VOICE OF HULGULANLAND AGAINST GLOBLISATION AND COMMUNAL FACISM. OUR LAND SLOGAN BIRBURU OTE HASAA GARA BEAA ABUA ABUA. LAND'FORESTAND WATER IS OURS.
Thursday, November 18, 2010
15 नवंबर 1875 भारत के कालेंडर में एक महत्वपूर्ण दिन है। भारत में जब इस्ट इंडिया कंपनी ने व्यवसाय करने के लिए अपना कदम रखा और धीरे धीरे अपना पांव छोटानागपुर आज(झारखण्ड ) की धरती पर फैलाया। इस कंपनी के माध्यम से अंगे्रजी हुकूमत ने desh की स्वतंत्रता छीन कर अपना shashan थोपा। एक-एक करके यहां के संसाधनों पर कब्जा जमा लिया। समाज को अपना बंधुवा मजदूर बना लिया। desh की स्वतंत्रता के साथ पूरी मानव सभ्यता निरंकुश अंग्रेज हुकूमत के हाथों जकड़ चुका था।
छोटानागपुर वर्तमान झारखंड की धरती जहां अबुआ हातु रे अबुआ राईज, हमर गांव में हमर राईज का वस्तविक अत्मा था, की हत्या अंगे्रजों की गुलामी ने की। यहां की विरासत-जल, जंगल, जमीन, समाज पर कब्जा करने के लिए दमन किया जाने लगा। बैठबेगारी से समाज तार तार होने लगा था।
ऐसे समय में 15 नवंबर 1875 को छोटानागपुर की धरती में बिरसा मुंडा का जन्म उलीहातु के सुगना मुंडा के घर हुआ। पिता सुगना मुंडा और मां करमी मुंडा के गोद पैदा हुआ बालक बाद में अंग्रेजों के गुलामी का जंजीर तोड़ने के लिए उलगुलान का मशाल थामा। वीर बिरसा मुंडा 25 साल की उम्र में उलगुलान के नायक बने। इनके अगुवाई में झारंखड में मुक्ति संग्राम के नगाड़ा से पूरा छोटानागपुर डोल रहा था। बिरसा मंुडा ने अंग्रेज shasan के सामने घुटना नहीं टेका। मुक्ति का हथियार जनआंदोलन की जनमुक्ति को बनाया।
इनके संघर्ष और बलिदान ने छोटानागपुर की जल-जंगल-जमीन, भाषा-सांस्कृति, मानव समाज, पर्यावरण की रक्षा के लिए छोटानागपुर का’तकारी अधिनियम(ब्दज ।बज 1908) बनाने को मजबूर किया। इनकी रक्षा के लिए झारखंड अलग राज्य की मांग की गयी थी। इसके लिए आदिवासियों-मूलवासियों ने लंबी लड़ाई लड़ी।
15 नवंबर 2000 को अलग राज्य बना। लेकिन यह यहां के आदिवासियों-मूलवासियों के अलग राज्य के सपनों को साकार करने के लिए राज्य का पूर्नाठन नहीं किया गया। इसके पीछे राज्य के प्रकृतिक संसाधनों पर पूजींपतियों को कब्जा दिलाने का रास्ता प्रस्सत करना था। अलग राज्य बनने के दास साल में राजतंत्र ने 101 बड़े पूंजीपतियों के साथ एमओयू हस्ताक्षर कर यह साबित कर दिया है। आज पूरी व्यवस्था, सरकारी मशीनरी prasashan, राजनीतिक तंत्र झारंखंड के जल-जंगल-जमीन-नदी, झरना, खेत-खलिहान सभी को कंपनियों को सौंपने के लिए हर साम-दाम-दंड-भेद अपना कर किसानों पर दमन का नया दौर shuru कर दिया है। बडे डैम के खिलाफ संघर्षरत कोयलकारो जनसंगठन पर हुए 2 फरवरी 2001 को पुलिस फायरिग, 6 दिसंबर 2008 को पवार प्लांट तथा कोयला खदान के खिलाफ संघर्षरत जनता पर पुलिस फायरिंग इसका गवाह है।
आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच 15 नवंबर 1875 के इतिहास को आज राज्य के नवनिर्माण में मत्वपूर्ण भूमिंका मानता है। जो आज राज्य को फिर से पूंजिपतियों, भ्रष्टाचारियों, झारखंड के सौदागारों के हाथों गिरवी रखने के तमाम प्रयासों को बेनाकाब करने की ki koshish करेगा। इसी प्रयास में आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच 15 नवंबर 2010 को बिरसा उलगुलान को आगे बढ़ाने के लिए बिरसा जयंती मनाने का निर्णय लिया था
कार्यक्रम-युवा वर्ग के लिए-1-युवाकों का होकी टुरनामेट
2-युवातियों का फुटबाल टुरनामेट
3-महिलाओं का खेल प्रतियोगित-स्थानीय जीवनसैली से संबंधित huwa
4-पुरूष वर्ग के लिए प्रतियोगिता-स्थानीय जीवनसैली
5-तीरंदाजी प्रतियोगित-सभी वर्ग के लिए
स्थान-किता टोली -मैंदान-मरचा रनियां चैक के पास
नोट- कार्याक्रम 14 से प्ररंभ होकर 15 नवंबर को संल्कप के साथ समाप्त होगा। जो भी साथी, जो इस राज्य तथा दे’ा को आज के नवसम्राज्यवाद के गुलामी के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं, या इस दिशा में चिंतन करने वाले-नवनिर्माण के बिरसा उलगुलान समारोह में सबो आमंत्रित किया गया था ।
निवेदक-आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच
खूंटी-गुमला
मंच ख़ुशी जाहिर करते हुए यंहा बताना चाहती है की- इस समाहरोह में तन, मन धन से लोगों ने भाग लिया होकी एवं फुटबाल खल १३ नोंवेम्बर से बनाविरा मैदान में शुरू किया गया, महीले होकी टीम में ५ टीम शामिल हुआ। पुरुस होकी टीम में १८ टीम शामिल हुआ। सबसे सुखद बात यह है-की आज तो जो युवक विस्थापन के खिलाफ नारा लगते थे, आज अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर होकी के नाम से प्रसिद झारखण्ड के कुशल होकिप्लेयर के रूप में बल को हवा में उड़ा रहे हैं। मीटिंग में पानी पिलाने वाली बालिकाओं के किक से फुटबाल हवा से बातें करने लगा।
हमारी बचानबद्ता है
१-जल जगन जमीन की रक्षा करना
२-मानव संसाधन का बिकास करना
३-मानव सभ्यता और पर्यावरण की रक्षा करना
४-ग्लोबल वार्मिंग को रोकना
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment