VOICE OF HULGULANLAND AGAINST GLOBLISATION AND COMMUNAL FACISM. OUR LAND SLOGAN BIRBURU OTE HASAA GARA BEAA ABUA ABUA. LAND'FORESTAND WATER IS OURS.
Wednesday, April 6, 2011
अपनी अस्तित्व, पहचान, जीविका, सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक धरोहर से विछेद होने का तड़पता दर्द दबी आवाजों से कराह रहा है-PART-3
एक गैलरी है जहां आदिवासी समूदाय के परंपारिक हस्तकला, डिजाइने जिससे महिलाऐं बनाती थी का बहुत बड़ा संग्राह है। जहां महिलाओं द्वारा हर अवसर के लिए बनाये जाने वाले ड्रेस, विषेश असवरों में पहना जाने वाले डेसों का प्रर्दशनी लगाया गया है। सभी अवसर के लिए अलग-अलग रंग, के साथ हजारों डिजाइनों का उपयोग किया गया है, तथा सभी का अलग-अलग घटनाओं, मान्याताओं तथा सिद्वांतों पर आधारित है। इससे आदिवासी या नेटिव अमेरिकन महिलाओं के कुशल-कला सांस्कृति का परिचय देता है। इसमें कई वर्णन मिलते हैं जो सामूहिक जीवन पद्वती को दर्शता है। डे्रसों में चांद, तारा, नदी, सहित विचित्र हस्तकला -कढ़ाई का काम किया गया है। महिलाओं की इन कला कुशलता को निम्न श्ब्दों में वर्णन किया है-सभी चीजें नदीं की तरह है -और नदी महिला है जो सभी चीजों में है। इस गैलरी में 24 आदिवासी समूदायों के अलग-अलग अवसर के डेंसों का प्रर्दशनी लगाया गया है। एक-दो ड्रेस पुरूषो द्वारा बनाया गया है, जिस पर घोड़ सवार के, शिकार खेलने के प्रतीक बनाये गये है।
सभी जातियों के गैलेरी के दिवारों में अपनी अस्तित्व, पहचान, जीविका, सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक धरोहर से विछेद होने का तड़पता दर्द दबी आवाजों से कराह रहा है। सभी समुदाय अपनी बाते कह रहे हैं। संत लोरेन्स स्कूल की एक छात्रा अपना अनुभाव का बयान करता है-बच्चे हमारी भाषा- सांस्कृति में गैरव नहीं करते थे। जब हम अपनी भाषा बोलते थे तब लोग हमारी मजाक करते थे, लेकिन आज लोग हमारी भाषा- सांस्कृति के अनुभव को सुनना चाहते हैं। यह अच्छा लगता है लेकिन पहले का जो स्कूल था उसमें हमारी भाषा- सांस्कृति को छोटा समझता था, इसलिए इसके उपर फ्रेंच भाषा को थोपा जाता था कि अच्छी फ्रेंच बोले। लेकिन आज इनके पहचान, भाषा और सांस्कृति और इतिहास को बचाने के लिए स्कूलों के करिकुलम में डाला है। इस तरह का यह मुंवमेंन्ट हमें आशा दिलाता है, साथ ही अपने इतिहास के प्रति अभिमान होता है। लोग अपने पूर्वजों के इतिहास को ढुंडना चाहते हैं-जो अपने चुपी शब्दों से लोगों का ध्यान तोड़ते रहे हैं-मैं जानता हुं कि मैं भारत का अंग हुं, जरूरत है अपने उद्वार के लिए मैं अपने लोगों की तलाश करूं कि वे कौन हैं और कहां हैं।
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