Tuesday, November 2, 2010

बिकास का असली चेहरा-1


इस मुहाला की देख कर सायद आप नाक और मुंह ढँक रहे होंगेइसे देख कर आप कर दिमाक में शहर के झुगी-झोपडी में रहने वालों की जिंदगी की तशबीर खिंच गयी होगीगंदगी देख कर आप इन मुहलेवासियों को गली दे रहे होंगे, की कितने फूहड़ लोग हैं, जो इस तरह कीचड़ में रहते हैंइस मुहाला की सूरत देख कर आप के मन में उनके प्रति कई नीच बिचार रहे हैंमै जान रहे हूँ
आप के मन में ये तमाम बिचार सिर्फ इस मुहाले की तशबीर देख कर उठ रहे हैंयदि आप इस मुहाले में रहते, इस रास्ते से आप गुजरते, तो सायद आप के लेई मुश्किलें बढ़ जातीआप एक हाथ से आप का सामान संभलते, एक हाथ से नाक और मुंह ढंकते, नजर इस्थिर कर कीचड़ में अपना एक एक पांव कंहा सम्हाल कर रखते ॥?
हाँ हमें जानना चाहिए, यह कौन सा मुहाला हैकंहा हैकौन लोग रहते हैंक्यों ऐसा रहते हैंइस तरह की जिंदगी क्यों जी रहे हैंइसके लिए क्या ये खुद जिमेदार हैंयह किसने इन्हें इस तरह की जिंदगी इन्हें भेंट की है.
देश के नक़्शे में झारखण्ड का एक बिशेष पहचान हैजी हाँ खनिज सम्पदा के नाम पर दुनिया में मशहुर है
झारखण्ड की राजधानी रांची के मात्र किलो मीटर दूर रांची खूंटी रोड में अवस्थित है नया सतरंजी गांव. नया सब्द सुन कर हार कोई मन उत्साहित होता है, की नयी बात क्या है. सायद आप ही उत्साहित हो रहे होंगे, जानने की लिए
तो आप थोडा समय दीजिये, मै बताती हूँआजादी के बाद देश बिकास के लिए १९५६-५७ में रांची जिला के हटिया इलाके में हेबी इंजीनियरिंग कारपोरेसन यानि एच सी बना. कारखाना बना ने के लिए १६ गाँव को उजड़ना पड़ा थाइसमें सतरंजी गाँव भी थागाँव से उजड़ने के बाद सतरंजी के लोगों को सरकार पुनर्वास याने पुन स्थापित करने के नाम पर यंहा किसी परिवार को १० डिसमिल तो किसी को १५ डिसमिल जमीन दे कर बसाया थानए जगह में बसाया गया सतरंजी गाँव कोइसलिए इस गाँव को नया सतरंजी का नाम दिया गया
गानों को हटाने के पहले सरकार ग्रामीणों से वादा किया थातुम लोगों को आदर्श गाँव में बसायेंगेवंहा स्कूल होगा, अस्पताल होगा, पका माकन देंगे, रोड बना देंगेबिजली देंगेपानी देंगेखेल मैदान देंगेबचों के खेलने के लिए पार्क देंगेकब्रस्थान देंगेआदिवासिओं के लिए सरना, मसना, हद गाड़ी, मंदिर, मज्जिद देंगेलोगों को जीविका के लिए पीढ़ी दर पीढ़ी नौकरी देने का वादा किया था
कहने की जरुरत नहीं हैइन्हें क्या मिलामुहाला -गाँव देख कर समझ गए होंगेयंहा करीब १०० घर हैंआज तक इस गाँव के लोगों ने बिजली का रौशनी अपने घरों में नहीं देखा अगस्त २०१० को जब मै इनके पास गयी थी, लोगों ने एक पोल खूंटा खड़ा किया गया था, को दिखा कर बताये..पिछले रबिवर को हम लोग इस खूंटा को खरीद कर गड़े हैंअब फिर से गाँव से पैसा जमा कर बिजली लेन का कोशिश करेंगेआज इस गाँव में एच सी में मात्र -१० लोग नौकरी करने वाले हैंबाकी कुली, रेज़ा, दिहाड़ी मजदूरी, शराब बेचती हैं- महिलाये और बचियाँपुरुष रिक्शा चलते हैंयही नयापन है, इनके जिंदगी मेंपहले ये जमीन, जंगल, खेत के मालिक थेये आनाज पैदा कर देश को खिलते थे

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