Thursday, April 25, 2019

यानी बिल्डर या अन्य सरकार से हासिल जमीन का हस्तांत्रण कर सकेगें। जमीन सब लीज की जा सकेगी। फ्री होल्ड पर ली गयी सरकारी जमीन आगे बेची भी जा सकेगी।

 बिलडरों को फ्री होल्ड पर जमीन दे सकती है सरकार
12 मार्च 2018-प्रभात खबर
लीज पर सरकारी जमीन लेकर उसका व्यावसायिक इस्तेमाल करने वालों को बड़ी राहत मिल सकती है। सरकार व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए फ्री होल्ड पर जमीन देने पर विचार कर रही है। यानी बिल्डर या अन्य सरकार से हासिल जमीन का हस्तांत्रण कर सकेगें। जमीन सब लीज की जा सकेगी। फ्री होल्ड पर ली गयी सरकारी जमीन आगे बेची भी जा सकेगी। भू-राजस्व विभाग को इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये गये है। कैनिनेट की मंजूरी के बाद इसे लागू किया जा सकेगा। फिलहाल, सरकारी जमीन बेची, खरीदी या किराये पर भी नहीं दी जा सकती है। सरकार से लीज पर ली गयी जमीन के हस्तांत्रण का कोई प्रावधान नहीं है। 
अफोडैबल हाउसिंग के लिए हो रहा है प्रावधान-व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए दी जाने वाल सरकारी जमीन के हस्तांत्रण से संबंधी प्रावधान राज्य में अफोडेबल हाउसिंगक को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। रिहायशी सोसाइटी और बहुमंजिली भवनों में सस्ती दर पर आवास उपलब्ध कराने के लिए सरकार निजी निवेश आमंत्रित कर रही है। परंतु राज्य में सरकारी जमीन के हस्तांत्रण से संबंधित प्रावधान नहीं होने की वजह से बिल्डर इसमें रूची नहीं ले रहें हैं। 
सरकारी जमीन के हस्तांत्रण का नियम लागू होने के बाद सरकार से लीज यह फ्री होल्ड पर ली गयी भूमि की खरीद-बिक्री की जा सकेगी, इससे राज्य में सबको आवास उपलब्ध कराने की अफोडेबल हाउसिंग योजना में तेजी आयेगी। 
उद्योगों के लिए है प्रावधान-उद्योगों के लिए राज्य में जमीन हस्तांत्रण का प्रावधान पहले ही लागू किया जा चुका है। लैंड बैंक की सरकारी जमीन झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (जियाडा ) को दी जाती है। उद्योगों के लिए (जियाडा ) को उस भूमि को स्थायी हस्तांत्रण उद्योगपति को करता है। औद्योगिक विकास के लिए तय सरकारी जमीन का यह हस्तांत्रण स्थायी होता है। इसके बाद भू-राजस्व विभाग यह नहीं कह सकता है कि जमीन का तय उपयोग नहीं हो पा रहा है, इसलिए जमीन वापस ली जायेगी। पहले भू-राजस्व विभाग किसी को सरकारी जमीन देने पर उसका स्वामित्व अपने पास रखता था। इस वजह से जमीन का हस्तांत्रण नहीं हो पाता था। 


jharkhand वीरों की धरती है। बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो, सिंदराय-बिंदराय, तिलका मांझी, जतरा टाना भगत, नीतंबर-पितंबर, माकी मुंडा, डोंका मुंडा जैसे बीरों की धरती

