नया सराय पुनार्वास गाँव----सायद दुनिया में कोई ऐसा आदमी नहीं है, जो नहीं चाहता है की उनका एक सुन्दर, अच्छा सा माकन हो। माकन इतना बड़ा जरुर हो, जन्हा परिवार के सभी सदस्यों को सोने, उठने बैठने, रहने, खाना बनाने,लिए प्रयाप्त जगह हो। साथ ही आने जाने वाले मेहमानों को एक रात- दो रात ठहरने के लिए जगह हो। बच्चों को पढने के लिए जगह हो। लेट्रिन - बाथरूम हो। एक परिवार को कम से कम इतनी सुविधा हो।
पुनार्रवास के नाम पर एच ई सी ने सुखलाल होहरा के परिवार को २० डिसमिल जमीन दिया था। इनके चार भाई हैं। एतवा लोहरा, उदित लोहरा, सुखदेव लोहरा, और कार्तिक लोहरा। सभी भाइयों के ५-६ बच्चे हैं। किसी की सरकारी नौकरी नहीं है। सभी रिक्सा खिंच कर अपना परिवार चला रहे हैं। आज तक एच ई सी में किसी को नौकरी नहीं मिली। महिलायं रेज़ा काम करती हैं। तब बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ने की बात हम कैसे सोच सकते हैं। आप जो माकन देख रहे हैं, इसमें नाम के लिए दो छोटे-छोटे कमरे हैं। अन्दर घुस कर देखेंगे तो मन को तकलीफ होगा। सिर्फ एक एक खाना बनाने वाला डेकची, एक कडाही, एक -दो फटे कपडे रस्सी में लटकते मिलेंगे. एक इनकी दुनिया है. लोहरा परिवार अपना ब्यथा सुनते हैं-जब यंहा गाँव था, लोग खेते करते थे, हम किसानों का फल पजाते थे, गाँव में हार तरह की सुविधा थी. सभी मिल-जुल कर रहते थे.आज हमारा सब ख़तम हो गया. रोज खट्टो तो एक बेला खाओ.
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