मीठा जहर पुनर्वास्थापन एवं पुनार्वास नीति 2008
लूट-खसोट और भ्रष्ट प्रशासनिक राजनीतिक गंठजोड़ की बुनियाद पर खड़ा इस व्यवस्था में विकास के नाम पर अपने पूर्वजों का धरोहर को कुरबान करने वाले विस्थापितों को झारखंड सरकार द्वारा पारित पुनर्वास्थापन एवं पुनार्वास नीति 2008 का लाभ क्या मिल पाएगा?। जल-जंगल-जमीन से जुड़े समाज तथा इनके हित की बात करने वाले बुद्विजीवियों, सामाजिक संगठनों तथा ससटेनेबल डबपलमेंन्ट कीवाकालत करने वालों के लिए यह एक अहम सवाल है। 16 जुलाई 08को कैबिनेट में पारित यह नीति की kopi आंख से देखने तथा कान से सुनने में बहुत ही अच्छा है। लेकिन जिंदगी के हकीकत के सरजमीन पर यह खरा नहीं उतर सकता है। यह कडुवा अनुभाव भी इसी व्यवस्था की देन है। इस नीति में होने वाले विस्थापितों को मिलने वाले मुआवजा, नौकरी, शेयर, डिवेंचर, पक्का मकान, कंपनी के शुद्व आय का एक प्रतिशत आय, जीविका भत्ता, वार्षिकपोलिसी का लाभ, मात्र एक सपना दिखाया जा रहा है। इस नीति में सामाजिक पुनर्वास की भी बात कही गयी है-जबकि यह सर्वविदित है कि आदिवासी-मूलवासी किसानों का सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक अस्तित्व का न तो पुनर्वास किया जा सकता है न ही किसी मुआवजे से भरा जा सकता है।
नीति में कहा गया है कि 100 या इससे अधिक परिवारों का अनैच्छिक विस्थापन होने की हालत में राज्य सरकार अधिसूचना के द्वारा उपायुक्त के स्तर से अन्यून स्तर के किसी अधिकारी को पुनस्र्थापन और पुनर्वास प्रशासक नियुक्त करेगी। पुनर्वास्थापन और पुनर्वास का क्रियान्वयन कराने के लिए निगरानी तंत्र में विकास आयुक्त-अध्यक्ष, सचिव-पथनिर्माण विभाग, सिचव-उद्योग विभाग, सचिव-स्वास्थ्य विभाग, सचिव-उर्जा विभाग, सिचव-श्रम एवं नियोजन विभाग, सविच-विधि विभाग, तथा संयोजक आयुक्त होगें। साथ ही संसद तथा विधायक सदस्य भी होगें। जगजाहिर है कि तमाम विकास योजनाएं, इंदिरा आवास, नरेगा योजनाएं, गरीबों के लिए आबंटित अंत्योदय, अन्नपुर्ण योजनाएं, सहित तमाम योजनाएं इन्हीं अधिकारियों के अतंर्गत संचालित एवं नियांत्रित होता आया है। लूट-खसोट भ्रष्टाचार का इतिहास गवाह है कि विकास राजनेताओं, सरकारी प्रशानिक अधिकारियों, ठेकेदारों, बिचैलियों के महलों तक ही सीमित रहा। नीति में कहा गया है कंपनी पुनर्वास्थापन एवं पुनर्वास योजनाओं के लिए निधि पुनर्वास्थापन एवं पुनर्वास प्रशासक को उपलब्ध कराएगा। आने वाले दिनों में ये ही लूट तंत्र विस्थापितों के नाम मिलने वाले सुविधाओं पर अपना ठेकेदारी चलाएगें। पुनर्वास्थापन एवं पुनर्वास नीति इसके लिए जमीन तैयार करेगा।
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