झारखंड के असली नायकों को इतिहास भूल गया

jharkhand  वीरों की धरती है। बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो, सिंदराय-बिंदराय, तिलका मांझी, जतरा टाना भगत, नीतंबर-पितंबर, माकी मुंडा, डोंका मुंडा जैसे बीरों की धरती। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास बताता है कि अंग्रेजों को अगर देश में किसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा विरोध का सामना करना पड़ा, वह क्षेत्र झारखंड ही है। यहां के आदिवासियों ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया। हजारों शहीद भी हुए। लेकिन पीछे नहीं हटे। झुके नहीं। अंग्रेजों को जमक र सामना किया। दुर्भाग्य की बात यह है कि इनमें से स्वतंत्रता संग्राम के अधिकांश ऐसे नायकों को इतिहास में जगह नहीं मिली। हां भगवान बिरसा मुंडा सिदी-कान्हू, तिलका मांझी जैसे 15-20 नायकों को ही इतिहास ने जगह दी। दरअसल उस समय के इतिहासकारों ने सैकड़ों हजारों वीर आदिवासियों के साथ घेर अन्याय किया। ऐसे नायक गुमनाम ही रह गये। कहीं-कहीं सरकारी दस्तावेजों में इनमें से कई के नाम का सिर्फ उल्लेख है, लेकिल वह भी बहुत खोजने पर मिलता है। ऐसे नायकों को उनके गांव पंचायत के लोग भी शायद नहीं जानते । प्रधानमंत्री ने झारखंड समेत कुछ आदिवासी बहुल राज्यों में भारतीय स्वतंेत्रता संग्राम के नायकों के लिए आदिवासी म्यूजियम बनने का फैसला किया है। लेकिन डर इस बात का है कि इस म्यूजियम में कहीं ऐसे गुमनाम नायक छूट न जायंे। संशय इसलिये है, क्योंकि झारखं डमें ऐसे नायकों का दस्तावेज बनाया ही नहीं गया, जो थोड़े दस्तावेज बने भी होगें, वे नष्ट हो गये होगे। झारखं डमें ऐसे दस्तावेज हैं ही नहीं, इसलिए सबसे बड़ी चुनौती है कि ऐसे नायकों को खोजा जाये। अगर ट्राईबल म्यूजियम में भी ऐसे नायको के बारे में जानकारी नहीं मिलेगी, तो यह म्यूजियम अधुरा ही रहेगा।
देश-दुनिया  के कई बेहतरीन लाइब्रेरी, अभिलेखागार में कुछ दस्तावेज इस संदर्भ में हैं, लेकिन झारखं डमें नहीं। ऐसे दस्तावेजों को विदेशों से भारत उसके बाद झारखंड लाना होगा। यह काम केंन्द्र सरकार ही कर सकती है। कुछ जानकारी आदिवासी समाज के गीतों से भी मिल सकती है। देश और झारखंड अपने वीर नायकों की वीरता की कहानी पढ़ना चाहता हैं, सुनना चाहतो, डनहें सम्मान देना चाहता हे, लेकिन जानकारी मिले तब न, सरकारी दस्तावेजों में कहीं-कहीं सिर्फ ऐसे नायकों के नाम का उल्लेख हैं, वे किस गांव के थे, यह बताना, उनकी चाद में कार्यक्रमों का आयोजन करना भी बड़ा धर्म है और ऐसे नायकों के प्रति सम्मान होगा।
भगवान बिरसा मुंडा को पूरा देश जानता है, उनके बारे में लोगों को जानकारी है, लेकिन कई जा पर जानकारियां विदेशों में हैं, उन दिनों मिशनरी से जुड़े लोग जर्मन से आया करते थे। उन्होंने बिरसा मुंडा के आंदोलन पर काफी कुछ लिखा। उन जानकारियों पर शोध करने की जरूरत है, यहां बात हो रही है, गुमनाम नायकों की, पहले दो नायकों की बात करें। सूरज मांझी और सोना मांझी के बारे में पूरे झारखंड में पता कर लीलिए, शायद ही कोई होगा जो बता पायेगा। संभव है कि उनके गांव में भी लोग इन दोनें के बारे में नहीं जानते होंगे। तो जानिए-सूरज मांझी और सोना मांझी दोनों वृहद झारखंड के थे। सूरज मांझी विद्रोहियों के नेता थे, उन पर अंग्रेजों ने भाषण के माध्यम से उत्तजेना फैलाने के आरोप लगाया था। 13 नवंबर 1ृ857 को उन्हें उम्र कैद की सजा दी गयी। उन्हें कालापानी की सजा हुई थी। 3 सितंबर 1ृ858 को उन्हें अलीपुर जेल से अंडमान जेल भेजा गया। 14 अक्टोबर को उन्हें अंडमान जेल में बंद किया गया था। इसी प्रकार सोना मांझी पर भी इसी प्रकार का अरोप था। 1ृ3 अप्रैल 1ृृृृ858 को उन्हें आजीवन कारावास की सला सुनायी गयी। कालापानी की सजा देने के बाद उन्हें 1ृृृृ4 अक्टोबर 1ृ858 को अंडमान जेल पहुंचाया गया। उसके बाद क्या हुआ, किसी को पता नहीं।
बिरसा के उलगुलान के दौरान एक बड़ी घटना घटी थी। तत्कालीन रांची जिला के गुटुहड निवासी मंगन मुंडा के पुत्र हतिराम मुंडा को अंग्रेजों ने जिंदा दफन करने का शायद ही कोई दूसरा उदाहरण हो, लेकिन आज झारखंड के लोग हतिराम मुडा की वीरता की कहानी को नहीं जानते। लोन यही जानते हैं कि 1ृृृृ855 में भोगनाडीह में संताल विद्रोह हुआ था। 1857 में सिपाही विद्रोह, लेकिन 1ृृृृृ855 और 1ृ857 के बीच यानी 1ृृृृ856  में संतालों ने हजारीबाग, खडगडीहा, बेरमो के आसपास बड़ा विद्रोह कर दिया था। इन्हें एक साल पहले हुए संताल विद्रोह से प्रेरणा मिली थी। इनमें से कई ऐसे संथाल थे, जो 1ृृ855 के विद्रोह में शामिल हुए थे। हजारीबाग के आसपास हुए संताल विद्रेाह के नेता थे रूपु मांझी, अर्जुन मांझी, यह विद्रोह गोला, चितरपुर, पेटरवार और पुरूलिया तक फैल गया था। अंग्रेजों और उनके पिछलगू जमींदारों-महाजनों ने संतालों और उनके नेता रूपु मांझी के घर को फंूक दिया था। आज न रूपु मांझी की चर्चा होती है और न ही अर्जुन मांझी की।
इसी तरह गुलाबी मांझी -(कुसुमडीह संताल परगना), चंद्रा मरांडी -(सिंघाटांड- संताल परगना), कान्हू मरांड-(गारका- संताल परगना), रातू मरांडी( रिवजुरिया-संताल परगना), सुदर मरांडी ( सरसाबाद-संताल परगना), धेरेया मुंडा (डेमखानेल-रांची), हरि मुंडा ंगुटुहातु-रांची, माल्का मुंडा-सिंहभूम, नरसिंह मुंडा-जनुमपीडी-रांची, सोमबराय मुंडा-रांची, सुखराम मुंडा-चकलधरपुर, बाजू मुर्मू-डुमरिया-संताल परगना, मंगल मुर्मू- नरायणपुर-संताल परगना, जैसे सैकडों ऐसे आदिवासी रहे हैं। जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में जान गवांयी है। चाह पुलिस की गोलियों से मारे गये या फिर जेल में बंद कर इन्हें इतनी यातनाएं दी गयी कि उनकी जान चली गयी। वे सभी ट्राइबल म्यूजियम में जगल पाने के हकदार हैं और सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही कि कैसी ऐसे नायकों को खोज निकाला जाये।
यह सही है कि झारखंड क्षेत्र में आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ लगातार संर्घष किया ओर जान भी दी, लेकिन यह भी सच है कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़नेवालों में गैर आदिवासी भी थे। ऐसे नयकों को भी उचित स्थान मिलना चाहिए। झारखं डमें कोई ऐसी जगह नहीं हे, जहां सभी शहीदों की प्रतिमा हो यह स्मारक हो। इस पर विचार करना चाहिए। रांची जेल में ही भगवान बिरसा मुंडा की मौत हुई थी। उलीहातू में उनका जन्म हुआ था। डोंबारी बुरू में उन्होनं अंतिम लड़ाई लड़ी थी।  बंदगांव के पास रोगोतो जंगल से उन्हें पकडा गया था।  ये सभी ऐतिहासिक स्थल हैं, इनका सर्किट बना कर इन सभी का विकास कर इसे संरक्षित किया जा सकता है। झारखं डमें साठ के दशक में जनजातीय शोध संस्थान खुला था, आज स्थिति देख लीलिए, साधन के अभाव में शोध कार्य बंद है। किसी तरह यह संस्थान जिंदा है। बेहतर हो, विशेष केंन्द्रीय सहायता से इसे विकसित किया जाये। झारखं डमें राष्ट्रीय स्तार का अभिलेखागार बने। जहां से देश-दुनिया से शोध करने आये छात्र खाली हाथ लौट कर न जायें।


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आदिवासी-मूलवासी, किसान एवं मेनतक समुदाय को राज्यकीय व्यवस्था के सहारे काबू में ला कर इनके हाथ से जल-जंगल-जमीन एवं पर्यावरण को छीन कर काॅरपोरेट घरानों कों सौंपने की पूरी तैयारी है


