किया जाए और पूर्नमातदान किया जाए।
महाशय,
मैं आप का ध्यान 17 अप्रैल 2014 को संपन्न चुनाव के दौरान खूंटी लोक सभा क्षेत्र में घटित वस्तुविक स्थितियों के संबंध में अवगत कराना चाहती हुं-ताकि राज्य और देश  का भविष्य तय करने में निर्वाचन आयोग, मतदाता और प्रसाशन मिल कर देश हित में अपनी लोकतंत्रिक भूमिका निभा सकें 
मैं खूंटी लोक सभा सीट से आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार होने के नाते कर्रा प्रखंड के बूथों में चल रहे मतदान केंन्द्रो का जयजा लेने निकली थी। खूंटी लोक सभा क्षेत्र के तोरपा विधान सभा क्षेत्र स्थित जोजोदाग बूथ में 12 बजे पहुंचे। वहां मतदाता नहीं थे-सिर्फ मातदानकर्मी थे। पूछने पर पता चला कि यहां मतदान खत्म हो चूका है। मैं चूरले स्थित बूथ ना0 11 में पहुंची। यहां मतदाताओं की लाईन लगी हुई थी। मतदातों का फोटो मिलान करते उन्हें परची दिया जा रहा था। यहीं पर सीक्यूरीटी में तैनात एक सुरक्षाकर्मी भी मौजूद था। जिस कमरा में ईवीएम मशीन रखा गया था, उस कमरा का दो दरवाजा है। एक दरवाजा पर पीठासीन अधिकारी बैठा हुआ था। मैं अंदर गयी। घूसते ही मेरी पहली नजर ईवीएम मशीन की ओर गयी। मशीन के पास दो नाबालिग लड़के खड़े है और ईवीएम मशीन पर उनका हाथ है। कुछ छणों तक मैं हैरान उन लाड़कों को देखते रही। पीठासीन अधिकारी चुप बैठा हुआ है। मुझे को वहां खड़ा देख 2-3 मिनट के बाद दोनों लड़के दूसरे दरवाजा से निकल गये। उनके पीछे मैं भी बाहर निकली। लड़के बूथ कैंपस से बाहर निकलने लगे। मैं वहां मौजूद मतदान कर्मीयों से पूछी-ये क्या हो रहा है यहां? ये दो नाबालिग लड़के अंदर ईवीएम मशीन के पास क्या कर रहे थे, और इन दोनों को अंदर क्यों घुसने दिया गया? इस सवाल का मैं जवाब चाह रही थी। वहां मौजूद सीक्यूरीटी कर्मी सामने आया -पूछा मुझे, क्या -क्या बात है। फिर मैंन पहले का सवाल उठायी-अंदर दो नाबालिग लड़कों कों क्यों एक साथ ईवीएम म’ाीन के पास क्यों घुसने दिये? और वो दोनों म’ाीन के पास क्या कर रहे थे? 
