Sunday, November 1, 2020

Unlawful Activities (Prevention) Amendment Bill, 2019 गैन-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन कानून , 2019

             Unlawful Activities (Prevention)   Act- 1967 

           गैन-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून-1967

* यह कानून भारत की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालने वाली गतिविधियों को रोकने के उद्वेश्य से बनाया गया था। 


* इस कानून के तहत सिर्फ संगठनों को ही आतंकवादी संगठन घोषित किया जा सकता था।


* स्ंाशोधन के बाद अब संस्था, संगठनों को ही नहीं, व्यक्ति को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकता है


* इतना ही नहीं किसी व्यक्ति पर शक होने पर ही उसे आतंकवादी घोषित कर सकते हैं।


* खास बात यह है कि वह व्यक्ति का उस संगठन से संबंध रखना “रखना “ दिखना भी जरूरी नहीं है। 


* आतंकी का टैग हटाने के लिए कोर्ट में नहीं जा सकते हैं


* आतंकी टैग हटाने के लिए कोर्ट जाने के बजाए सरकार द्वारा बनाई गयी रिव्यू कामेटी के पास जाना पड़ेगा


* सरकार द्वारा बनायी गयी रिव्यू कामेटी में जाने के बाद ही कोर्ट में अपनी मे जा सकते हैं। 

* संशोधन के बाद कानून का दायरा बढ़ा है इसी कारण से इसका इस्तमाल अपराधियों के साथ-साथ लेखकों, आतंक संबंधी मामलों के वकील और एक्टिविस्टस पर भी हो सकता है। 

* यह कानून संविधान के अनुछेद -19 द्वारा प्रदत्त वाक व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शस्त्रों के बिना एकत्र होने के अधिकार और संघ बनाने के अधिकार पर युक्तियुक्त प्रतिबंध आरोपित करता हैं 

* राष्ट्रीय एकता परिषद द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय एकता और क्षेत्रवाद पर समिति ने उपरोक्त मौलिक अधिकारों पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाने का अनुमोदन किया। 

* इस कानून में पूर्व में भी वर्ष 2004, 2008, 2012 में संशोधन किया जा चुका है। 

UAPA  के सेक्शन 2(व) में कहा गया है कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल करना भी गैरकानूनी गतिविधि है। लेकिन महज सवाल करना कैसे गैरकानूनी हुआ? और किस बात को सवाल करना माना जाएगा? ऐसे ही इस कानून के तहत भारत के खिलाफ असंतोष फैलाना भी अपराध है, लेकिन कानून में कहीं भी “ असंतोष “ को परिभाषित या उसका मतलब नहीं बताया गया है। यही बात गैरकानूनी संगठनों, आतंकवादी गैंग और संगठनों की सदस्यता को लेकर है, आतंकी संगठन वो होते हैं, जिन्हें सरकार घोषित करती है। इसका सदस्य पाय जाने पर आजीवन कारावास मिल सकता है, लेकिन कानून में सदस्यता की कोई परिभाषा नहीं है, इसी बिनाह पर कई एक्टिविस्टों पर इस कानून के तहत केस दर्ज हुआ है। 


कानून में कठोर प्रावधान के किये गये हैंः

क-इस कानून का सेक्शन 43D (2) किसी शख्स के पुलिस कस्टडी में रहने के समय को दूगुना कर देता है


ख-इस कानून के तहत 30 दिन की पुलिस कस्टडी मिल सकती है, वहीं न्यायिक हिरासत ऐसे अपराध में 90 दिनों की हो सकती है। जिनमें किसी और कानून के तहत कस्टड़ी सिर्फ 60 दिन की होती।


ग -अगर किसी व्यक्ति पर इस कानून के तहत केस दर्ज है, तो उस व्यक्ति को अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती। अगर उसे पुलिस छोड़ दिया हो, तब भी उसको अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती है। 


घ-ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि इस कानून के सेक्शन 43D (5) के अनुसार कोई व्यक्ति को जमानत नहीं दे सकता है, अगर उसे खिलाफ प्रथम दृष्टाया मामला(केस) बनता है। 


              Unlawful Activities (Prevention) Amendment Bill, 2019

               गैन-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम)  संशोधन कानून , 2019

                               

* इस कानून के बाद  NIA ( National Investigation Agency )  राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण, के पास असीमित अधिकार आ गए।


* आतंकी गतिविधियों में शक के आधार पर किसी व्यक्ति को उठा सकेगी साथ ही संगठनों को आतंकी संगठन घोषित कर कार्रवाई कर सकेगी।


* पहले NIA को कार्रवाई करने के लिए राज्य के पुलिस प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती थी।


* इस संशोसन के बाद अब राज्य पुलिस से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।


* अब NIA की मनमानी बढ़ सकती है।


* पहले किसी भी मामले की जांच डिप्टी सुपरिटेंडेंट आॅफ पुलिस (डीएसपी या अशिस्टेंड कश्मिनर आॅफ पुलिस) रैंक के अधिकारी ही कर सकते थे।


* अब इंस्पेक्टर रैंक या उससे उपर के किसी को भी अधिकारी जांच कर सकते हैं।


*      इस कानून का सत्ता पक्ष गलत उपयोग कर सकती है 


* अब यह कानून सरकार को किसी भी व्यक्ति को न्यायिक प्रक्रिया का पालन किये बिना आतंकी घोषित करने का अधिकार देता है जिससे भविष्य में राजनैतिक द्वेष अथवा किसी अन्य दुर्भावना के आधार पर दुरूप्योग भी किया जा सकता है।  

* इस संशोधन में आतंकवाद की निश्चित परिभाषा नहीं किया गया है, इसका नकारात्मक प्रभाव यह हो सकता है कि सरकार एवं राष्ट्रीय जांच एजेंसी आतंकवाद की मानमानी व्याख्या द्वारा किसी को भी प्रताड़ित कर सकते हैं। 

* यह संशोधन किसी भी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने की शक्ति देता है जो किसी आतंकी घटना की निष्पक्ष जांच को प्रभावित कर सकता है

* पुलिस राज्य का विषय है परंतु यह संशोधन NIA को संपति को जब्त करने का अधिकार देता है जो कि राज्य पुलिस के अधिकार क्षेत्र में कमी करता है। 

नोट-संशोधन बिल 24 जुलाई 2019 को लोक सभा में पास हुआ-पक्ष में 287 वोट किया, जबकि विपक्ष में 08 वोट किया था।