Monday, November 1, 2010



आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच की लड़ाई सिर्फ आर्सेलर मित्तल द्वारा स्टील प्लांट के लिए जमीनअधिग्रहण के खिलाफ नहीं हैहमारी लड़ाई समाज, भाषा-संस्कृति, पर्यावरण नदी, झरना, खेती-किसानी, हवा-पानी, मानव सभ्यता को बचाने के साथ ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ संघर्ष है. हमने नारा दिया है-हम अपनेपुर्बजों की एक इंच जमीन नहीं देंगेहमारे इस बिराशत-इतिहास और पहचान को किसी मुवाजे की राशी से नहींभरा जा सकता है, ना ही इसको पुनर्वासित किया जा सकता हैहम बिकास चाहते है- लेकिन हमारे कीमत परनहींआजादी के ६३ सालों में हमने देख लिया- हमने राज एवं देश बिकास के लिए तमाम बुनियादी आवस्यकताखान- खनिज, नदी- पहाड़-पानी, जंगल-जमीन दियालेकिन बिकास के नाम पर सिर्फ उजड़ा गयाआजादी केबाद राज के ८० लाख आदिवासी मूलवासी किसानो को बिस्थापित किया गयाइसमें से मटर - प्रतिशत कोकिसी तरह से पुनर्वासित किया गया हैबाकी बिस्थापित आज एक बेला की रोटी के लिए, रोजगार के लिएbहटाक रहे हैं. उनके बचों को पढ़ने की कोई बेवस्थ नहीं है. स्वस्थ की सुबिधा नहीं है. उनके ऊपर छात नहीं हैउनके बदन में कपडे नहीं हैंबिकास के नाम पर उन्हें बंधुआ मजदुर, रजा, कुली, नौकरानी, घर बिहीन बना दिया
ना राज सरकार को इसकी चिंता है, ना केंद्र सरकार कोसरकार पूंजीपतियों के लिए दर्जनों बिकास नीति बनायीं, लेकिन बिकास के नाम पर उजड़े गए लोगों के बिकास के ना तो किसी के पास सोच है, और ना ही चिंता हीइसलिए हमने संकल्प लिए है- अब हम अपने पुर्बजों की एक इंच जमीन नहीं देंगेहम बिकास चाहते हैं- अपनेभाषा -संस्कृति, जंगल-जमीन, पर्यावरण, कृषि, नदी-झरनों के साथ.

2 comments:

  1. किसी को चिन्ता नहीं है दूसरे की. सिर्फ और सिर्फ अपने स्वार्थ की पूर्ति में लगे हैं सब लोग..

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  2. मुझे आप के द्वारा लिये गये पोजीसन और एंगल बहूत ही भाते है ... ये यूनिक है ....

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