मेरे सवाल के जवाब में वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी बोले-मैंडम यहां शांतिपूर्वक काम चल रहा है, किसी तरह की कोई गडबड़ी नहीं हो रही है। बूथ कैंपस में तैनात एक दूसरा सुरक्षाकर्मी भी मेरे सामने आया और बोला-यहां मतदान शांतिपूवक चल रहा है किसी तरह की कोई गड़बडी नहीं है।  मैं अंदर मौजूद सुरक्षाकर्मी से उनका नाम पूछी-तो उन्होंने जवाब दिया, मेरा नाम जानकार क्या करोगी? मैं पीठासीन अधिकारी से पूछी-बताइये वो नाबालिग मशीन के पास क्या कर रहे थे? क्यों उनको घुसने दिये? गलती हुआ है कि नहीं? इस पर पीठासीन अधिकारी  बोले-हाॅं गलती तो हुआ है। मेरे साथ सुरक्षाकर्मी बहस करते रहे-वे बालते रहे, यहां शांतिपूर्वक चल रहा है, आप को ही गलत नजर आ रहा है। मैं वहां से निकलने लगी-तब मेरे पीछे पीछे पीठासीन अधिकारी और एक सुरक्षाकर्मी दौड़ते आये और रोक कर बोले-माफ कीजिएगा, बात को आगे मत बढ़ाइए, आगे फिर गलती नहीं होगा। मैं कुछ नहीं बोली -आगे बढ़ गयी। 
डेढ़ बजे बूथ संख्या 22 में पहुंची। वहां दो-तीन  झुंण्ड में युवक आपस में बात करने में व्यस्त दीख रहे थे। दो लोग दरवाजा के ठीक सामने खड़े थे। जिनका नजर पर्ची लेकर आ रहे मतदाताओं पर साथ ही अंदर रखे ईवीएम मशीन पर ही केंन्द्रित था। जहां परची कट रहा था उधर जा कर मैं बैठ गयी। एक युवक मतदान कर वापस परची काटनेवालों के पास आया बोला-और परची और दीजिए , और मारेगें, सभी लोग मार रहें हैं बोगस। कर्मचारी मुझे पहचान रहे थे-इसलिए और परची देने के लिए आना-कानी करने लगे। लेकिन उक्त युवक परची के लिए जिद करने लगा। तब एक सज्जन सामने आया और बोला-आप लोगों को यह पता होना चाहिए कि यहां-एक उम्मीदवार बैठी हैं , सबका ख्याल रखना चाहिए। इनके इतना कहने पर वहां जितना झुंण्ड  दिख रहा था-अहिस्ते अहिस्ते वहां से हट गया। उस बूथ में भारी संख्या में बोगस डाला गयां। 
यहां से लौटते हुए मैं वापस चुरले होते हुए निंधिया जा रहा थी। जहां मेरे लिए खाना बना हुआ था। रास्ते में उडीकेल के पास पुलिस गाड़ी मिली। मुझे रोका गया। पूरा गाड़ी चेक किया। मेरे दो-तीन साथी गाड़ी पर बैठे थे-उन्हें उतार कर पूरा शरीर चेक किया। इसके बाद हम लोग आगे बढ़े। जब हम लोग निधिया पहुंचे और गाड़ी रास्ते में खड़ा कर मेरे साथी के घर गये ।हम लोग घर पहंूचने तक पुलिस गाड़ी भी वहां पहूंच गयी और पुलिस घर पहुंच गयी हमारे पीछे पीछे। हम लोग आंगन में ही थे -तब पुलिस भी आंगन में आ धमकी। मैंने पूछा आप लोग यहां क्यों आ रहे हैं? उनमें से एक ने कहा-आप का सुरक्षा के लिए आये हैं। मैंने कहा-मैं तो सुरक्षित हुं, फिर मेंरे पीछे पीछे आने की कोई जरूरत नहीं है। दो पुलिस कर्मी मेरे सामने खड़ा हो गये। कटसी में एक चेयर उनको दिये। एक ने कुर्सी को मेरे समीप खींच कर बैठ गया। मुझे किसी से बात करने भी नहीं दे रहा था-वे खुद बक-बक कर रहे थे।  जिनके घर में गयी हुं-उस परिवार से बात करने ही नहीं दे रहा था। मेरे बार बार कहने पर कि आप लोग मुझको क्यों तग कर रहे हैं-पुलिसवाले बार बार यह कहते रहे  कि हम लोग आप के सुरक्षा में आये हैं- मैं बाथरूम करने घर के पीछवाडे की ओर जा रही थी-तब भी पुलिस मेरे पीछे हो ले रहा था। मेरे साथीयों के साथ हड़बड़ खाना खाये और वहां से निकल गये, और पुलिस को बोले मेरे पीछे आने की जरूरत नहीं है। 
