करमा को करो नदी में बिदाई के लिए ले जा रहे हैं
जल जंगल जमीन ही हमारी सभ्यता -संस्कृति का ताना बना है। हम तब तक आदिवासी मूलवासी हैं, जब तक हम प्रकृति से जेड़े हुए हैं। यह इतिहासिक सचाई है की आदिवासी मूलवासी के बिना ना तो जल जंगल जमीन की कल्पना की जा सकती है, ना ही आदिवासी समाज की. यही कारण है की आज भी जंगल वन्ही बचा हुआ है, जंहा आदिवासी समाज है.
वाह अपने बहुत ही अच्छा reproduce किया है एक सच्चा आभासी प्रस्तुति है
ReplyDeleteआप ने सही कहा है| धन्यवाद|
ReplyDelete