खूंटी जिला के कर्रा प्रखंड के छाता नदी में जबड़ा गांव के पास डैम बनाने के लिए भूमिंपूजन 10 दिसंबर 2010 को किया गया। 12 दिसंबर से डैम बनाने का काम शुरू किया गया। 13 दिसंबर को डैम के काम में लगे दो लोगों की अपहराण के बाद एक की हत्या कर दी गयी। 14 दिसबंर को गांव के दो लोंगो का पुसिल पकड़ कर कर्रा थाना में 21 दिसंबर तक रखा। एक ग्रामीण की हत्या के बाद 16 दिसंबर से डैम का काम रोक दिया गया है। लेकिन इस योजना के बारे जलसंसाधन विभाग तथा बिशेस भू-अर्जन विभाग क्या कहती है-यह हैयरान तथा चैंकाने वाली बात हैं। इसको समझने के लिए मैं ने 5 फरवरी 2011 को संबंधित विभाग से जनसूचना अधिकार 2005 के तहत उत्क डैम के बारे कई जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आवेदन देने के समय संबंधित कार्मचारियों तथा अधिकारियों ने मांगी गायी जानकारी के बारे जो बातें कहीं-उसे मैं हूबहू वैसे ही रख रही हुं-ताकि इस राज्य में क्या हो रहा है-इसकी जानकारी हर आम व्यक्ति को हो। इसके साथ ही इस योजना को लेकरछेत्र में जमीनी हकीकत क्या है-इसका पूरा घटना क्रम विस्तार से रिपोट के भाग दो में रख रही हुं।
आज जब मूख्य अभियंता श्री आर एस तिग्गा से मिलने गये-तब इन्होंने कहा कि जनविरोध के कारण ही आज तक यह काम रूका हुआ था। इनसे जब मैं पूछी कि-डैम कितना बड़ा होगा-इस पर जवाब दिये, डैम तो बड़ा ही होगा। पानी का जमाव भी ज्यादा ही होगा। इन्होंने कहा कि अभी तब इसमें कोई भी काम नहीं किया गया है। क्योंकि जमीन अधिग्रहण अभी तक हुआ नहीं हैं और पहले तो जमीन का पैसा किसानों को दिया जाएगा, इसके बाद ही जमीन अधिग्रहण किया जाएगा। मैंने सवाल की-लेकिन वहां तो काम शुरू किया गया है-वो कौन कराया है-इसका जवाब दिये, इसकी जानकारी नहीं है, औरऐसा कैसे होगा-बिना जमीन लिये कैसे बनाया जाएगा।
सूचना के अधिकार के तहत दिये आवेदन को देखने के बाद अधिकारी सुझाव दिये कि-216 कमरा में सूचना अधिकारी बैठते हैं वहां जाकर दे दीजिए। जब वहां पहुंचकर सूचना पदाधिकारी श्री आर डी सिंह-अंडर सेक्रेटेरी से मिले, आवेदन दिये, तब इसमें कुछ सुधारने का सलहा देते हुए बोले-ये कहां बन रहा है किसके द्वारा बनाया जा रहा है इस बात का स्पष्ट उलेख होना चाहिए-ताभी सूचना की सही जानकारी समय पर मिलेगा। इन्होंने सवाल किये कि यह काम कहां से हो रहा है-मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था। श्री सिंह ने सुझाव दिये-पहले खूंटी उपायुक्त के पास लिखिये-वहीं बताएगें। और हां-यह प्रखंड का मामला है-इसलिए आप प्रखंड विकास पदाधिकारी के पास लिखिए-वो भी आप को जानकारी दे सकते हैं। इस संबंध में श्री सिंह ने समझाते हुए बोले-इस तरह का काम एक तो जिला उपायुक्त के स्तर पर होता है, दूसरा-ग्रामीण विकास विभाग से, तीसरा-लघु सिंचाई विभाग से। इन्हों ने चुटकी लेते हुए बोले-बरला आप को दिल्ली जाना है और आप बैंगलूर का गाड़ी में बैठेगें और बोलेगें कि मुझ को दिल्ली जाना है तो आप बताईये -आप दिल्लीपहुंचेंगे ? मैंने कहा नहीं। श्री सिंह आगे बोले-इसी तरह आप को पता होना चाहिए की यह योजना कहां से चल रहा है तब इसी आधार पर आवेदन को वहीं देना होगा।
