उजाड़ने वाली कानून-बिश्वा बैंक का 1996 में जारी किया गया-हमारी सरकार इसी कानून को जमीन पर उतार रही है-पहले महानगरों में लागू किया, अब राज्यों में लागू कर रहा है। इसी कानून को अमली जामा पहनाने के लिएशहरी क्षेत्र से फुटपाथ दुकानों, झुगी-झोपड़ी, बस्तियों का उजाड़ा जा रहा है।- आइये समझें क्या है
यूनाईटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यू. एन. डी. पी.) यूनाईटेड नेशंस सेंटर फार हयूमन सेटिलमेंट (यू. एन. सी. एन. एस.) एंव बिश्वा बैंक द्वारा अरबन मैंनेजमेंट प्रोग्राम के अन्तर्गत 1996 में जारी...
शहरी भूमिं नीतियों में सुधार हेतु-दिशा -निर्देश
नीतिगत बदलाब हेतु जारी यह दिशा -निर्देश सरकार के स्तार पर महत्वपूर्ण राजनैतिक फैसले तथा विनियमिनीकरण एवं निजीकरण को स्पष्टतौर पर बढ़ावा देने वाली प्रतिबद्वता की मांग करते हैं। इन सुधारों की गुन्जैस तथा गंभीरता अलग-अलग हो सकती है। उदाहरण के लिए भूमिं उपयोग से संबंधित सुधार की शुरुआत शहरों के मास्टर प्लान से की जा सकती है तथा मास्टर प्लान को लक्ष्यय किया जा सकता है। सार्वजनिक भूंमि विकास एजेंसीज का पुनगर्ठन, बढ़ी अथाॅरिटीज (प्राधिकरणों) को छोटे-छोटेआपरेशंस में बदलाव और भूंमि विकास कार्यक्रमों को निजीकृत करना.अधिक महत्वकांक्षी सुधार कार्यक्रम होगा।
सुधारों को और विस्तार देने के लिए चाहे वह छोटा संसोधन हो या व्यापाक बदलाव.-इसके लिए कानून बनाना होगा। इन सुधारों के लिए सम्पति के अधिकार की व्यवस्था में भी मूलभूत बदलाव की जरूरत होगीं। अतएवशहरी भूमिं में नीतिगत बदलाव की रणनीति बनाने से पूर्व राजनैतिक एवं तकनीकी मसलों के आकलन की जरूरत होगी।
सुधार का पहला कदम-भूमिं के बाजार का आकलन
अधिकांश देशों में एक अनिवार्य समस्या यह है कि भूमिं उपयोग नीतियां सरकारी नियंत्रण में हैं और निजी क्षेत्र के संस्थानों को इस संदर्भ में प्र्याप्त सरकारी सहायता प्राप्त नहीं हो पायी है।
अतएव सरकारों के लिए पहला और अवश्यक कदम यह होना चाहिए कि वे शहरी भूंमि के संम्बध में अपनी नीतियों की जांच -पडताल समीक्षा करें। इस संदर्भ में हमने एक तरीका विकसित किया है जो भूंमि बाजार आकलन (लैंण्ड मार्केट एसेसमेंट) के रूप में जाना जाता है।
दुसरा कदम-भूंमि प्रबंध प्राधिकरणों का विकेन्द्रीयकरण
शहरी bhumi नीति में परिर्वतन करना सरल हो जाएगा यदि इस संबंध में जिम्मेदारियां स्थानीय शासन को स्थानांतरित करके उन्हें इस कार्य हेतु अधिकृत कर दिया जाए। श्री भूंमि नीति के लिए राष्ट्र्रीय स्तर पर इसका आकलन करते हुए तथा कानूनी एवं संस्थागत प्रावधनों को समझते हुए इसे ठीक ढंग से बनाने एवं लागू किये जाने की जरूरत है। यदि स्थानीयशासन को ‘’ाक्तियां प्रदान की जाती हैं तो सुधार कार्यक्रम तेजी के साथ आगे बढ़ सकेगें और यह स्थानीय भूंमि बाजार की स्थितियों के साथ बेहहतर तालमेल वाला भी होगा।
तीसरा कदम -विनियमितीकरण-