मेरे साथ पुलिस वाले का इस तरह का व्योहार सीधे तौर पर -मुझे बूथों में जाने से रोकने का प्रयास था ताकि बूथों में हो रही गलतियों और गैर कानूनी कार्यों को जारी रखा जाए।  
वहां से निकल कर टाटी पूर्वी और टाटी पच्क्षिमी बूथ में गयी। दोनों बूथ पर मतदाता नहीं थे, वहां चार-पांच पिये हुए लोग थे। पूर्वी बूथ में एक व्यक्ति मतदान करके फिर बेंच पर बैठे मतदान कर्मी से बोल रहा था-बताइ्रये और कितना मारना है? पीया व्यक्ति बोलते जा रहा था लेकिन मतदान कर्मी मुझे देख चुप चाप थे। इसी बीच एक मतदाना कर्मी बोले-आप सही समय पर आये हैं, अब आप रूकिये, हम लोग म’ाीन बंद करते हैं। सामने पच्’िमी बूथ था। यहां तीन-चार लोग खडे थे। मैंने टाईम के साथ अभी तब का डाला गया मत संख्या पूछी, नोट की। वहां बैठा अधिकारी चाह रहे थे कि हम वहां से जल्द हट जाएं, लेकिन मैं पूछी कब बंद कर रहे हैं? समय तो हो गया। तब अधिकारी बोले हां अब बंद करेगें। मतदान के बाद रात को चूरले गांव में हमारे समर्थकों का घर जा कर दो लोगों ने यह कहते हुए मार पीट किया कि तुम लोगों ने झाडू छाप को वोट किया है।  मार-पीट करने वाले साथियों को धमकी दी कि-तुम लोग झाडू छाप पर वोट दिये हो, अगर हम लोगों की पार्टी हार जाएगी तो-तुम लोगों के पास रात को आएगें। जरियागढ़ बूथ, लपा बूथ, को भीे  लोगों ने कब्जा में ले कर  रखा था। लेकिन बूथों पर मौजूद मतदान कर्मचारी और सुरक्षा कर्मी -दावा किये कि मतदान शांति पूर्वक हुआ। 
इस लोकतंत्र के महापर्व में मतदाता स्वतंत्र  मतदान नहीं कर पा रहे हैं, साम-दाम-दंण्ड भेद की ताकत मतदाताओं को देश  निर्माण और इनके भविष्यय का दिशा  तय करने के लिए स्वतंत्र -विवेकपूर्ण मतदान-को रोक कर, दबाव में मतदान करवाना भी लोकतंत्र में एक बड़ा अपराथ है। 
कोलेबिरा विधान सभा क्षेत्र जलडेगा थाना क्षेत्र के सिंिलंगा बाजार टाड में (बुधवार) में चुनाव का परचा बांट रहे साथी पर अपराधियों ने  -गोली चला दी। परचा बांट रहा व्यक्ति टोपी पहने हुए थे, जैसे ही अगला आदमी गोली चलाया-उसने सिर झुका लिया, गोली टोपी को उड़ाते हुए सिर उपर से पार हो गया।  इस कारण बड़ा हादशा  टल गया। 
खूंटी, तोरपा, विधानसभा क्षेत्र में लगातार मेरे समर्थको को धमकी दी गयी है कि अगर हमलोगों का पार्टी -झापा हार गया तो-अंजाम बूरा होगा, हम लोग रात को तुम लोगों के पास आएगें। 
उपरोक्त बिंन्दुओं पर आप का ध्यान अकृष्ट करने का मूल उदे’य यह है कि-किसी भी चुनाव में देश  और राज्य निर्माण में हर मतदाता अपना विवेकपूर्णक निर्णय से मतदान कर सकें, यह तभी संभव होगा जब  चुनाव आयोग और प्रशासान इस तरह का महौल -वातावरण दे पायेगें। 