विकास का भ्रमजाल क्यों?
विकास के मकडजाल में आदिवासी-मूलवासी किसान, मेहनतकष समुदाय फंसते जा रहा है। विकास का यह मकडजाल काॅरपोरेट घरानों, देश-विदेश के पूंजिपतियों के लिए जमीन की लूट के लिए केंन्द्र तथा राज्य के रघुवर सरकार द्वारा तैयार नीतियों का जाल है। जो आदिवासी-मूलवासी, किसान सामाज के उपर एक ष्ष्फेंका जालष्ष् की तरह  है। इस जाल के सहारे आदिवासी-मूलवासी, किसान एवं मेनतक समुदाय को राज्यकीय व्यवस्था के सहारे काबू में ला कर इनके हाथ से जल-जंगल-जमीन एवं पर्यावरण को छीन कर काॅरपोरेट घरानों कों सौंपने की पूरी तैयारी है। एक ओर भाजपानीत केंन्द्र एवं राज्य सरकार आदिवासी, किसानों के हक-अधिकारों के संगरक्षण की ढोल पीटती है, और दूसरी ओर इनके सुरक्षा कवच के रूप में भारतीय संविधान में प्रावधान अधिकारों को ध्वस्त करते हुए काॅरपोरेटी सम्राज्य स्थापित करने जा रही है। जिंदगी के तमाम पहलूओं-भोजन, पानी, स्वस्थ्य, शिक्षा, सहित हवा सभी को व्यवसायिक वस्तु के रूप में मुनाफा कमाने के लिए ग्लोबल पूंजि बाजार में सौदा करने के लिए डिस्पले-सजा कर के रख दिया है।
भारतीय संविधान में प्रावधानों आदिवासी-मूलवासी, दलित, मेहनतकष किसानों के हित रक्षाक कानूनों की अवहेलना क्यो?
आजाद भारत के राजनीतिज्ञों, बुधीजीवियों, एवं संविधान निर्माताओं ने यह अनुभव किया कि-देश का विकास, शांति-व्यवस्था एक तरह के कानून से संभव नहीं हैं-इसीलिए देश में दो तरह के कानून बनाये गये। एक सामान्य कानून जो सामान्य क्षेत्र के लिए दूसरा विशेष कानून विशेष क्षेत्र के लिए बनाया गया। प्रकृतिकमूलक आदिवासी बहुल एरिया को विशेष क्षेत्र के अंतर्गतं रखा गया। इन क्षेत्रों पांचवी अनुसूचि तथा छठी अनुसूचि में बांटा गया।
इसी अनुसूचि क्षेत्र में छोटानागपुर काष्तकारी अधिनियम 1908, संताल परगना अधिनियम 1949, पेसा कानून 1996, वन अधिकार अधिनियम 2006 भी है। ये सभी कानून आदिवासी, मूलवासी, दलित, मच्छूवरा सहित 32 आदिम जनजाति समुदायों के अधिकारों के रक्षा के लिए है।
लेकिन- हर स्तर पर राज्य सरकार स्वंय ही इन कानूनों का उल्लंघन कर रही है।  देश के विकास का इतिहास गवाह है-जबतक आदिवासी समाज अपना जल-जंगल-जमीन के साथ जुड़ा रहता है-तबतक ही वह आदिवासी अस्तित्व के साथ जिंदा रह सकता है। आदिवासी सामाज को अपने धरोहर जल-जंगल-जमीन से जैसे ही अलग करेगें-पानी से मच्छली को बाहर निकालते ही तड़प तड़पकर दम तोड़ देता है-आदिवासी सामाज भी इसी तरह अपनी धरोहर से अलग होते ही स्वतः दम तोड़ देता है।
अपनी मिटटी के सुगंध तथा अपने झाड-जंगल के पुटुस, कोरेया, पलाश,  सराई, महुआ, आम मंजरी के खुशबू से सनी जीवनशैली के साथ विकास के रास्ते बढने के लिए संक्लपित परंपरागत आदिवासी-मूलवासी, किसान समाज के उपर थोपी गयी विकास का मकडजाल स्थानीयता नीति 2016, सीएनटी, एसपीटी एक्ट संशोधन बिल 2017, महुआ नीति 2017, जनआंदोलनों को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया-क्षति पूर्ति कानून 2016, गो रक्षा कानून 2017, भूमि बैंक, डिजिटल झारखंड, लैंण्ड रिकार्ड आॅनलाइन करना, सिंगल विण्डोसिस्टम से आॅनलाइन जमीन हस्तांत्रण एवं म्यूटेशन जैसे नीतियों को लागू करना, निश्चित रूप से आदिवासी-मूलवासी किसान, मेहनतकश समुदायों के समझ के परे की व्यवस्था है। यह व्यवस्था राज्य के एक-एक इंच जमीन, एक-एक पेड-पौधों, एक-एक बूंद पानी को राज्य के ग्रामीण जनता के हाथ से छीनने का धारदार हथियार है।
 इसी के आधार पर राज्य में आदिवासी सामाज का जमीन को आबाद करने का अपना परंपरिक व्यास्था है यही नहीं इसका अपना विशिष्ट इतिहास भी है। आदिवासी परंपरागत व्यवस्था में जमीन को अपने तरह से परिभाषित किया गया है-रैयती जमीन, खूंटकटीदार मालिकाना, विलकिंगसन रूल क्षेत्र, गैर मजरूआ आम, गैर मजरूआ खास, परती, जंगल-झाड़ी भूंमि।
आज सरकार विकास के नाम पर लैंड बैंक---बना कर आदिवासी समुदाय के हाथ से उनका जमीन-जंगल छीन कर उद्योपतियों को देने का योजना बना रही हैं। केंन्द्र की मोदी सरकार तथा राज्य की रघुवर सरकार झारखंड से बाहर एवं देष के बाहर कई देषों में पूजिपतियों को झारखंड की धरती पर पूंजि निवेष के लिए आमंत्रित करने में व्यस्त हैं। 16-17 फरवरी 2017 को झारखंड की राजधानी रांची में ग्लोबल इनवेस्टर समिट को आयोजन कर 11 हजार देषी-विदेषी पूंजिपतियों को आमंत्रित किया गया था। इस दौरान 210 कंपनियों के साथ एमओयू किया गया। इस एमओयू में 121 उद्वोगों के लिए किया गया, जबकि कृषि -खेती-के क्षेत्र के लिए सिर्फ एक एमओयू किया गया। 2014 से 2018 तक में रघुवर सरकार ने 4 मोमेंटम झारखंड किया। हजारों पूजि- पतियों के साथ किया, तथा पूजिपतियों को अष्वास्त किया कि, जो भी निवेषक जहां भी जमीन चाहिए, बिना देर किये सिंगल वीण्डों सिस्टम से जमीन हस्तांत्रण कर देगें।  मूलवासी, किसान ,मेहनतकष समुदाय केवल नहीं उजडेगें, परन्तु प्रकृति पर निर्भर सभी समुदाय स्वता ही उजड़ जाऐगें। माननीय सर्वोच्च न्यायालय का आदेष आया है कि देष में जिन आदिवासी, मूलवासियों ने फोरेस्ट राईट एक्ट के तहत वनपटा के लिए दावा पत्र भरा दिया, और इनका दावा पत्र रिजेक्ट किया गया। ऐसे सभी आदिवासी मूलवासी परिवारों को जंगल से बाहर निकाला जाए। आदेष में देष के करीब 25 लाख आदिवासियों को जंगल से निकालाने को को आदेष है। इसके साथ ही एक दूसरा संषोधन आया है-जिसमें कहा गया है कि-अब आदिवासी जंगल में अपने साथ दौली, टंगिया, हंसुवा, तीर-धनुष लेकर नहीं घुस सकते हैं, यदि इन परंपारिक सामान के साथ जंगल जाएगें तो, फोरेंस्टर को अधिकार दिया गया है, कि इन्हें देखते ही गोली मारी जाए। यहां समझने की जरूरत है कि आदिवासी किसान परिवार के लिए जंगल ससर्फ लकड़ी के लिए नहीं होता है। जंगल में पूरी जिंदगी जुडी हुइ है। किसान सुबह सुबह गाय, बकरी को जंगल चराने जाते हैं-तो साथ में जंगली झाडी साफ करन कर रास्ता बनाने, गाय, बकरी के लिए डहुरा काफ करने के लिए भी टंगिया,  बलुआ की जरूरत होती हैं । लेकिन सरकार इसे गैकानूनी मान कर  सीधे गोली मारने का आदेष दे रही है। यह लोकतंत्र का हत्या ही है। इन परिस्थितियों में आदिवासी समाज का कल का कोई भविष्य नहीं होगा।