शहरी भूंमि नीतियों एवं नियम-कानूनों का सजग एवं संतुलित विनियमितीकरण भूमि की कीमत कम करेगा और भूंमि बाजार की कार्य क्षमता को बढ़ोयेगा। कीमत कम करने हेतु प्रथम और सबसेप्रभावशाली कदम यह है कि भूंमि -उपयोग एवं विकास के मध्य भूमिं की आपिूर्ति
(उपलब्धता) एवं भूंमि की मांग के बीच संतुलन बनाया जाए। आवासीय भूंमि के स्थानीय स्तर आकलन किया जाए तथा निचली जमीनों के विकास एवं निर्माण की लागत कोससोधित किया जाए। भूंमि -उपयोग एवं विकास नियंत्रित सरलीकृति किया जाए तथा संस्तुति की प्रक्रिया छोटी की जाए।
चैथा कदम-
भूंमि विकास की सार्वजनिक एजेंसियों की भूंमिका कम की जाए
बहुत से देशों में भूंमि विकास की सार्वजनिक एजेंसियां भूमि बाजार के प्रयासों के लिए बहुत ही कम काम करती हैं, न ही निर्धन तबके के लोंगों के लिए भूंमि या आवास उपलब्ध कराती हैं और अकसर सरकार के उपर वितीय बोझ बढ़ाती रहती हैं। इसीलिए सरकारों के लिए यह आव’यक है कि वे ऐसी एजेंसियों की भूंिमका आकलन करें और सुधारात्मक कदत उठायें। इस तरह के उठाये जाने वाले कदमों में वृहत आकार के बहुराज्यीय निगमों @ प्राधिकरणों के आकार को छोटा करने हेतु उनका पुनर्गठन, सभी के सभी का निजीकरण या इन निगमों के किसी भाग का निजीकरण या इन्हें समाप्त करना है-शामिल है।
पांचवा कदम-भूमिं बाजार के प्रयासों में क्षमता का संवद्र्वन
बाजार आधारित व्यवस्था वाले देशों में जहां पर परम्परागत तथा अनौपचारिक भूंमि व्यवस्था होती है वहां सरकार को बड़ा मद निवेश करना होता है या निजी पहल को प्रश्रय देना होता है जिससे कि भूंमि स्वामित्व के रिकार्ड एवं पंजीयन को ठीक करके भूंमि की खरीद -फरोख्त को बढ़ावा दिया जा सके। इसके लिए कम से कम पार्सल मैप मनाना होता है साथ ही साथ निकार्ड रखने की व्यवस्था जिसमें रीयल इस्टेट के लेन-देन का रिकार्ड दर्ज हो और भूंमि के मालिकाना का रिकार्ड भी अपडेट किया जाना चाहिए। यह मैप क्षेत्रीय स्तर तथा सब-डिवीजन के स्तर पर होने चाहिए।
यदि सम्पति कर का प्रावधान है तो टैक्स एवं भूंमि के लेन-देन का अतिरिक्त रिकार्ड भी होना चाहिए। साथ ही साथ सम्पति की कीमत, टैक्स एसेसमेंट, भुगतान एवं प्राप्तियों का भी रिकार्ड होना चाहिए।
छाटवा कदम---ढ़ाचागत निर्माण हेतु नेटवक्र्स बनाना तथा उसे वित्तीय, संस्थानिक एवं समुचित स्वरूप प्रदान करना-
शहरी भूंमि नीति का टिकाउ ढ़ाचागत निर्माण हेतु निवेश -कार्यक्रम के साथ समन्वय होना चाहिए। इस तरह के कार्यक्रमों के लिए इस बात की जरूरत है कि प्रत्येक शहर के लिए एक समुचित समग्र बुनियादी खाका तैयार किया जाए। इसमें आने वाली लागत का भी आकलन किया जाना चाहिए। इस आकलन में उन खर्चों को भी शामिल किया जाना चाहिए जो विकास कार्य को आगे बढ़ाने के लिए बुनियादी ढ़ांचे के रूप में जरूरी होते हैं। वित्तीय प्रबंधन भी टिकाउ होना चाहिए अर्थात इस बात की पूरीकोशिश होनी चाहिए कि बुनियादी ढ़ांचों के लाभार्थी तथा उपभोगकर्ता उपयोग हेतु भुगतान करें।
No comments:
Post a Comment