मांग-बूथ-संध्या  11-चूरले, बूथ-22 गुमडू, जारियागढ, लप्पा, चांपी, बूथों का चुनाव रदद किया जाए और पूर्नमातदान किया जाए।
 
                                           आप की विश्वाशी                                                                                    उम्मीदवार-दयामनी बारला
                                           आम आदमी पार्टी 

मैं आप का ध्यान 17 अप्रैल 2014 को संपन्न चुनाव के दौरान खूंटी लोक सभा क्षेत्र में घटित वस्तुविक स्थितियों के संबंध में अवगत कराना चाहती हुं-ताकि राज्य और देश का भविष्य तय करने में निर्वाचन आयोग और मतदाता मिलकर देशहित में अपनी लोकतंत्रिक भूमिका निभा सकें।

सेवा में,
मुख्य निर्वाचन आयोग 
झारखंड
विषय- बूथ-संध्या  11-चूरले, बूथ-22 गुमडू, जारियागढ, लप्पा, बूथों का चुनाव रदद किया जाए और पूर्नमातदान किया जाए।
महाशय,
मैं आप का ध्यान 17 अप्रैल 2014 को संपन्न चुनाव के दौरान खूंटी लोक सभा क्षेत्र में घटित वस्तुविक स्थितियों के संबंध में अवगत कराना चाहती हुं-ताकि राज्य और देश  का भविष्य तय करने में निर्वाचन आयोग और मतदाता मिलकर देशहित में अपनी लोकतंत्रिक भूमिका निभा सकें। 
मैं खूंटी लोक सभा सीट से आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार होने के नाते कर्रा प्रखंड के बूथों में चल रहे मतदान केंन्द्रो का जयजा लेने निकली थी। खूंटी लोक सभा क्षेत्र के तोरपा विधान सभा क्षेत्र स्थित जोजोदाग बूथ में 12 बजे पहुंचे। वहां मतदाता नहीं थे-सिर्फ मातदानकर्मी थे। पूछने पर पता चला कि यहां मतदान खत्म हो चूका है। मैं चूरले स्थित बूथ ना0 11 में पहुंची। यहां मतदाताओं की लाईन लगी हुई थी। मतदातों का फोटो मिलान करते उन्हें परची दिया जा रहा था। यहीं पर सीक्यूरीटी में तैनात एक सुरक्षाकर्मी भी मौजूद था। जिस कमरा में ईवीएम मशीन रखा गया था, उस कमरा का दो दरवाजा है। एक दरवाजा पर पीठासीन अधिकारी बैठा हुआ था। मैं अंदर गयी। घूसते ही मेरी पहली नजर ईवीएम मशीन की ओर गयी। मशीन के पास दो नाबालिग लड़के खड़े है और ईवीएम मशीन पर उनका हाथ है। कुछ छणों तक मैं हैरान उन लाड़कों को देखते रही। पीठासीन अधिकारी चुप बैठा हुआ है। मुझे को वहां खड़ा देख 2-3 मिनट के बाद दोनों लड़के दूसरे दरवाजा से निकल गये। उनके पीछे मैं भी बाहर निकली। लड़के बूथ कैंपस से बाहर निकलने लगे। मैं वहां मौजूद मतदान कर्मीयों से पूछी-ये क्या हो रहा है यहां? ये दो नाबालिग लड़के अंदर ईवीएम मशीन के पास क्या कर रहे थे, और इन दोनों को अंदर क्यों घुसने दिया गया? इस सवाल का मैं जवाब चाह रही थी। वहां मौजूद सीक्यूरीटी कर्मी सामने आया -पूछा मुझे, क्या -क्या बात है। फिर मैंन पहले का सवाल उठायी-अंदर दो नाबालिग लड़कों कों क्यों एक साथ ईवीएम मशीन के पास क्यों घुसने दिये? और वो दोनों मशीन के पास क्या कर रहे थे? 