श्री सिंह यह किस प्रमंड से संबंधित है, इसकी जानकारी लेने के लिए पहले जलसंसाधन विभाग खूंटी के एक्सक्यूटिव इंजिनियर को फोन कर पूछे कि कर्रा प्रखंड के छाता नदी में जो डैम बन रहा है-वह आप के यहां से हो रहा है। इधर से इसकी जानकारी नहीं है का जवाब मिलने के बाद श्री सिंह ने रांची धु्रवा स्थित जलसंसाधन विभाग के एक्सक्यूटिव इंजिनियर को फोन किये। इनसे बात करते समय यह पता चला कि कांटी जलाशय का योजना के नाम पर यह उनके यहां से हो रहा है। तब श्री सिंह बोले -हां यहां आवेदन में आपकाँटी का नाम जोडिये। तब इन्होंने कहा-कि आप उनके नाम से आवेदन कीजिए-लेकिन इन्होंने यह भी कहा अगर आप यहां ही देना चाहते हैं तो दे दीजिए मैं इसको वहां भेज देता हुं। तब मैंने आवेदन श्री सिंह को सौंप दी।
अधिकार बोले थे-जब तक जमीन का अधिग्रहण नहीं होगा काम शुरू नहीं हो सकता। इसके लिए बिशेस भू-अर्जन विभाग है वही डैम के लिए भू-अर्जन का काम करेगा साथ ही वही जिसका जमीन डैम में डूबेगा उसका पैसा वहीं भूगतान करेगा। आवेदन में -डैम में कितना पेड़-पौधा डूबेगा इसकी जानकारी भी मांगी गायी है-इस पर अधिकारी बोले- इसकी जानकारी भू-अर्जन विभाग ही दे सकता है। इसी के आधार पर मैं बिशेस भू-अर्जन विभाग झारखंड सरकार के नाम आवेदन बनाकर जानकारी मांगी-उपरोक्त परियोजना के लिए 10 दिसंबर 2010 को भूमिंपूजन हुआ इसके पहले आप ने इस परियोजना के लिए कितना जमीन अधिग्रहण किया है। जिसका जमीन जा रहा है-उस जमीन का क्या कीमत देने के लिए ग्रामीणों के साथ आप का एग्रीमेट हुआ है-इसकीकोपी उपलब्ध करायें। अधिकारी यह भी बोले कि -जहां तक विस्थापन का सवाल है तो गांव को विस्तापित कर डैम नहीं बनाया जाएगा। और यह काम तभी होगा जब-गांव वालों की सहमति होगी, जब्रजस्ती नहीं किया जा सकता है।
आवेदन लेकर बिशेस भू-अर्जन विभाग पहुंची। कार्यालय में संजय भरती कानूनगो थे। इनके सामने आवेदन रखी। आवेदन देखते साथ बोले-अभी तो इसमें कुछ भी काम नहीं शुरू किया गया है। आप ने जो जानकारी मांगे हैं-वो अभी कुछ भी नहीं मिलेगा। अभी तो जमीन देखे ही नहीं हैं किस तरह का जमीन है-तो जमीन का कीमत कैसे तय करेगें। वहां जाएगें, नापी करेगें तभी बता पाऐंगें कि कितना जमीन जाएगा और किसका जमीन जाएगा। कौन सा प्लोट जाएगा -अभी नहीं बता पाऐंगे। इन्होंने बताया-भू-अर्जन विभाग का काम है अधियाची विभाग क द्वारा जो भूमिं लिया जाता है उस संबंधित जमीन का नापी करा कर भू-अर्जन के धाराओं के तहत संबंधित रैयतों को मुआवजा