स्किल समिट में रोजगार पानेवाले 26,674 अभ्यर्थियों मेंसे अब तक मात्र 5,816 को ही विभिन्न जगहो पर योगदान सुनिच्यित हो पाया है।

ऐसे चल रहा कौषल विकास का मेगा प्लेसमेंट ड्राइव-पद व सैलरी का पता नहीं, सर ने कहा नौकरी मिलेगी, ता आ गये-प्रभात खबर ृ10 जनवरी 2018
12 को देना है 25 हजार युवाओं का नियुक्ति पत्र
20, 418 युवाओं का तय कर लिया गया है नाम
खेलगांव में चल रहा है अंतिम प्लेसमेंट ड्राइव
सुनील कमार झा-रांची-कौशल विकास मिशन सोसाइटी युवाओं को रोजगार देने के लिए खेलगांव में आठ से 11 जनवरी तक प्लेसमेंट ड्राइव चला रहा हैं। इसमें राज्य भर के बेरोजगार युवक-युवाती भाग ले रहे हैं। कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित अभ्यर्थियों का भी विभिन्न कंपनियों द्वारा इंटरव्यू के बाद चयन किया जा रहा है। मंगलवार को राज्य भर से आये अभ्यर्थी इंटरव्यू में शामिल हुए, पर इन्हें न तो  इस बात की जानकारी थी कि उन्हें क्या नौकरी मिलेगी और न ही इसकी सूचना थी कि सैलरी कितनी मिलेगी। अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया था। प्रशिक्षण केंन्द्र संचालक ने सिर्फ इतना बताया कि रांची चलना है, वहां नौकरी मिलेगी। चाईबासा से आयी पूनम कुमारी ने बताया, उसने कौशल विकास योजना के तहत आइटी की ट्रेनिंग की है, उसे वेंचर स्कील इंडिया संस्थान द्वारा यहां लाया गया है। यह पूछे जाने पर कि रांची आने से पहले उसे यहां के बारे में बताया गया, पूनम ने कहा-केवल यह बताया गया कि रांची जाने से नौकरी मिलेगीं। पूनम इंटरव्यू के लिए लाइन में अपना बायोडाटा लिये खडी थी। पर उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि वह किस कंपनी में इंटरव्यू दे रही है। उसे न तो पद की जानकारी थी न ही वंेतन की। पूनम की तरह सैकड़ों बेरोजगार युवक-युवती रोजगार लिए कतार में खड़े थे, पर उन्हें न तो वेतन की जानकारी थी न ही पद की।
बेकारों से आये शकलदीप सिंह का कहना था, सात हजार की नौकरी के लिए दिल्ली या गुजरात जाने का क्या आवश्यकता है, उसने बताया कि किस कंपनी में किस उम्र के अभ्यर्थी का चयन होगा, यह जानकारी भी नहीं दी गयी। बोकारो से आये अभ्यर्थी मारूति कंपनी के लिए इंटरव्यू  देना चाह रहे थे, पर कंपनी 23 वर्ष से कम उम्र के अभ्यर्थियों को ही ले रही थी, इस कारण काफी संख्या में अभ्यर्थी इंटरव्यू में शामिल नहीं हो पा रहे थे। चंदन कुमार ने एक्साइड बाइट्री कंपनी में अपना साक्षात्कार दिया, पर उसे पता ही नहीं कि उसने किस पद के लिए इंटरव्यू दिया है।
सात से 10 हजार तक का वेतन-मेगा कैंपस ड्राइव में अधिकतर कंपनियां अभ्यर्थियों को सात से दस हजार रूपये तक के वंतन का आॅफर दे रही है, इसके लिए उन्हें दिल्ली, हरियाणा, गुजरात तक जाना होगा। जिन पदो ंके लिए इंटरव्यू लिया जा रहा है, उनमें डाटा आपरेटर, इलोक्ट्रिशियन, पेंटर, सिलाई, बीपीओ जैसे पद शामिल हैं।

क्या कहते हैं अभ्यर्थी-
कौशल विकास तहत आइटी का प्रशिक्षण मिला है। यहां सेंटर चलानेवाले सर के कहने पर आयेंह हैं, किस कंपनी में नौकरी मिलेगी, वेतन व पद के बारे में जानकारी नहीं है-पूनम कुमारी
 पहले नौकरी मिले, इसके बाद तय करेगें कि जाना है कि नहीं हैं। अगर बेहतर वेतन व सुविधा होगा, तो दिल्ली जाने में कोई परेशानी नहीं है। वेतन के बारे में पहले नहीं बताया गया हे-जयंमंती।

सेंटर के प्रतिनिधि ने कहा-
हमें भी जानकारी नहीं-स्किल सेंटर से आये प्रतिनिधि ने बताया कि उसे भी वेतन व पद के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी। यहां आने के बाद बताया कि सात हजार पर बीपीओ की नौकरी दी जाऐगी।
 जिन अभ्यर्थियों को कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण दिया गया है, उन्हें पद, कंपनी व सैलरी की जानकारी देनी चाहिए थी। सामान्य कोर्स से आये विद्यार्थियों को इसकी जानकारी नहीं हो सकती है-रवि रंजन-निदेशक, झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाइटी।