मेरे सवाल के जवाब में वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी बोले-मैंडम यहां शांतिपूर्वक काम चल रहा है, किसी तरह की कोई गडबड़ी नहीं हो रही है। बूथ कैंपस में तैनात एक दूसरा सुरक्षाकर्मी भी मेरे सामने आया और बोला-यहां मतदान शांतिपूवक चल रहा है किसी तरह की कोई गड़बडी नहीं है।  मैं अंदर मौजूद सुरक्षाकर्मी से उनका नाम पूछी-तो उन्होंने जवाब दिया, मेरा नाम जानकार क्या करोगी? मैं पीठासीन अधिकारी से पूछी-बताइये वो नाबालिग मशीन के पास क्या कर रहे थे? क्यों उनको घुसने दिये? गलती हुआ है कि नहीं? इस पर पीठासीन अधिकारी  बोले-हाॅं गलती तो हुआ है। मेरे साथ सुरक्षाकर्मी बहस करते रहे-वे बालते रहे, यहां शांतिपूर्वक चल रहा है, आप को ही गलत नजर आ रहा है। मैं वहां से निकलने लगी-तब मेरे पीछे पीछे पीठासीन अधिकारी और एक सुरक्षाकर्मी दौड़ते आये और रोक कर बोले-माफ कीजिएगा, बात को आगे मत बढ़ाइए, आगे फिर गलती नहीं होगा। मैं कुछ नहीं बोली -आगे बढ़ गयी। 
डेढ़ बजे बूथ संख्या 22 में पहुंची। वहां दो-तीन  झुंण्ड में युवक आपस में बात करने में व्यस्त दीख रहे थे। दो लोग दरवाजा के ठीक सामने खड़े थे। जिनका नजर पर्ची लेकर आ रहे मतदाताओं पर साथ ही अंदर रखे ईवीएम मशीन पर ही केंन्द्रित था। जहां परची कट रहा था उधर जा कर मैं बैठ गयी। एक युवक मतदान कर वापस परची काटनेवालों के पास आया बोला-और परची और दीजिए , और मारेगें, सभी लोग मार रहें हैं बोगस। कर्मचारी मुझे पहचान रहे थे-इसलिए और परची देने के लिए आना-कानी करने लगे। लेकिन उक्त युवक परची के लिए जिद करने लगा। तब एक सज्जन सामने आया और बोला-आप लोगों को यह पता होना चाहिए कि यहां-एक उम्मीदवार बैठी हैं , सबका ख्याल रखना चाहिए। इनके इतना कहने पर वहां जितना झुंण्ड  दिख रहा था-अहिस्ते अहिस्ते वहां से हट गया। उस बूथ में भारी संख्या में बोगस डाला गयां। 
यहां से लौटते हुए मैं वापस चुरले होते हुए निंधिया जा रहा थी। जहां मेरे लिए खाना बना हुआ था। रास्ते में उडीकेल के पास पुलिस गाड़ी मिली। मुझे रोका गया। पूरा गाड़ी चेक किया। मेरे दो-तीन साथी गाड़ी पर बैठे थे-उन्हें उतार कर पूरा शरीर चेक किया। इसके बाद हम लोग आगे बढ़े। जब हम लोग निधिया पहुंचे और गाड़ी रास्ते में खड़ा कर मेरे साथी के घर गये ।हम लोग घर पहंूचने तक पुलिस गाड़ी भी वहां पहूंच गयी और पुलिस घर पहुंच गयी हमारे पीछे पीछे। हम लोग आंगन में ही थे -तब पुलिस भी आंगन में आ धमकी। मैंने पूछा आप लोग यहां क्यों आ रहे हैं? उनमें से एक ने कहा-आप का सुरक्षा के लिए आये हैं। मैंने कहा-मैं तो सुरक्षित हुं, फिर मेंरे पीछे पीछे आने की कोई जरूरत नहीं है। दो पुलिस कर्मी मेरे सामने खड़ा हो गये। कटसी में एक चेयर उनको दिये। एक ने कुर्सी को मेरे समीप खींच कर बैठ गया। मुझे किसी से बात करने भी नहीं दे रहा था-वे खुद बक-बक कर रहे थे।  जिनके घर में गयी हुं-उस परिवार से बात करने ही नहीं दे रहा था। मेरे बार बार कहने पर कि आप लोग मुझको क्यों तग कर रहे हैं-पुलिसवाले बार बार यह कहते रहे  कि हम लोग आप के सुरक्षा में आये हैं- मैं बाथरूम करने घर के पीछवाडे की ओर जा रही थी-तब भी पुलिस मेरे पीछे हो ले रहा था। मेरे साथीयों के साथ हड़बड़ खाना खाये और वहां से निकल गये, और पुलिस को बोले मेरे पीछे आने की जरूरत नहीं है। 
