Meeting with youth
पेशा के दृष्टीकोण से महिला-पुरूष काविभाजन नहीं दिखाई देता है। अधिकांश बसों में महिलाएं चलातीदिखाई देती हैं। यही नहीं ट्राम भीमहिलाएं चलाती है। ट्रेन के पेन्ट्रीकारमें महिलाऐं कथा सट तथा कालाफंलपैंट पहने सेवाएं दे रही हैं।व्यवसाय और उद्वोग व्यवस्थाआधारित जीवन होने के कारण यहांखाद्य सामाग्रीयों का कीमत बहुत उचांरहता है। एक व्यत्कि कम से कम 7 यूरो का (भारतीय मुद्रा-399रू)साधारण नास्ता करता है।बढि़या खाना खाने चाहे तो कम सेकम 15 यूरो लगेगा(भारतीय मुद्रा-855रू)। जबकि कपड़ा-लता, जुता-मोजा 3-4 यूरो में खरीद करकाम चला सकता है सेकेंड हेंड बाजारसे। फास्ट हेंड बाजार में कपड़ों काकीमत भी उंचा होता है। लोग बताते हैंअधिकांश लोग सेकेंड हेंड बाजार काही इस्तेमाल करते हैं। व्यस्तता केकारण लोग बाजार से पकाया हुआखाना, खरीद कर खाना पसंद करतेहैं। सरकारी नौकरी के अलावे, लोगोंका रोजगार नीजि संस्थानों में, कंपनियों के सहारे चल रहा है। नीजिसंस्थानों में काम करने वाला व्यत्किएक दिन में सिफट के हिसाब से कईसंस्थानों में काम करता है। साथियोंने बताया-मजदूरी के रूप में प्रतिघंण्टा लगभग 6 यूरो मिलता है, इसमेंसे 2 यूरो टैक्स काटता है। एकव्यत्कि प्रति माह लगभग 8-9 सौयूरो कमाता है। ग्लोलाईजेशन का यहभी रूप दिखाई देखता है कि यहां छोटेव्यवसायी कहीं नजर नहीं आते हैं।लेकिन दूसरी ओर यह भी देखने कोमिला कि कई स्थानों में आने-जाने केक्रम में आठ दिनों में सिर्फ एकभिाखरी रोड़ में भीख मांगते दिखा।
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