दो दिनों में 2,396 का चयन-खेलगांव में चल रहे मेगा प्लेसमेंट ड्राइव में दो निों में 2,396 अभ्यर्थियों का अंतिम चयन किया गया। प्लेसमेंट ड्राइव 11 जनवरी तक चलेगा। आठ जनवरी को 874 अभ्यर्थियों का चयन किया गया था।, जबकि दूसरे दिन मंगलवार को 1522 का चयन किया गया। दूसरे दिन कौशल विकास के तहत प्रशिक्षित 1361 व उच्च एवं तकनीकी शिक्षा में 261 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। जिन कंपनियों ने चयन किया-उनमें आनंद डेयरी लिमिडेट, बाबा कंप्यूटरर्स, कैपिटल काउ, पिलप कार्ट, मनी मेकर, टीम लेंस, ट्रेड इंडियन, पाॅलिसी बाजार समेत अन्य शामिल हैं।

झारखंड स्किल समिट 2018-प्रभात खबर
सुनील कुमार झा-रांची- रोजगार मिला 26,674 को, पर अब तब ज्वाइन किया मात्र 5,816 ने-12 जनवरी को हुए स्किल समिट में रोजगार पानेवाले 26,674 अभ्यर्थियों मेंसे अब तक मात्र 5,816 को ही विभिन्न जगहो पर योगदान सुनिच्यित हो पाया है। शेष अभ्यर्थियों ने अभी तक योगदान नहीं किया है। इन्हें नौकरी में योगदान देने के लिए अब सरकार की ओर से काउंसेलिंग करायी जा रही है। उन्हें योगदान देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। प्रशिक्षण देनेवाली संस्थान और काॅलेजों के प्राचार्य को भी अभ्यर्थियों की काउंसेलिंग करने को कहा गया है। काउंसेलिंग में अभ्यर्थियों के अभिभावक को भी बुलाया जा रहा है। झारखंड स्किल मिशन सोसाइटी प्रतिदिन इसकी समीक्षा कर रहा है। कौशल विकास मिशन ने सभी विभागों से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है। अभ्यर्थियों को योगदान देने को लेकर डोरंडा काॅलेज में विभाग की ओर से काॅल सेंटर बनाया गया है। सेंटर एक-एक अभ्यार्थियों  से संपर्क कर रहा है।
भेजा जा रहा नियुक्ति पत्र- स्किल समिट में रोजगार के लिए चयनित अभ्यर्थियों को अब भी नियुक्ति पत्र प्रशिक्षण देनेवाली संस्था, काॅलेजों व शिक्षण संस्थानो को भेजा गया है। नियुक्ति पत्र वितरण की भी समीक्षा की जा रही है । काॅलेज, पोलिटेनिकस संस्थान और प्रशिक्षण देनेवाली संस्थान से नियुक्ति पत्र वितरण की स्थिति की जानकारी जी जा रही है।  जिन अभ्यर्थियों ने नियुक्ति पत्र नहीं लिया है, उन्हें बुलाया जा रहा है। आठ से 11 जनवरी तक रांची खेलगांव में हुए अंतिम मेगा प्लेसमेंट ड्राइव में नियुक्त हुए कुछ अभ्यर्थियों के आॅफर लेटर में गडबड़ी है। नियुक्ति करनेवाली कंपनियों को इसमें सुधार करने को कहा गया है।
विभागवार नियुक्ति व योगदान की स्थिति-
विभाग------------------- -------------------------------------             -नियुक्ति------योगदान
उच्च एवं तकनीकी शिक्षा सह कौशल
विकास              -------------------------------------------------        ----15,632-------2,860
ग्रामीण विकास विभाग---------------------------------------------------  2,713--------1,222
श्रमनियोजन एवं प्रशिक्षण------------------------------------------------4,418--------264
नगर विकास एवं आवास--------------------------------------------------3,554--------1,470
खान एवं उद्योग विभाग----------------------------------------------------198----------डाटा नहीं
पर्यटन कला संस्कृति एवं खेलकूद------------------------------------------159---------डाटा नहीं।

12 जनवरी को खेलगांव में हुआ था स्किल समिट नियुक्त अभ्यर्थियों की हो रही काउंसेलिंग-
योगदान देने के लिए प्ररित कर रही है सरकार
कउंसेलिंग में अभिभावक को भी बुलाया जा रहा है
डोरंडा काॅलेज में बनया गया है काॅल सेंटर, अभ्यर्थियों से ली जा रही जानकारी-
अभ्यर्थियों के योगदान देने की प्रक्रिया की समीक्षा हो रही है, डोरंडा काॅलेज में काॅल सेंटर बनाया गया है। एक-एक अभ्यर्थियांे से संपर्क किया जा रहा है। रोजगार पानेवाले अधिक से अधिक अभ्यर्थियों को योगदान सुनिच्यित करने का प्रयास किया जा रहा है।  सभी विभाग अपने स्तर से नियुक्ति पत्र वितरण व अभ्यर्थियों के योगदान की निगरानी कर रहे हैं। अब तब 5, 816 अभ्यर्थि यों ने योगदान दिया है। इसके अलावा और भी अभ्यर्थियों ने योगदान दिया है, जिसके बारे में जानकारी प्राप्त की जा रही है-रवि रंजन, निदेशक झारखंड स्किल मिशन सोसाइटी।
(स्त्रोत-कौशल विकास मिशन सोसाइटी को मिली रिर्पोट)

ग्रामीणों की समूदायिक जमीन को गांव सभा के बिना सहमति से ही 21 लाख एकड़ भूमि बैंक में शामिल कर दिया