मेरे साथ पुलिस वाले का इस तरह का व्योहार सीधे तौर पर -मुझे बूथों में जाने से रोकने का प्रयास था ताकि बूथों में हो रही गलतियों और गैर कानूनी कार्यों को जारी रखा जाए।  
वहां से निकल कर टाटी पूर्वी और टाटी पच्क्षिमी बूथ में गयी। दोनों बूथ पर मतदाता नहीं थे, वहां चार-पांच पिये हुए लोग थे। पूर्वी बूथ में एक व्यक्ति मतदान करके फिर बेंच पर बैठे मतदान कर्मी से बोल रहा था-बताइ्रये और कितना मारना है? पीया व्यक्ति बोलते जा रहा था लेकिन मतदान कर्मी मुझे देख चुप चाप थे। इसी बीच एक मतदाना कर्मी बोले-आप सही समय पर आये हैं, अब आप रूकिये, हम लोग म’ाीन बंद करते हैं। सामने पच्छिमी  बूथ था। यहां तीन-चार लोग खडे थे। मैंने टाईम के साथ अभी तब का डाला गया मत संख्या पूछी, नोट की। वहां बैठा अधिकारी चाह रहे थे कि हम वहां से जल्द हट जाएं, लेकिन मैं पूछी कब बंद कर रहे हैं? समय तो हो गया। तब अधिकारी बोले हां अब बंद करेगें। मतदान के बाद रात को चूरले गांव में हमारे समर्थकों का घर जा कर दो लोगों ने यह कहते हुए मार पीट किया कि तुम लोगों ने झाडू छाप को वोट किया है।  मार-पीट करने वाले साथियों को धमकी दी कि-तुम लोग झाडू छाप पर वोट दिये हो, अगर हम लोगों की पार्टी हार जाएगी तो-तुम लोगों के पास रात को आएगें। जरियागढ़ बूथ, लपा बूथ, को भीे  लोगों ने कब्जा में ले कर  रखा था। लेकिन बूथों पर मौजूद मतदान कर्मचारी और सुरक्षा कर्मी -दावा किये कि मतदान शांति पूर्वक हुआ। 
इस लोकतंत्र के महापर्व में मतदाता स्वतंत्र  मतदान नहीं कर पा रहे हैं, साम-दाम-दंण्ड भेद की ताकत मतदाताओं को देश  निर्माण और इनके भविष्यय का दिशा  तय करने के लिए स्वतंत्र -विवेकपूर्ण मतदान-को रोक कर, दबाव में मतदान करवाना भी लोकतंत्र में एक बड़ा अपराथ है। 
कोलेबिरा विधान सभा क्षेत्र जलडेगा थाना क्षेत्र के सिंिलंगा बाजार टाड में (बुधवार) में चुनाव का परचा बांट रहे साथी पर अपराधियों ने  -गोली चला दी। परचा बांट रहा व्यक्ति टोपी पहने हुए थे, जैसे ही अगला आदमी गोली चलाया-उसने सिर झुका लिया, गोली टोपी को उड़ाते हुए सिर उपर से पार हो गया।  इस कारण बड़ा हादशा टल गया। 
खूंटी, तोरपा, विधानसभा क्षेत्र में लगातार मेरे समर्थको को धमकी दी गयी है कि अगर हमलोगों का पार्टी -झापा हार गया तो-अंजाम बूरा होगा, हम लोग रात को तुम लोगों के पास आएगें। 
उपरोक्त बिंन्दुओं पर आप का ध्यान अकृष्ट करने का मूल उदे’य यह है कि-किसी भी चुनाव में देश  और राज्य निर्माण में हर मतदाता अपना विवेकपूर्णक निर्णय से मतदान कर सकें यह तभी संभव होगा जब  चुनाव आयोग और प्रशासन इस तरह का महौल -वातावरण दे पायेगें। 
मांग-बूथ-संध्या  11-चूरले, बूथ-22 गुमडू, जारियागढ, लप्पा, चांपी, बूथों का चुनाव रदद किया जाए और पूर्नमातदान किया जाए।
 
                                           आप की बिश्वाशी 
                                        उम्मीदवार-दयामनी बारला
