28 फरवरी 2012
जनजातीय सलाहकार परिषद के सदस्य प्रो डी हांसदा का कहना है कि छोटानागपुर kastkari अधिनियम (सी एन टी एक्ट) और संताल परगना kastkari अधिनियम (एस पी टी एक्ट) के कुछ प्रावधानों में sanshodhan संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि 1990 में हुए संविधान के 66 वें sanshodhan की वजह से ऐसा हुआ है। 66 वें sanshodhan के तहत सभी राज्यों के भूंमि सुधार कानूनों को संविधान की नौंवी अनूसूचि में shamil करने की बात कही गयी है।
नतीजन भूंमि संबंधी विवादों को कम करने और जनजातियों के मौलिक अधिकारों को संरक्षित करने के प्रावधान sanshodhan में किये गये हैं। प्रो हांसदा के अनुसार इसमें सीएनटी एक्ट 1908 (बंगाल एक्ट 6 आॅफ 1908) के अध्याय आठ की धारा 46, 47, 48, 48 ए, 49 और अध्याय 10 की धारा 71, 71 ए और 71 बी को shamil किया गया है।
छोनों कानूनों की इन धाराओं में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़ी जाति की जमीन की खरीद-बिक्री और उसके मुआवजे की बातें कही गयी है। साथ ही साथ संताल परगना टेंनेसी एक्ट (पूरक sanshodhan ) एक्ट 1949 की धारा 53 को छोड़ सभी धारांए shamil हैं। टीएसी सदस्य के अनुसार जहां तक थाने की बात है, वह 1908 में परिभाषित थाने हैं। उस समय पूर्वी सिंहभूम और प’िचमी सिंहभूुम में सिर्फ दो थाने थे। वह भी ghatsheela और चाईबासा थाने के रूप में जाना जाता था। उनके अनुसार किसी भी न्यायालय के पारित aadesh से 66 वें sanshodhan की बातों में और बदलाव नहीं किया जा सकता है।
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