                  जन आंदोलनों का संयुक्त मोर्चा

                     लोकतंत्र पर खतरा और हमारी जिम्मेदारी
                   (2019 के चुनाव में जनआंदोलनों की हिस्सेदारी)
        जागो-उठो        संगठित हो          संघर्ष करो
                     आज नहीं -तो कभी नहीं
मित्रों,
झारखंड को आबाद करने, सजाने, सवांरने के लिए हमारे पूर्वजों ने अपनी जान दी है। झारखंड की हरियाली, कलकल करते नदी-नाला, उचां-नीचा पहाड़, पर्वत, लहलहाते खेत-टांड को बचाने के लिए हमारे पूर्वजों ने सांप, बाघ, भालू जैसे जंगली जानवरो से लड़ाई लड़कर इस धरती को आबाद किया है। आज इस धरती को, यहां की माटी, पानी, जंगल-झाड़, नदी-नाला, खेत-टांड को देश-विदेश के पूंजीपतियों, कारपोरेट घरानों और सरकार के विनाशकारी नीतियों द्वारा किया जा रहा हमला और लूट से बचाना होगा। झारखंड में आज क्या हो रहा है, आप सभी जानते हैं। 
हमारे पूर्वज सिद्वू, कान्हू, सिंदराय, बिंदराय, तिंलका मांझी, वीर बुद्वु भगत, वीर बिरसा मुंडा, डोंका मुंडा, जतरा टाना भगत, मान्की मुंडा, फूलो, झानो, देवमनी जैसे हजारों वीर शहीदों के अंगे्रजों के खिलाफ सघंर्षकर देश को आजादी दी। आज भारत ने भारतीय संविधान में पांचवी अनुसूचि के तहत हम आदिवासी, मूलवासी, किसान, मजदूरों को विशेष अधिकार दिया है। इसकी रक्षा करना, अधिकारों को बहाल करनवाना हमारी जिम्मेदारी है। 
भाजपा सरकार ने अभी तक कुल चार मोमेंटम झारखंड का आयोजन कर हजारों कारपोट कंपनियों तथा पूंजि-पतियों के साथ झारखंड आदिवासी-मूलवासी किसानों के जल-जंगल-जमीन को उनके हाथ देने का समझौता कर लिया है। जो पूरी तरह से पांचवी अनुसूचि तथा पेसा कानून में प्रावधान ग्रामीणो्र के अधिकारों पर हमला किया है। वर्तमान में चल रहे रिविजन सर्वे, जिसके पूर्ण होते ही, जिसके आधार पर नया खतियान बनेगा, इसके साथ ही 1932 का खतियान स्वतः निरस्त हो जाएगा। जिससे यहां के आदिवासी-मूलवासी किसानों सभी समुदाय के परंपरागत अधिकार समाप््त होगें।
भूमि अधिग्रहण कानून 2017 के लागू होने तथा उपरोक्त तमाम कानूनों के लागू होने से राज्य की कृर्षि भूमि को गैर कृर्षि उपयोग के लिए तेजी से हस्तंत्रित किया जाएगा, फलस्वरूप राज्य की कृर्षि भूमि तेजी से घटेगी तथा खद्यान संकट बढेगा। बीते एक साल में राज्य में भूख से 8 लोगों की मौत हो चुकी है, तब आने वाले समय में राज्य में भूखमरी और मौत भी अपना विक्रांत रूप लेकर आएगा।
आज विस्थापन के खतरों से पूरा राज्य भयभीत है। पलामू-लातेहार, गुमला जिला के ग्रामीण प्रस्तावित नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से होने विस्थापन, व्यघ्र परियोजना, वाईल्ड लाईफ कोरिडोर, से होने वाले विस्थापन के खिलाफ जूझ रहा है। हजारीबाग के बडका़गांव में कोयला परियोजना से होने विस्थापन के खिलाफ किसान संघर्षरत हैं। गोडडा में अडडानी पावर प्लांट द्वारा जबरन किसानों से जमीन छीन रही है। किसान विरोध कर रहे हैं उन्हें कहा जा रहा है-जमीन नहीं दोगे, तो इसी जमीन में गाड देगें, किसानों का लहलहाता धान खेत को बुलडोजर से रौंद दिया गया। राज्य के हर ईलाका में लोग विस्थापन के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। खूंटी-गुमला जिला के ग्रामीण पहले से ही मित्तल स्टील प्लांट, पूर्वी सिंहभूम के पोटका क्षेत्र में जिंदल स्टील प्लांट, भूषण स्टील प्लांट से, प0 सिंहभूम में कुजू डैम होने वाले विस्थापन के खिलाफ संघर्षरत हैं। खूटी क्षेत्र में आदिवासी समुदाय के सामूहिक एकता को तोड़ने के कई सडयंत्र चलाया जा रहा है। जाति-धर्म के नाम पर सामाज को एक दूसरे से लड़ाया जा रहा है। जो जनता के अधिकारों के रक्षा की बात करते हैं, उन पर देशद्रोह के केस में फंसा दिया जा रहा है। धर्म मानने की आजादी, बोलने की आजादी भी खत्म किया जा रहा है। झारखंडी सामाज पर चारों तरफ से हमला हो रहा है।  इन जनसंधर्षों के बीच रघुवर सरकार उपरोक्त जनविरोधी कानूनों को झारखंडी जनता के उपर थोपने का काम कर रही है।
विकास के नाम पर भाजपा सरकार ग्रामीण किसानों को विभिन्न प्रकार का प्रलोभन देकर, रैयतों से जमीन का पूरा विवरण, उनका वशंावली जमा करवा रही है। इसके साथ डायरेक्ट बिनिफिट ट्रासफर (डीबीटी व्यवस्था) लागू करने के लिए ग्रामीणों से शपथपत्र भरवा रही है। जबकि इसके बारे ग्रामीणों को किसी तरह की सही जानकारी नहीं दी गयी। जो आने वाले दिनों में ग्रामीणों के लिए कई कठिनाईयों को खड़ा करेगा।