                                           आम आदमी पार्टी 
                                            9431104386        
                                             १८ -४ -२०१४ 

Wednesday, May 21, 2014

वो सिर्फ मुस्कुराया केवल। लेकिन मै जान नहीं सकी कि-कोंन्दा के आंख से बह रहा पानी -आंख की बीमारी के कारण नहीं बह रहा था-बल्कि घायल हृदय का आंशुं था।

25 मार्च 2014
11.30 बजे हम लोग डोम्बारी बुरू से खूुटी कचहरी पहुंचे। वहां नमांकन फर्म लेकर वकील धनिक गुडि़या, वकील शंकर कुशवाहा, वकील श्री ठाकुर मौजूद थे। मेरे प्रस्तावकों के साथ नमांकन लीगल प्रक्रिया पूरा करने में लग गये। गांवों से आये लोगों की भीड़ थी। मैं सबसे मिलने की कोशिश  कर रही थी। महिलाएं भी आयी हुई हैं। सभी साथी एक दूसरे सुे मिल रहे हैं। कई लोग बातों में व्यस्त हैं।
                                           डा शिलाश  हेम्रोम के साथ
                                              ग्रामीण साथ
                                              कोट परिसर में साथी
                                              एडवोकेट -धनिक गुड़िया और एडवोकेट शंकर कुशवाहा
                               एडवोकेट -धनिक गुड़िया, एडवोकेट शंकर कुशवाहा  और विनय भट           

वहीं एक साथी हल्का पीला कमीज पहने अकेले चुपचाप खड़ा है। मैं उनके पास गयी। सामने खड़ा होकर उनसे बात करने लगीं, मैं हाल-चाल पुछने लगी। उनकी आंखे एक टक मेरी ओर निहार रही है। उनके दोनों आंख में अंशुं  डब-डबा रहा है। अब अंशुं  आंख से बहते हुए उनके गाल पर लुढक रहा है। तब मैं पूछी-आप के आंख में अंशुं क्यों है??
कोंन्दा कुछ भी बोल नहीं रहा है। मैं दुबारा पूछी-आप के आंख में अंशुं  क्यों है? तब कोन्दा मुस्कुराने की कोशिश  करते हुए बोला-हां कुछ हो गया है, ऐसा ही पानी निकलते रहता है। मैं फिर पूछी-आंख वाला डाक्टर को आपने ने दिखाया कि नहीं?? उन्होंने ने जवाब दिया-नहीं । तब मैं बोली-अच्छा ठीक है, इस चुनाव को पार होने दीजिए-17 अप्रैल के बाद आप रांची आइए-आंख डाक्टर से दिखवा लेते हैं। वो सिर्फ मुस्कुराया केवल। लेकिन मै जान नहीं सकी कि-कोंन्दा के आंख से बह रहा पानी -आंख की बीमारी के कारण नहीं बह रहा था-बल्कि घायल हृदय का आंशुं  था।
ये बात हो ही रही थी-तब पुष्पा और सावना करीब आये। पुष्पा बोली-दीदी ये लोग बहुत दुखित हैं-आज ये लोग गांव से छह मैजिक ओटो गाड़ी बुक किये थे यहां आने के लिए। यहां आने के लिए निकले थे-लेकिन सबको गाड़ी से उतार दिये जंगल वाले, (क्षेत्र में सक्रिये उग्रवादी संगठन ) आने नहीं दिये, गांव के लोग जैसा चाहते थे-नहीं आ सके, इसीलिए दुखित हैं।
इनकी बातों को सुन कर मेरा भी मन भर आया। हाॅ गांव इस गांव के कल भी फोन किये थे दो तीन बार, और बोले थे-दीदी हम लोग गांव से छह गाड़ी बुक कर लिये है-खूंटी आने के लिये। आज सुबह भी इन लोगों ने फोन किये थे-आप लोग रांची से निकले कि नहीं-यह जानने के लिये। मैं हुडमा टोली के इन साथियों को एक टक निहारते रही, फिर अपने को समेटते हुए इन लोगों को समझायी कि-किसी के रोकने से हम लोग कभी रूके नहीं हैं-आज भी आप लोग यहां पहुंच गये -रोकने के बावजूद, कल भी आप लोग आगे ही बढ़ेगें।



