VOICE OF HULGULANLAND AGAINST GLOBLISATION AND COMMUNAL FACISM. OUR LAND SLOGAN BIRBURU OTE HASAA GARA BEAA ABUA ABUA. LAND'FORESTAND WATER IS OURS.
Saturday, August 13, 2011
ग्लोबल वार्मिंग से धरती को बचा सकता है तो वो है आदिवासी-मूलवासी-किसान समाज..
यह है प्राकृतिकमूलक samaj--
गुमला जिला के बसिया ब्लाक का कलिगा गाँव है। यंहा , मुंडा, उरांव, खड़िया, साहू, चिक-बड़ैक, लोहरा, तुरी, घंशी सभी समुदाय रहते हैं। गाँव के ९८ % लोग खेती-बरी करते हैं. सभी मिल कर रहते हैं। आप जो देख रहे हैं..महिला-पुरुष-बचे चट्टान में धान कूट रहे हैं। ग्रामीण कहते हैं इस चट्टान में हमारे दादा-दादी..माँ-बाप भी धान कूटते थे.
पूरा गाँव यंही धान..मडुवा साफ भी करते हैं। अपना घर के लिए चावल तो लोग बनाते ही हैं..यंहा..लेकिन इसे चट्टान में धान कूट कर पूरा गाँव के लोग चावल का बेवसी भी करते हैं। बसिया बाजार, कोंबिर बाजार में कलिगा की ही महिलाएं ..ढेकी कुट्टा चावल बेचती हैं..
आदिवासी-मूलवासी समाज के लिए चट्टान -जिंदगी का एक हिसा होता है। हर काम चट्टान में होता है..धान..मिसना, ओसाना, सुखाना, कुटना। लेकिन दुसरे समाज के लिए यह बिसिनेस का एक साधन है..चट्टान..इनके लिए खदान है..क्रेसर है, गिटी-चिप्स है। जिसे फोड़ कर पैसा बनाते हैं..बेचते हैं...इसे चट्टान को फोड़ कर..सीमेंट बनाते हैं.
यही बुनियादी फर्क है..आदिवासी-मूलवासी-किसान समाज और दुसरे समाज में..इसे लिए दावा करते हैं की आज ग्लोबल वार्मिंग से धरती को बचा सकता है तो वो है आदिवासी-मूलवासी-किसान समाज..
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