प्रकृति का अपना नियम है-इसको तोड़ के पर्यावरण सुरक्षा की करना बेमानी है...
नीले आसमान..के नीचे काले बदल..बारिश कंही हो रहइ है...अब बारिश इस ओर बढ़ रही है..उड़ते चिल इस बारिश की अगवानी कर रहे हैं..आप जो उड़ते चिडयों को देख रहे हैं..ये..इस ओर अब पानी गिरेगा..इसका सन्देश दे रहे हैं। ये चिल पक्छी बारिश पानी के बूंदों को उड़ते उड़ते असमान में ही मुंह में लोकते हैं..पीते हैं..इसे लिए जिस ओर बदल उड़ते जाता है, उसके आगे आगे यह पक्छी उड़ते हैं..बदल..बारिश के बूंदों से यह प्याश बुझाते हैं...इस से शायद ही हमारे जैसे लोग..जो बिकास की बात तो करते हैं...लेकिन...प्रकृति के बिकास का अपना नियम है..इस से समझ सकते हैं...
No comments:
Post a Comment