घर-आंगन, मंदिर-Masjid, girja, सरना-ससनदीरी, shmsan-hadgadi, खेत -खलिहान के अगल-बगल कहीं 5 डिसमिल जमीन को सरकारी जमीन के रूप में चिन्हित किया, कहीं 10 डिसमिल चिन्हित किया तो कहीं 20 डिसमिल चिन्हित किया गया है।
झारखण्ड सरकार gumla जिला प्रशासन कमडारा प्रखंड के 10 गांवों के नदी-नाला, जंगल-पहाड़, जैसे समुदायीक sansadhno को मित्तल कंपनी को 1025 एकड़ जमीन बेच रही है-यह इस क्षेत्र के गांव सभा तथा आदिवासी-मूलवासी, किसानों के अधिकारों का दमन ही है। इस क्षेत्र में सीएनटी कानून है और इसके तहत गांव सीमा के भीतर जो भी जमीन है-वह गांव की समुदायिक संपति है। इस कानूनी अधिकार का जिक्र खतियान पार्ट भाग दो में भी है। लेकिन राज्य सरकार गांव के जमीन को कहीं 5 डिसमिल, कहीं 12 डिसमिल, कहीं 15 डिसमिल जमीन को सरकारी जमीन करार कर मित्तल कंपनी को बेच रही है-यह छोटानागपुर कस्तकारी अधिनियम का घोर उल्लंखन है। कंपनी के लिए सरकार द्वारा किसानों के खेत-खलिहानों के बीच, जंगल-पहाड़ों के बीच बह रही नदी-नालों को कंपनी को बेच रही है। ये चिन्हित किये गये जमीन एक साथ नहीं है। 5 डिसमिल जमीन तीन किली मिटर में है, दूसरा चिन्हित किया 10 डिसमिल जमीन इसे चार किलोमिटर दूर है। इस तरह से कमडारा प्रखंड के 10 गांवो से 1025 एकड़ सरकारी जमीन के रूप चिन्हित किया गया है, इसमें नदी-नाला, झरना आदि भी shamil hai । इस चिन्हित जमीन के एवज में सरकार कंपनी से 15,48,71,550.00(पन्द्रह करोड़ अढ़तालीस लाख, एकहात्तर हाजार, पांच सौ, पचास रूप्या) मांग रही है। विदित हो कि ग्रामीण मित्तल कंपनी को प्लांट लगाने के लिए जमीन नहीं देना चाह रहे हैं-ग्रामीण कंपनी को विरोध कर रहे हैं। इसलिए जिला prasashan नदी-नालों को कंपनी को बेच रही है। जबकि यह ग्रामीणों की समुदायिक संपति है। इसे यही साबित होता है कि सरकार के सामने ग्रामीण जनता का कोई अस्तित्व नहीं है, न ही इनके अधिकारों का मान-सम्मान हैं। एक गांव का कुल रकबा 1740.80 एकड़ है-उस गांव क्षेत्र से 111.05 एकड़ (एक सौ ग्यारह एकड़ पांच डिसमिल) जमीन सरकारी जमीन के रूप में चिन्हित करके कंपनी को बेचा जा रहा है-यह ग्रामीणों के उपर हो रहा अत्याचार की सीमा भी लांघ दिया है। सरकारी अधिकारियों से जब पूछा गया कि इस तरह से जो जमीन आप कंपनी को बेच रहे हैं-इस जमीन पर करखाना लगाना संभव है क्या-इस पर अधिकारी कहते हैं, sambhaw तो नहीं हैं। सवाल उठता है-आखिर सरकार किसको मुर्ख बनाना चाहती है-आम जनता को या कंपनी को।
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