
यहां का जीवन पूरी तरह से औद्योगिकव्यवस्था पर टिका हुआ है। ठंड देशहोने के कारण वहां सभों के लिए रहनेका कमोवेश एक ही तरह काबिलडिंग-मकान होता है। पूराहेलंिसंकी घूमने पर भी कहीं छोटामकान देखने को नहीं मिलता है। वहांरहने का घर देखकर अमीर-गरीब, जाति-समूदाय, तथा उंच-नीच काविश्लेषण नहीे किया जा सकता है।रंग-रूप, कद-काठी, नाक-नक्सादेखकर जातिये पहचान नहीं कियाजा सकता है। आम तैर पर लोगों कापहिरावा से भी वर्ग भेद नहीं झलकताहै। सभी सामान्य लगता है। वहां कोईस्वीपर रोड़ में झाडू लगाते नहींदिखता है। रोड़, चैक-चैराहों में कहीं नतो एक कागज को टुकड़ा फेंगामिलगा न ही कहीं किसी तरह कीगंदगी। शहर में साफ-सफाई का काममशीन करता है। बस, ट्राम में दो-तीनस्टाफ की जरूरत नहीं है। सरकारीदफतरों तथा नीजि प्रतिस्ठानों में नचैकीदार रहते हैं, न गेट खोलने केलिए गेटकिपर होता है। आप बस मेंचढ़ने जाएगें गेट अपने-आप खुलजाएगा तथा बंद भी हो जाएगा। ट्रेनमें चढ़ेगें गेट स्वतः खुलेगा। घर यादुकानों में दरवजा आप के लिए स्वतःखुल जाएगा, आप के प्रवेश के बाद बंदभी हो जाएगा। रोड़ में चलने वालेवाहनों की कोई प्रतिस्प्रधा नहीं है, सभी अनुसाशित एक के पीछे दूसराचलेगा। रोड़ का भीड़ कंट्रोल करने केलिए कहीं भी ट्राफिक पुलिस नजरनहीं आएगा। पांच माह तक कडाके कीठंढ पड़ने के कारण सभी घरों में हिटरजीवन की बुनियादी सुविधाओं मेंमाना जाता है। प्रकृति की मेहरबानीकहे यह फिर सरकार की जनता केप्रति जिम्मेदारी बोध मानें बिजली 24 घंण्टा जलते रहता है। दस दिनों केप्रवास में बिजली का लोडसेडिंग देखनेको नहीं मिला। 26 अप्रैल को विभिन्नदेशों से आये प्रतिनिधि अपने देश मेंयूरेनियम माइंस से हो रहे विस्थापन, रेडियेसन के प्रभाव से जनस्वास्थयतथा प्रर्यावरण पर हो रहे प्रभाव सेउत्पन समस्याओं को लेकर मिलनेगये। हैरानी हुई कि मिनिस्ट्री मेंमंत्रियों से मिलने के लिए कोईताम-छाम सिक्युरिटी चेक, रोक-टोकनहीं हुई। मंत्रियों ने सभी विदेशीमेहमनों की बात बारी-बारी से सुने, सबको अपनी बात रखने के लिएमिनट का समय दिये। संसदभवन में संसादों से मिलने के लिए भीकोई विशेष ताम-छाम या सिक्युरिटीनहीं। हमारे संसद भवन के मिटिंगकक्ष में पहुचते ही बिना किसी देरी केविपक्ष के पांच संसाद आये। दोनोंतरफ से परियच हुआ। यहां भीमेहमानों को अपनी बात रखने कामौका दिये। सभों ने अपने देश में होरहे यूरेनियम माइंस से होने वालेदुषप्रभाव पर चर्चा किये और आग्रहकिये कि खान तथा रेडियेसन से होनेवाले प्रभावों को देखतंे इुएन्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने काविरोध को नैतिक सामार्थन देने काआग्रह किये। सभी संसादों ने इसमुददा को संसद में उठाने तथा अपनेपार्टी के भीतर चर्चा करने काआश्वासन दिये।
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