Friday, August 19, 2011

कोई भी बिधायक..बना -ग्रामीणों के लिए कुछ नहीं किया..-तोरपा बिधन सभा ..

खूंटी जिला के कर्रा प्रखंड के लिमड़ा पंचायत के चान्हो गांव से 10 साल से 25- साल के उम्र के सभी युवक-युवातियां रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन कर जाते हैं । कारण की नरेगा योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है. गांव में बुढ़ा-बुढ़ी के अलावे एक से 8-9 साल के बच्चे ही रह गये हैं। ग्रामीण कहते हैं इस साल तो गांव में सिर्फ एक ही लड़का का शादी हुआ। क्या कारण है कि गांव में शादी नहीं है, इसके जवाब में गाँव वाले कहते हैं-गांव में जवान लड़के-लड़कियां है- ही नहीं तो शादी किसका होगा। ग्रामीण कहते हैं-गांव में रोजगार के नाम पर पांच साल से कोई भी काम नहीं हुआ है। गांव में एक रोड़ बना था उसके बाद गाँव में कोई स्कीम नहीं दिया गया । ग्रामीणों का यह भी शिकायत है गांव की 65 साल से उपर के नागरिकों को अंत्योदय तथा अन्न्पूर्णा योजना के तहत मिलने वाला चावल तथा राशन जरूरत मंदों का नही दिया जा रहा है। महिलाएं कहती हैं कि वृधा पेशन के लिए फाॅम भरते-भरते थक गये। केंन्द्र सरकार द्वारा ग्रामीणों के पलायन रोकने के लिए चलाया जा रहा राष्ट्रिय ग्रामीण रोजगार योजना क्या है इसकी कोई जानकारी गांव वालों को नहीं है।
चान्हो गांव उरांव आदिवासी बहुल गांव है। यहां की जनसंख्या आठ सौ तक है। ग्रामीण बताते हैं 1995-96 में गांव को प्रखंड की ओर से 10-12 कुंआ मिला था। इसके बाद 2001 में 15-16 इंदिरा आवास मिला था, इसके बाद आज तक कोई भी विकास योजना गांव तक नहीं आया। धान कटनी के बाद गांव में कोई रोजगार नहीं मिलने के कारण काम की तलाश मेंआधी आबादी दुसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हो रही है। ग्रामीणों के बेरोजगारी का फायदा क्षेत्रीय दलालों के साथ बाहर के दलाल भी मलामल हो रहे हैं। गांव की करीब 20-22 लड़कियों को दलाल दिल्ली आदि महानगरों में ले गये है। इन लड़कियों की उम्र अधिकांश की 10-16 वर्ष याने नाबालिग हैं। कुछ लोग दुसरे राज्यों के ईंट भटठों में चले गये हैं। हैरत की बात तो यह है कि कई परिवार के लोग तो यह भी नहीं बता पाते हैं कि उनकी बेटी किसके साथ कहां गयी है और कहां है। कई एैसे भी परिवार हैं जो पूरा परिवार ही ईट भठठों में काम के लिए पलायन कर गया है, जिनके घरों में ताला लटक रहा है।
शिवा कच्छप के घर से सात सदस्या ईट भठठा चले गये हैं, घर में मां-बाप (बुढ़ा-बुढ़ी) और एक छोटा नाती जो स्कुल में पढ़ रहा है यही तीन सदस्य रह गये हैं। तिला कच्छप की पत्नी चिंगा बताती है, इनके घर में तीन सदस्य हैं पति-पत्नी और एक बेटी। बेटी दिल्ली चली गयी है, लेकिन वहां किसके घर है यह पता नहीं है। कचन कच्छप की पत्नि बताती है- घर में छह सदस्य हैं, इसमें बड़ा बेटा बडाईया तथा एक बेटी चांदो परदेश काम करने गये हैं। घर में पति-पत्नी और एक छोटा बेटा और छोटी बेटी ही रह गये हैं। मतलु कच्छप की पत्नी करूणा बताती है-एक बेटा केरल कमाने गया है और एक बेटी ढ़लाई-रेजा काम करने बाहर गयी है लेकन मां को जानकारी नहीं है कि बेटी कहां है। धुना कच्छप की बेटी भी दिल्ली काम करने गयी है लेकिन पता नहीं है कि वह किसके पास है। बसु कच्छप बताता है ये तीन भाई है, तीनों की घर गृस्हती अलग-अलग है इस कारण ये गांव में रह गये है। हां- इनकी मां बनारस ईट भठा काम करने गयी है।
ग्रामीण कहते हैं 50-60 युवाक-युवातियों की संख्या है जो रोजगार की खोज में राज्य से बाहर गये हैं। कहते हैं-गांव में कोनो काम नी मिलाथे-काम मिलतक होले का ले बाहरे काम खोजेक जाती(गांव में कुछ भी काम नहीं मिल रहा है, यदि गांव में ही काम मिलता तो बाहर काम खोजने क्यों जाते)। विदित हो कि इस गांव में झारखंड पुलिस में दो तथ एक सैनिक में नौकरी कर रहे हैं, गांव के इतिहास में नौकरी के नाम पर यही तीन लोग है। आप लोगों का विघायक कौन है-इसके जवाब में ग्रामीण कहते हैं-हम लोग कमल फूल छाप को वोट दिये थे, कोचे मुंडा है। ग्रीमण कहते हैं इस गांव में कोचे मुंडा दो बार अपने पार्टी से जुडे युवक के पास आया था। आप लोग गांव के समस्या के बारे उनसे बात किये की नही-इस पर गांव वाले कहते हैं-क्या बात करेगें वो तो उसके पास आया था, और चला गया। दुखद बात यह है कि जिस जनता के वोट से सता सुख भोगने वाले जनप्रतिनिधि भी ग्रामीणों के समस्याओं से कोई सरोकार नहीं रखते हैं।
अभी तोरपा के बिधायक पौलुस सुरिं हैं..लेकिन इन्होने भी ग्रामीणों के लिए कुछ भी नहीं किया इन दो साल में.

No comments:

Post a Comment