अब समाज और कंपनी यह सरकार और जनता के बीच लड़ाई काम होगा..क्योंकि जमीन कें खरीद-फरोक्त में अब ठेकेदार, दलाल और मफियाएँ मुख्या भूमिका में हैं.
केंद्र सरकार की पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन नीति २००७ के तर्ज पर ही झारखण्ड सरकार सहित देश के तमाम राज्यों की सरकार कंपनियों के जमीन आसानी से उपलब्ध करने की बेवस्था कर दिया है. कानून में कहा गया है- कंपनी को जितना जमीन की जरुरत है, इसका ७० प्रतिशत जमीन कंपनी जमीन मालिकों से खुद खरीदेगा और ३० प्रतिशत जमीन सरकार अधिग्रहण कर कंपनी को देगी. इसके अधर पर ही आज पूरे देश में राज्य सरकार और कंपनी किसानो का जमीन दलाल-माफियाओं के सहयोग से साम-दाम-दंड -भेद- की नीति अपना कर खरीद रहे हैं. सरकार की यह नीति बहुत ही खतरनाक है. इसमें सरकार अपने को जमीन मालिकों के सामने आने वाले समस्या से दूर रखती है. इसमें दलाल और माफियाओं का raj चलता है. दलाल-माफिया अपना मशाल-मणि पवार का उपयोग कर जमीन मालिकों से कौड़ी के भाव जमीन लेते हैं और कंपनी से करोड़ों राशि का सौदा कर रहे हैं. इसके कई तजा उदहारण हैं. इसमें सरकार भी ग्रामीणों का जमीन को सरकारी जमीन घोषित कर कंपनी से करोडो राशि कमाने का प्रयास कर रही है. यंहा यह बताना जरुरी है..किसी भी गाँव के भीतर जो भी जमीन है..वह समुदाय का है. जिसे सरकार अपना मानती है.
झारखण्ड में १०४ कंपनियों के साथ एम् औ यू हस्ताक्षर किया है..इन सभी कंपनियों के लिए इसी अधार पर जमीन का प्रबंध करने का निर्देश सरकार कंपनियों दो दी है. इसी के अधार पर जंहा जमीन-जंगल के अधिग्रहण को लेकर जनबिरोध चल रहा है, वंहा सरकार कंपनी को उस इलाके में घुसाने के लिए समुदाय का सामूहिक सम्पति को गैर मजुरुवा आम और गैर मजुरुवा खास याने सरकार की सम्पति घोषित कर कंपनी को बेचने की कोशिश कर रही है. इसके कारण अब जंहा पूंजीपति अपना udhyog lagane ke liye jamin chinhit kar rahe hain..gaon gaon me we apna dalal -maphiya khada kar jamin malikon par dabaw ban kar jamin kampani ko dila rahe hain. yah niti bhai bhai me ladwa raha hai..gaon gaon me khun kharaba karwa raha hai. अब समाज और कंपनी यह सरकार और जनता के बीच लड़ाई काम होगा..क्योंकि जमीन कें खरीद-फरोक्त में अब ठेकेदार, दलाल और मफियाएँ मुख्या भूमिका में हैं. is kam me rajya sarkar inhe puri tarah sahyog kar rahi hai..sabhi rajyon me. इस तरह से यह पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन नीति सामाजिक एकता, समरसता को तोड़ने वाला जहर है.
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