राशि भूगतान करना है। इन्होंने कहा-आप डी पी आर मांगे हैं-नहीं दे सकते हैं। जस्ट नापी भी शुरू नहीं किये हैं तो कहां से देगें। अभी तो वहां गाये ही नहीं हैं वहां। अभी खतियान का काम ही शुरू हुआ है कि किस किस गांव का खतियान है उसको देख रहे हैं। इन्होंने बताया कम से कम ये सब करने के लिए छह माह या साल भर का समय लगेगा। मैंने सवाल किया-लेकिन वहां तो काम शुरू किया गया है-इस पर इन्होंने कहा-नहीं जानते हैं और कैसेशुरू होगा-जमीन का तो नापी ही नहीं हुआ है। इन्होंने बताया कि-10 फरवरी 2011 को जाऐंगें एरिया में जमीन नापने के लिए।
जब आवेदन को रिसिव करने के लिए दूसरे कमरा में ले जाया गया-तब मुझे वहां बुलाया गया। वहां आवेदन को देखते हुए-एक कार्मचारी ने कहा-आप जो भी जानकारी मांगे हैं-इसमें तो आप को कुछ भी जानकारी नहीं मिलेगा-कारण की अभी तब इसमें कोई कार्रवाई नहीं शुरू किया गया है, इसलिए नहीं पता पाऐंगे कि किसका जमीन जाएगा-कितना जमीन जाएगा। इसे अपना नाम-पद पूछने पर आपति जताते हुए-कहा, आप को नाम जनने की क्या जरूरत है? मैंने कहा-आप राज्य के नागरिकों के प्रति जवादेही हैं-आप व्यक्ति नहीं-जनता के लिए बैठाया गया है यहां। यह जगह राज्य की जनता की जवाबदेही-निभाने का है। इस पर इन्होंने अपना नाम-बिजय कुमार सिंह बताया। इनके साथ बात कर ही रहे थे तब-बड़ा बाबू श्री मनींन्द्र कुमार आये। इन्होंने आवेदन देखते ही बोले-इसमें आप को अभी कुछ भी नहीं मिलेगा, इसलिए कि-अभी इसमें कोई काम नहीं शुरू किया गया है। मैं बोली-जो भी है आप वही लिखकर दीजिएगा, नील तो वही लिखिएगा। इसपर श्री कुमार ने कहा-मैं अरविंद केजरीवाल का सम्मान करता हूँ.एक आइ एस नौकरी छोड़कर सूचना अधिकार के लिए आंदोलन चलाये। मैं जरूर आप को समय पर जो भी हो जानकारी उपलब्ध कराउंगा, जब भी मैडम यहां आती है, मैं आप का काम कर दूंगा। विदित हो कि रंजिता हेमरोम बिशेस भू-अर्जन विभाग की पदाधिकारी हैं जो हजारीबाग भी देखती हैं। जब मैं बड़ा बाबू से पूछी-नियमता तो जमीन अधिग्रहण के बाद ही काम शुरू किया जाता है-इस पर इन्होंने कहा-जी हां, पहले जमीन अधिग्रहण किया जाता हैं।
आज 9 फरवरी २०११ को मै खूंटी उपायुक्त श्री राकेश कुमारजी से उनके चेंबर में मुलाकात कर पूछी-१८ दिसंबर तक आप को जबड़ा डैम के बारे किसी तरह की जानकारी नहीं मिले थी. अब एक माह हो हया आप को इसके बारे कोई जानकारी मिली है? इसके जवाब में उपायुक्त साहब ऩे कहा- नहीं अभी भी कोई जानकारी नहीं मिली है. विदित हो की डैम गैरकानूनी तारीकी से ठेकेदार, दलाल और असामाजिक तत्वं के मिलीभगत से बनाया जा रहा है..इसे रोकने के लिए लिखित मांग दिये. साथ ही यही मांग पुलिस अधीक्षक को भी दिये.
सूचना अधिकार का आवेदक
दयामनी बरला-स्वतंत्र पत्रकार सह समाज सेविका
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