बिशिष्ठ अतिथि भूतपूर्व महालेखाकार श्री बेंजामिन लकड़ा ने अपने संबोधन में कहा-उरांव समाज education के क्षेत्र में आगे निकल गया है। मैं गरीबी से निकल कर इस मुकाम में पहुंचा कि आज भी कोई मेरे लेबल में पहुंच नहीं सका हैं, मुझे इसका गर्भ है। गोंड समाज education के क्षेत्र में बहुत पिछड़ा हुआ है। आप लोग सिर्फ nasha में डूबे रहतें हैं, इससे बाहर निकलने की जरूरत है। इन्होंने कहा-सिमडेगा सबसे पिछड़ा जिला है-यहां कोई मिनिरलस नहीं है, कारखाना है, लेकिन मेनपावर है यहां। इसी से विकास किया जा सकता है। इन्होंने कहा-अपने बेटियों को दिल्ली, बोम्बे धंगरिन काम करने नहीं भेजें।
kamleshji ने संबोधित करते हुए कहा-दयामनी दीदी पूरा जीवन समाज के लिए सार्पित की
है जो ताकत आप के पास है आप अपना ताकत से हम को भी मजबूत करें। मैं ने भी तय की-यहां एक अपने ही समाज के बड़े अधिकारी हैं दूसरा अपने ही समाज के मंत्री हैं, तब अपने समाज के प्रति आप की क्या जिम्मेवारी है इस पर सवाल उठाना भी जरूरी है। मैं ने अपनी बात ’शुरू करते हुए-झारखंड में आदिवासियों की संख्या दिनोंदिन घटते जा रही है। इसके क्या कारण हैं इसे पहचान करने की जरूरत है। साथ ही इसे कैसे सामना किया जाए, रोका जाए ताकि सामाज का अस्तित्व बना रहे, इसकी चिंता हम सबको करने की जरूरत है। 1991 का सेन्सस में आदिवासियों की आबादी 27.67 प्रतिशत था। 2001 घटकर 26.03 प्रतिशत हुआ। राज्य की आबादी पर ही हर समुदाय के संवैधानिक अधिकार तय किये जाते हैं। आदिवासियों की घटती आबादी को देखते हुए ही आदिवासी विरोधी ताकतें आदिवासी समुदाय को मिले एसेंमबेली और परलियामेंट सीटों में मिले अरक्षित सीट को डीलिमिटेसन करने का योजना तैयार किया गया हैं। जिसको 2006 में ही लागू करने की कोशिश केंन्द सरकार ने की थी। जनआंदोलन के कारण सरकार सफल नहीं हो सकी। मैंने सवाल उठाया-आज आदिवासी समाज की बेटियां दिल्ली, बाम्बे, कलकत्ता जैसे महानागरों में दाई काम करने के लिए दलालों और बिचैलियों द्वारा ठग-फुसलाकर ले जायी जा रही हैं। यह काला धंधा प्रशासन और राजनीतिक तत्रं के सहयोग से ही बेरोकटोट चल रहा हैं। वहां उनका शारीरिक , मानसिक और आर्थिक शोषण हो रहा हैं। जबतब हम इन दलाल-बिचैलियों का पहचान कर इस गिरोह पर सख्त कार्रवाई नहीं की जाएगीं, मानव तस्करी नहीं रोका जा सकता हैं। इसके लिए मंत्री महोदया आप सत्ता में हैं आप लोगों को ही इसदिशा में कदम उठाना होगा। साथ ही जो सक्ष्म अधिकारी हैं उनकी भी जिम्मेवारी है।
मैंने सवाल उठाया-जो समाज आर्थिक रूप से कमजोर है उस समाज को हर स्तर पर दबाने की कोशिश सभी करते हैं। हम दोष लगा कर अपनी कि नशा में डूबे रहते हैं-अपने इस को समाज के प्रति जो जिम्मेवारी है इससे बरी नहीं कर सकते हैं। इनको सही दिशा देना, education के क्षेत्र में इसको आगे लाना, रोजगार मुहाईया कराना हम पढ़े लिखे लोगों की जिम्मेवारी हैं। सरकार तथा राजेताओं को इसकी कोई चिंता नहीं हैं। मंत्री महोदया से अग्राह है कि-आप के पास सभी ताकत है-झारखंड की बेटियों को मजानगरों में बिकने से बचाना होगा, आदिवासियों को उनका अधिकार दिलाना होगा। इस इलाके में कई छोटी नदियों के साथ शंख नही बह रही हैं । इन नदियों का पानी को पाईप बिछा कर किसानों के खेतों तक पहुंचाएं, तब हर खेत को पानी, हर हाथ को काम मिलेगा। तब पलायन तो रूकेगा ही सिमडेगा जिला का चैतरफा विकास होगा। सरकारी योजनाओं द्वारा विकास का मतलब आज सिर्फ नेताओं, ठेकेदारों और अधिकारियों का विकास करना हैं। हर योजनओं पर प्रखंड कार्यालय में बैठे जुनियर इंजीनियर का अधिपत्य होता है। जब तब मुंह मांगा पीसी नहीं मिलेगा, किसी कागज पर सही नहीं करता है। इस लूट तंत्र का खत्म करना होगा। यह जिम्मेवारी मंत्री महादया एवं जिम्मेदार अधिकारियों का है।
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