                                         डी सी सेमसन को नामांकन परचा देते हुऐ
                                            नामांकन के बाद साथियों से लड़ाई का संकल्प

                                            आदिवासी समाज के हक़ अधिकार के प्रखर पत्रकार  श्री फैसल  अनुराग 

नेलकन बयर एमांइग रेमे दुलड़ रेयआ एहो...नगापुर बिर रेआ मिमयद दारूइंग बादी लेरेंग सोतोगे लेका

25 मार्च 2014
आज खूुटी लोक सभा सीट से आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार के रूप में नोमिनेशन भरना था। तय कार्यक्रम के अनुसार डोम्बारी बुरू में बिरसा मुंड़ा को फूल चढ़ाने के बाद खूंटी में नमांकन करना है।  आज से पहले मैं कई बार डोम्बारी बुरू आ चुकी हुॅं, लेकिन आज पहले से बिलकुल ही अलग महसूस हो रहा था। डोम्बारी बुरू स्थित बिरसा मुंडा को कई बार फूल-माला पहनायी हुं, तब आज की तरह मन नहीं रो रहा था।  मन भावुक जरूर हुआ था, लेकिन आज की तरह नहीं। आज हमारे साथ सिर्फ गांव या एक छेत्र  विशेष  के लोग ही नहीं हैं, लेकिन गुमला जिला और खुंटी जिला के अलग अलग गांवों के किसान साथी हैं। 2006 से मित्तल कंपनी के खिलाफ लड़ने वाले संगठन ’आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा के साथी हैं, 2010 से छाता नदी पर बनने वाले डैम के खिलाफ संघर्षरत -डैम प्रभावित संघर्ष समिति कर्रा, तजना नदी पर प्रस्तावित डैम के खिलाफ लड़ रहे तजना डैम प्रभावित संघर्ष समिति-खूंटी-कर्रा के साथी भी हैं।




जबड़ा, घारेपिंडा, कोरको टोली के साथियों ने अपने साथ कांसा का लोटा में पानी, कांसा का थाली में अरवा चावल और अरवा धागा, अगरबती ले कर आये हैं। बिरसा को फूल चढ़ाने के पहले सभी साथी सिंग बोंगा को प्रर्थना चढाये। प्रर्थना गीत श्री सेंरेग हेमरोम की अगुवाई में गाये-
को0  ...ने सेंड़ा पेड़े दाड़ी एमांइगमें
ने सेंड़ा पेड़े दाड़ाी एमांइगमें
ने सेंडा पेड़े दाडी एमांगइमें..........
1-नेलकन पेड़े एमांगरेमे
सिरमा पेड़े
ऐहो....नगापुर
मपरंग-मपरंग बुरू कोके
तुलांग  रेंगइ
दुपिलेलेका
2-नेलकन तीई
एमांइग रेमे सिरमा पेड़े
ऐहो...नगापुर
मपरंग-मपरंग दारू
केके चुंडुल लेरेंग
लिकुडे लेका
3-नेलेकन कटा
एमांइग रेमे सिरमा पेड़े
ऐहो....नगापुर
मपरंग’-मपरंग गड़ा कोकेंइग
 ताड़ोम लेरेइंग
पारोमेलका
4-नेकलन सनंग
एमांइग रेमे सिरमा पेड़े
ऐहो....नगापुर
मपरंग-मपरंग सेरेंग को सनंग लेरेइंग
लेयांगे लेका
5-नेलकन बयर
एमांइग रेमे दुलड़ रेयआ
एहो...नगापुर
बिर रेआ मिमयद दारूइंग
बादी लेरेंग  सोतोगे लेका








सिंग-बोंगा को प्रर्थना चढ़ाने के बाद हम लोग बिरसा को फूल चढ़ाने उपर चढे। सभी कतार में चढ़ते गये-महिलाएं बिरसा को लोटा पानी से नहलाये, अरवा चावल का चुमावन दीये, अरवा धागा का वस्त्र पहनाये, गांव से लाया गेंदा फूल आर्पित किये। सभी ने बारी बारी से अपना साम्मान आर्पित किये। इसके बाद हमलोग खूुटी नमांकन के लिए निकल गये।