राज्य बन 18 साल हो गये। राज्य में 13 मुख्यमंत्री बने, साथ ही सौकड़ों मंत्री बने। लेकिन पांचवी अनुसूची एवं पेसा कानून में ग्रास सभा को दिये अधिकारों को किसी ने लागू नहीं किया। जिसमें मुख्य तौर पर किसी भी तरह के जमीन अधिग्रहण के पहले रैयतों-गांव सभा की सहमति लेना अनिवार्य है, चाहे जमीन का अधिग्रहण सरकार करे, यह कंपनिया। लघू खनिज-जैसे बालू घाट, पत्थर खदान जैसे प्रकृतिक संसाधनों के प्रबंधन, विपणन और संचालन को अधिकार ग्राम सभा को नहीं दिया गया। इसी तरह से लघु वनोपज -जैसे केंदु पता, चार, महुंआ, डोरो, लाह जैसे जंगल अधारित वनोपज के नियंत्रण, बाजार-व्यवस्था, मूल्या निर्धारित करने का अधिकार गांव सभा का आज तक नहीं दिया गया। दुखद बात है कि-ग्राम सभा या गांव सभा को अधिकार देने के नाम पर भाजपा सरकार ने ग्रामीणों के साथ सिर्फ छल-प्रपंज ही किया है। 
दुखद बात है-कि पूरे झारखंड भाजपा सरकार जबरन किसानों का जमीन छीन रही है। पूरे राज्य में ग्रामीणों की समूदायिक जमीन को गांव सभा के बिना सहमति से ही 21 लाख एकड़ भूमि बैंक में शामिल कर दिया। जमीन संबंधित काम आॅनलाइन होने से, किसानों की परंपारिक खनदानी जमीन के रिकोर्ड में भारी गडबाडियां सामने आ रही है। किसानों का जमीन स्वतः खोता जा रहा है।
आज फिर से देश और राज्य में सरकार बनाने का समय आ गया है। सरकार बनाने की सारी जिम्मदारी आप के हाथ में है, कि आप किस तरह का सरकार बनाऐगे। झारखंड की धरती, जल-जंगल-जमीन, गांव, समाज को लबें समय से संघर्ष करते हुए हम लोगों ने बचाया है, उजड़ने से बचाया है। तब हम जनआंदोलनों की जिम्मेदारी भी है कि 2019 के लोक सभा और विधान सभा चुनाव में ठोंक-परख कर, अपना प्रतिनिधि-नेता चुन कर भेजेगें। हो सके तों अपने आंदोलन के बीच से भी अपना प्रतिनिधि भेजेगें।
चुनाव में हमारी एकता बिखरे नहीं, इसके लिए महागठबंधन ( कांग्रेस, जेएमएम, जेभीएम, राजद, माले, सीपीएम, सीपीआई आदि पार्टियों) से हम जनओदोलन अपील करते हैं कि-देश और राज्य को बचाने के लिए संगठित होकर लोकतंत्रिक शक्ति को मजबूत करें।
उपरोक्त तमाम खतरों एवं हमलों को रोकने के लिए 24 फरवरी को जनसंगठन के साथी रांची पुरूलिया रोड़ स्थित लोयला हाल में विचार-विमार्ष के लिएं आप सभी उपस्थित हांे।
हम सभी इन मांगों के लिए हमेषा संघर्षरत रहे हैं-और आगे भी संघर्ष जारी रहेगा।
1-सीएनटी एक्ट एसपीटी एक्ट को कडाई से लागू किया जाए।
2-5वीं अनुसूचि को कडाई्र से लागू किया जाए
2-गैर मजरूआ आम, गैर मजरूआ खास, जंगल-झाडी, सरना-मसना, अखड़ा , हडगड़ी, नदी-नाला, पाईन-झरना, चरागाह, परंपारिक-खेत जैसे भूत खेता, पहनाई, डाली कतारी, चरागाह, जतरा टांड, इंद-टांड, मांडा--टांड सहित सभी तरह के सामुदायिक  जमीन को भूमिं बैंक में शमिल किया गया है, को उसे भूमिं बैंक से मुक्त किया जाए तथा किसी भी बाहरी पूजिं-पतियों को हस्तंत्रित नही किया जाए
 3- भूमिं सुधार/भूदान कानून के तहत जिन किसानों को गैर मजरूआ खास जमीन का हिस्सा बंदोबस्त कर दिया गया है-उसे रदद नहीं किया जाए
4-जमीन अधिग्रहण कानून 2013 को लागू किया जाए
5-किसी तरह का भी जमीन अधिग्रहण के पहले ग्रांव सभा के इजाजत के बिना जमीन अधिग्रहण किसी भी कीमत में नहीं किया जाए।
6-प्रस्तावि हाथी कोरिडोर, वाईल्ड लाइफ कोरिडोर से होने वाले विस्थापन रोका जाय
7-भूमि अधिग्रहण कानून 2017 को रदद किया जाए
9-ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए मनरेगा मजदूरों का मजदूरी दर 159 रू से बढ़ा कर 500 रू किया जाए
10-आदिवासी-मूलवासी विरोधी वर्तमान स्थानीयता नीति को खारिज किया जाए तथा सदियों से जल-जंगल-जमीन के साथ रचे-बसे आदिवासी-मूलवासियों के सामाजिक मूल्यों, संस्कृतिक मूल्यों, भाषा-संस्कृति इनके इतिहास को आधार बना कर 1932 के खतियान को आधार बना कर स्थानीय नीति को पूर्नभाषित करके स्थानीय नीति बनाया जाए।
11-पंचायत मुख्यालयों, प्रखंड मुख्यलयों, स्कूलों, अस्पतालों, जिला मुख्यलयों में स्थानीय बेरोजगार युवाओं को सभी तरह के नौकरियों में बहाली की जाए।
13-सरना कोड़ लागू किया जाए।
14-मानकी-मुंडाओं के परंपरागत अधिकारों को यथावत लागू किया जाए
नोट-कार्यक्रम स्थल लोयला हाॅल, पुरूलिया रोड़ रांची
समय-10 बजे से कार्यक्रम शुरू होगा।

