Thursday, February 3, 2011

अरे कोई तो बता दो-मैं सिंगर करूं कैसे?

जब भी मैं सिंगार करने आयने के सामने आयी
कई चेहरे एक साथ आयने में आती हैं
जब मैं अपने बालों में सुंदर सुंगध तेल
डालने के लिए हथेली में लेकर सिर तक
हाथ लायी-एक चेहरा आयने के सामने
आती, धूल-माटी से सने
बिखरे बालों के बीच झांकती परेसानियों
में डूबा चिंतित चेहरा.....
तब मैं सुगंध तेल कहां लगाउं?

जब मैं अपने गाल में गोरापन, चिकनापन
लाने के लिए सुंगध-ब्रांडेड क्रीम अपने
हथेली में लेकर गाल तब हाथ पहुंचता
आयने के सामने एक चेहरा आता
सिकन-झुरियों की lakerene तनी-बिखरे
बालों के बीच, धूल-धसरित गालों में
आंसूओं के लूढ़कते बुंदें....
क्रीम लगाये तो अखिर कहां...?
जब मैं अपने नयन को सिंगार करने
आयने के सामने आती-चुटकीभर
अंगुली में काजल लिये हाथ आंख की
भैंव तक पहुंचती-एक चेहरा आयने के
समने आती-जर्जर चेहरा, धंसी आंखों
से निरंतर बहते आंसू....
आखिर मैं काजल लगाउं कहां?

जब मैं अपने ओठों के मुस्कूराहट में
मोतियां बिखेरने के लिए-गुलाबी रंग
का लेबिस्टिक लेकर आयने के सामने आती
लेबिस्टिक लेकर हाथ होठों तक पहुंचती
एक चेहरा आयने के सामने आती
सिर पर अंचल का पल्लू लिए बिखरे बाल
आंसूओं से नहाया गाल,
सिसिकियां भरते होंठ ...
आखिर मैं लिबिस्टिक लगाउं कहां?

जब मैं गले में हिरे की मोतियों के गहने
से सजने के लिए आयने के सामने आती
दोनों हाथों से माला का एक एक सिरा
पकड़े हाथ गला तक पहुंचता-एक
चेहरा आयने के सामने आता-बिखरा
बाल, धांसी आंखे, उखड़े धाती की
पसलियां, मौत का भीख मांगते
गले में लपेटे मोटी रस्सी का फंदा
आखिर मैं गहना कहां पहनुं

जब मैं साड़ी की मेचिंग में दर्जी से सिलाये
फीट ब्लाउ से अपने को संवारने के लिए
आयने के सामने आती-अपनी बांह ब्लाज
में घुसाने के लिए हाथ उठाती एक चेहरा
आयने के सामने आती-छाती से लिपटा
बच्चा, फटा गमछा से ma का sharir से
बांधा, मां का खुला बदन बच्चे की sharir
se गर्मी, लेते एक दूसरे से चिपके हैं
मेरा ब्लाज तो बहुत छोटा है इसमें गरमी
भी नहीं है....तब मैं इसको क्यों पहनती?

जब मैं चमचमाती सिल्क साड़ी से अपने
को सिंगारने के लिए आयने के सामने आती
साड़ी का एक किनारा बायें हाथ में लेकर
कमर में खोंसने के लिए कमर तक हाथ
पहुंचता-एक चेहरा आयने के सामने आती
बिखरे बाल, जर्जर काया, फटा कपड़ा
से लिपटा, जहां तहां कपड़े के बीच से
झांकता देह, कमर में लिपटे चिथड़े...
आखिर मैं सिल्क साड़ी का सिरा खोंसू
कहां?

जब मैं चांदी का पायल के झनकार से अपने
को सिंगार करने के लिए आयने के सामने आती
shisha के सामने अपने पैर रख कर दोनों हाथों
से पायल के एक एक सिरा को पकड़ कर
पैर तक लाती-एक चेहरा सामने आती
बिखरे बाल, जर्जर काया, आंसूओं
से नहाया गाल, चिथड़े में लिपटा देह
पैर पर लोहे की जंजीर
जंजीर से जकड़ा पैर पर जख्म के कई
दाग, कौन जाने किस किस जख्म का
दाग है ...
आखिर मैं पायल की घुघरू बांधु कहां?
अरे कोई तो बता दो-मैं सिंगर करूं कैसे?

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