Monday, November 1, 2010

जल जंगल जमीन सम्पति नहीं हमारी धरोहर है






दिन
भर करमा राजा के साथ khushi से झुमते रहे-अब करमा राजा को अखड़ा से विदा कर कारो नदी में मान-सम्मान के साथ विदा देने की तैयारी चल रही है। पूरा रीति विधि के साथ करमा राजा को अगले साल फिर से इस अखड़ा में आने की दुवा करते हुए -इन्हें अखड़ा से विदा दे रहे हैं
करमा को नाचते-गाते कारो नदी ले जा रहे हैं। आज ऐतिहासिक दिन है-जब तोरपा, कमडारा और कर्रा प्रखंड के कई गांवों के लोग एक साथ प्रकृति त्योहार करमा को मना रहे हैं। यही नहीं हजारों लोग करमा को विदा देने कारो नदी तक करीब 4 किमी दूरी mandar की थाप पर नाचते गाते तय कर रहे हैं।
गीत-दिने तो करम राज गांवे आले
करम अखेड़ा में बैसाय
अब तो करम राजा
बोहाय जाबे करम
बोहाय जाबे-२

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