                               निवेदक
                      जन आंदोलनों का संयुक्त मोर्चा
संपर्क-दयामनी बरला-9431104386, जेराम जेराल्ड कुजूर -9431705062, कुमार चंद मार्डी-9934165214, राजू लोहरा-8969503347, तुरतन तोपनो,  जगेश्वर लकड़ा-7739806699,   

Monday, April 22, 2019

एक तरफ अडानी आबंनी जैसे कोरपोरेट मलालमल हो रहे हैं, और दूसरी ओर राज्य में 19 लोगों की भूख से मौत हुई।


प्रेस विज्ञाप्ति              17 april 2019
प्रिय साथियों 
2014 में हमने 16वीं लोक सभा चुनाव देखे। चुनाव के समय भाजपा का लोक लुभावना वादा भी देखे। वादा किया था-सबके लिए अच्छे दिन लाऐगें, विदेश से काला धन वापस लाऐंगें, सभी गरीब जीरो बैंलेशखाताधारियों के खाता में 15-15 लाख रू भेजा जाएगा, सालाना 2 करोड़ की नौकरी देगें, मॅंहगाई पर रोक लगाना प्रमुख था। सबका साथ सबका विकास का नारा से आम जन को लुभाया।
चार साल के भीतर अच्छे दिन की सरकार ने राज्य और देश की आम जनता पर चारों तरफ से हमला किया, जैसे नोटबंदी से परेशानी डिग्रीधारियों से पकौड़ा बेचवाना, कौशल विकास और रोजगार के नाम पर 6000-8000 बेतन पर युवाओं को राज्य से बाहर भेज कर परेशानी, गौमाता के नkम पर दलितों, अल्पसंख्याकों और आदिवासियों पर अत्याचार भूमिं बैंक सहित कई अन्य जननविरोधी कानून बनाकर बंदुक के नोक पर जंगल, जमीन पानी लूट कर कांरपोरेट को देना, जनविरोधी कानून के सहारे आदिवासी, मूलवासी किसानों को जंगल, जमीन से बेदखल करना फोरेस्ट राईट में संशोधन कर जंगल में अपने साथ टंगिया दौली, हंसुआ तीर-धनुष लेकर जंगल घुसने वाले आदिवासियों, किसानों मूलवासियों को फोरेस्टर द्वारा सीधे गोली मारने की आज्ञा देने ईसाई समुदाय पर देशद्रोह का आरोप लगाना इनके करीब 88 संस्थाओं का एफसीआर रदद करना, खूंटी लोक सभा क्षेत्र में सीएनटी एक्ट संशोधन के विरूध हुए आंदोलन में दर्ज मुकदमें सहित पत्थलगडी के नाम पर हातु मुंडां सहित 17 हजार आम गा्रमीणों पर साजिश के तहत केस कर जेल भेजना वाईल्ड लाईफ कोरिडोर के नाम वनक्षेत्र में बसे गांवों को उजाड़ने की सजिष करना।
 सामाजिक कार्याकर्ताओं पर देशद्रोह का मुकदमा चलाना  जेपीएससी में आदिवासी युवाओ के आरक्षण को समाप्त करना मेडिकल नरसिंग विभाग में आदिवासी युवाओं के आरक्षण को समाप्त करना दलित और पिछड़ों का आरक्षण समाप्त करना  झारखंडी आदिवासी-मूलवासी विरासत पर आधारित स्थानीयता नीति को खारीज कर, आदिवासी-मूलवासी विरोधी स्थानीयता नीति थोपना पांचवी अनुसूचि एवं पेसा कानून में प्रावधान अधिकारों को सीधे समाप्त करने वाली भाजपा सरकार की नीतियों को हमने देख लिया है। एक तरफ अडानी आबंनी जैसे कोरपोरेट मलालमल हो रहे हैं,  और दूसरी ओर राज्य में 19 लोगों की भूख से  मौत हुई।  आज हमारी प्रथमिकता है-लोक सभा चुनाव में जनतवरोधी सरकार को हर हाल में रहाना।
वर्तमान परिस्थिति में न तो भारत का संविधान सुरक्षित है, न ही देश और राज्य का लोकतंत्र सुरक्षित है। ऐसे संकट के समय में हम जनआंदोलनों की संयुक्त मोर्चा ने निर्णाय लिया है कि लोक सभा चुनाव में भाजपा को हराना।
द्य उपरोक्त तमाम जनविरोधी नीतियों को रोकने और जनहित में पांचवी अनुसूचि एवं पेसा सहित अन्य संवैधानिक एवं लोकतंत्रिक अधिकारों को लागू करने एवं करवाने का  काम नहीं किया तो, इसके लिए महागठबंधन के प्रमुख दलों-कांग्रेस झारखंड मुक्ति मोर्चा झारखंड विकास मोर्चा के नेता दोष्ी होगें। एैसी स्थिति में राज्य को बचाने के लिए अगामी विधान सभा चुनाव में जनआंदोलन सीधी राजनीतिक हस्तक्षेप करेगा।
हमारी प्रतिबद्वता इन मुदों के प्रति है-
o   पथलगड़ी मामले में कुल 29 केस दर्ज कर 150 चिन्हित ग्रामीणों तथा 15000 अज्ञात निर्दोष ग्रामीणों को प्रताड़ित किया गयाए उनके ऊपर हुए केसों को ख़त्म कर उनको न्याय देना
o   खूँटी के ग्रामीण जिन्होंने 2018 के मानसून महीने में पुलिसिया दमन की वजह से गाँव छोड़ा था, धान की खेती नहीं कर पाए थे, फलस्वरूप उनके पास साल भर खाने को अनाज नहीं है, उनके भरण.पोषण की व्यवस्था की करवाना
o   वनाधिकार अधिनियम 2006 के तहत वनोत्त्पाद में ग्रामीणों के अधिकार को पूर्ण रूप से लागू कराना तथा सभी आदिवासियोंध्वासियों को जिनका वन पट्टा रद्द किया गया, अविलंब उनको वन पट्टा दिलवाना  साथ ही नए आवेदनों को स्वीकृत करवाना
o   एफ॰ आर॰ ए॰  के तहत वन कर्मियों को घातक हथियार के इस्तेमाल की दी गई छूट को तत्काल खारिज करवाना
o   मर्ज करने के नाम पर छेत्र के बंद किये गए सभी सरकारी स्कूलों को पुनः खुलवाया जायेगा साथ ही स्चूलों का इस्तेमाल सिर्फ सिक्षा के लिए हो ये सुनिश्चित करवाना
o   मानव तस्करी को खत्म करनाए तथा तस्करों के चंगुल से बचाकर लाये गये लोगों के लिए रोजगार व्यवस्था करवाना
o   आदिवासीध्मूलवासी युवाओं को रोजगार के लिए बिना शर्त छोटे पूंजी  ;5 लाख तकद्ध की व्यवस्था करवाना
o   ग्राम सभा को उसके अपने छेत्र का विकास करने हेतु शिक्षा और स्वस्थ पर पूर्ण नियंत्रण तथा बालू घाट खनन कार्यए ठेकेदारी सभी में 80 फीसदी हिस्सेदारी दिलवाना
o   छेत्र में सिंचाई की उचित व्यवस्था तथा कृषि विकास केंद्र खोलकर कृषि को बढ़ावा दिया जायेगा साथ ही किसानो को बीज और खाद में उचित सब्सिडी दी जाएगी
o   आदिवासियों को उनके जमीन पर ;गैर.मंजुरवा जमीन परद्ध मालिकाना हक दिया जायेगा
o   आदिवासी मूलवासियों का जमीन लूटने के लिए बना भूमि बैंक को रदद करवाना
o   कुपोषण जैसी भयावह स्थिति को जड़ से मिटाने के लिए उचित प्रयास किया जायेगा
o   पांचवी अनुसूची को पूर्ण रूप से लागू किया जायेगा तथा अनुसूचित छेत्रों में इसके अधीन ही कार्यपालिका कार्य करेगी ये सुनिश्चित किया जायेगा
o   ग्राम.सभा को अपने गावों के ऊपर प्रसाशन और नियंत्रण का अधिकार जो कि पेसा कानून में निहित है पूर्णतः दिलाना


                                                                   
                                                               
दयामनी बरला-संयोजक जनआंदोलनों का संयुक्त मोर्चा
जेरोम जेराल्ड कुजूर-नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेज
कुमार मार्डी-भूमि बचाच मंच
समीर तोपना-
पौलूस
जगेश्वर लकड़ा - कोयलकारो जनसंगठन-कोयल एरिया
बिरसा मुंडा-मुंडारी खूंटकटी भूईयारी परिषद
तुरतन तोपनो-आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंव
अशोक वर्मा-एनएपीएम
राजू लोहरा
ज्वालन तोपनो
अमरनाथ लकड़ा-
कृष्णा लकड़ा-
बिनिता मुंण्डू
पुरनिमा सुरिन-