राज्य बने दस साल पूरे हो गये-इस दस साल में जो भी सरकार सत्ता में बैठी, सभी मिल कर 104 बड़े देशी -बिदेशी पूंजीपतियों के साथ एमओयू साईन किये। यहां यह जानने की जरूरत है कि हर एक कंपनी को अपना
1-कारखाना बैठाने के लिए जमीन चाहिए, इनके पावार के लिए
2-पावार प्लांट बैठाने के लिए जमीन चाहिए
3-पानी के लिए डेम चाहिए
4-लाखों हेक्टेयर कोयला खादान चाहिए
5-स्टील प्लांटों का अयर ओर के लिए लाखों एकड़ माइंस के लिए जंगल-जमीन चाहिए
6-आवागामन के लिए रेल लाईन चाहिए
7-शहरीकरण के लिए जमीन चाहिए-टाउनशिप के लिए
८ -इन्सलारी-सहायक फैक्ट्रीयों के लिए जमीन चाहिए
यहां यह समझने की जरूरत है कि हर उद्वोगपति को कोयला-उनके जरूरत के हिसाब से-स्टील प्लांट के लिए चाहिए साथ में पावार प्लांट के लिए भी चाहिए।
इसी तरह-पानी सभी उद्वोगपतियों को -कोयला खादान के लिए चाहिए, अयरन ओर माइंस के लिए भी चाहिए, और स्टील प्लांट तथा पावार प्लांट सभी के लिए पानी चाहिए।
यहां-यह भी जानने की जरूरत है कि झारखंड का क्षेत्रफल 79,714 वर्ग किलो मीटर है। यदि सभी उद्वोगपतियों को उद्वोग लगाने के लिए जमीन दिया जाए तो झारखंड के आदिवासी-मूलवासी किसानों के हाथ में एक इंच भी जमीन-जंगल नहीं बचेगा। यही नहीं बूंद -बुद पानी के लिए झारखंडवासी तरसने लगेगें। यही नहीं..ग्लोबल वार्मिंग...से होने वाले सभी परिणामों को भीझेलना होगा..
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