VOICE OF HULGULANLAND AGAINST GLOBLISATION AND COMMUNAL FACISM. OUR LAND SLOGAN BIRBURU OTE HASAA GARA BEAA ABUA ABUA. LAND'FORESTAND WATER IS OURS.
Thursday, November 25, 2010
उलगुलान का MASHAL
15 नवंबर 1875 भारत के कालेंडर में एक महत्वपूर्ण दिन है। भारत में जब इस्ट इंडिया कंपनी ने व्यवसाय करने के लिए अपना कदम रखा और धीरे धीरे अपना पांव छोटानागपुर आज (jharkhand) की धरती पर फैलाया। इस कंपनी के माध्यम से अंगे्रजी हुकूमत ने देश की स्वतंत्रता छीन कर अपना शासन थोपा। एक-एक करके यहां के संसाधनों पर कब्जा जमा लिया। समाज को अपना बंधुवा मजदूर बना लिया। देश की स्वतंत्रता के साथ पूरी मानव सभ्यता निरंकुश अंग्रेज हुकूमत के हाथों जकड़ चुका था।
छांेटानागपुर वर्तमान झारखंड की धरती जहां अबुआ हातु रे अबुआ राईज, हमर गांव में हमर राईज का वस्तविक अत्मा था, की हत्या अंगे्रजों की गुलामी ने की। यहां की विरासत-जल, जंगल, जमीन, समाज पर कब्जा करने के लिए दमन किया जाने लगा। बैठबेगारी से समाज तार तार होने लगा था।
एैसे समय में 15 नवंबर 1875 को छोटानागपुर की धरती में बिरसा मुंडा का जन्म उलीहातु के सुगना मुंडा के घर हुआ। पिता सुगना मुंडा और मां करमी मुंडा के गोद पैदा हुआ बालक बाद में अंग्रेजों के गुलामी का जंजीर तोड़ने के लिए उलगुलान का म’ााल थामा। वीर बिरसा मुंडा 25 साल की उम्र में उलगुलान के नायक बने। इनके अगुवाई में झारंखड में मुक्ति संग्राम के नगाड़ा से पूरा छोटानागपुर डोल रहा था। बिरसा मंुडा ने अंग्रेज shasan के सामने घुटना नहीं टेका। मुक्ति का हथियार जनआंदोलन की जन’ाक्ति को बनाया।
इनके संघर्ष और बलिदान ने छोटानागपुर की जल-जंगल-जमीन, भाषा-सांस्कृति, मानव समाज, पर्यावरण की रक्षा के लिए छोटानागपुर का’तकारी अधिनियम(ब्दज ।बज 1908) बनाने को मजबूर किया। इनकी रक्षा के लिए झारखंड अलग राज्य की मांग की गयी थी। इसके लिए आदिवासियों-मूलवासियों ने लंबी लड़ाई लड़ी।
15 नवंबर 2000 को अलग राज्य बना। लेकिन यह यहां के आदिवासियों-मूलवासियों के अलग राज्य के सपनों को साकार करने के लिए राज्य का पूर्नाठन नहीं किया गया। इसके पीछे राज्य के प्रकृतिक संसाधनों पर पूजींपतियों को कब्जा दिलाने का रास्ता प्रस्सत करना था। अलग राज्य बनने के दास साल में राजतंत्र ने 101 बड़े पूंजीपतियों के साथ एमओयू हस्ताक्षर कर यह साबित कर दिया है। आज पूरी व्यवस्था, सरकारी मशीनरी प्रशासन, राजनीतिक तंत्र झारंखंड के जल-जंगल-जमीन-नदी, झरना, खेत-खलिहान सभी को कंपनियों को सौंपने के लिए हर साम-दाम-दंड-भेद अपना कर किसानों पर दमन का नया दौर शुरू कर दिया है। बडे डैम के खिलाफ संघर्षरत कोयलकारो जनसंगठन पर हुए 2 फरवरी 2001 को पुलिस फायरिग, 6 दिसंबर 2008 को पवार प्लांट तथा कोयला खदान के खिलाफ संघर्षरत जनता पर पुलिस फायरिंग इसका गवाह है।
आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच 15 नवंबर 1875 के इतिहास को आज राज्य के नवनिर्माण में मत्वपूर्ण भूमिंका मानता है। जो आज राज्य को फिर से पूंजिपतियों, भ्रष्टाचारियों, झारखंड के सौदागारों के हाथों गिरवी रखने के तमाम प्रयासों को बेनाकाब करने की कोशिश करेगा। इसी प्रयास में आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच 15 नवंबर 2010 को बिरसा उलगुलान को आगे बढ़ाने के लिए बिरसा जयंती मनाया
कार्यक्रम-युवा वर्ग के लिए-
1-युवाकों का होकी टूर्नामेंट
2-युवातियों का फूटबल टूर्नामेंट
3-महिलाओं का खेल प्रतियोगित-स्थानीय जीवनसैली से संबंधित होगा
4-पुरूष वर्ग के लिए प्रतियोगिता-स्थानीय जीवनसैली
5-तीरंदाजी प्रतियोगित-सभी वर्ग के लिए
स्थान-किता टोली -मैंदान-मरचा रनियां चैक के पास -दुगलू बगाईचा
नोट- कार्याक्रम 13 नोवंबर से लड़कियों का फूटबल टुरनामेंट बनाविरा मैंदान में ‘शुरू किया गया। साथ ही लड़कों का हाकी खसी टुरनामेंट भी ‘शुरू किया गया।
13 से 17 नोवेबर के बीच संगठन इलाके गावों से कुल 18 पुरूष होकी टीम खेला
17 नोवेबर के फाइनल में कुलड़ा टीम ने पोजे की टीम को हरा कर जीत हाशिल किया। चुकरू की टीम ने उरमुडिंग की टीम का हरा कर जीत हाशिल किया।
बिजेता तथा उपविजेता टीम को खसी दिया गया। साथ ही सभी टीम को बिरसा मुंडा का आदम कद छाप बना टीसट दिया गया।
माहिला फूटबल में कुलडा की टीम ने टीटी की टीम को हरा कर जीत दर्ज किया।
15 नोवेम्बर को सुबह से सांस्कृतिक कार्यक्रम चला। कार्यक्रम के प्ररंभ में वीर बिरसा मुंडा के प्रतिमा में मल्यापर्ण किया गया। बाहर से आये अतिथियों को भी स्वागत किया गया। कुलडा के बाल कलाकारों ने उलगुलान का मशाल के साथ-हम नया समाज बनाऐंगे के गीत के नाच प्रस्तुत किया।
महिला तीरंदाजी 25 महिलाओं नंे भाग ली।
पुरुस में 36 लोगों ने भाग लिया।
बच्चों का बिस्कुट रेस हुआ-इसमें 60 बच्चों ने भाग लिया।
महिलाओं का कुर्सी रेसी हुआ-30 लोगों ने भाग ली ।
हमारह बच्चनबद्वता है-1-जल, जंगल, जमीन का रक्षा करना
2-मानव संसाधन का विकास
3-भाषा-संस्कृति की रक्षा
4-पर्यावरणा और मानवसभ्यता का विकास
5-ग्लोबल वामिंग को रोकना
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