सेन गी सुसुन-काजी गी दुरंग
चलना ही नृत्य-बोलना ही- गीत-संगीत है
यही है-हमारी पहचान
हमारा-इतिहास
जल-जंगल-जमीन के साथ रचा बसा आदिवासी जीवन --की भाषा-संस्कृति की यही आत्मा है..इसको किसी पुनर्वास पकगे से भरा नहीं जा सकता है..पूरे झारखण्ड में आज जो बिस्थापन के खिलाफ लड़ाई चाल रहा है...इसे..बिराशत को बचेने की लड़ाई है..
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