VOICE OF HULGULANLAND AGAINST GLOBLISATION AND COMMUNAL FACISM. OUR LAND SLOGAN BIRBURU OTE HASAA GARA BEAA ABUA ABUA. LAND'FORESTAND WATER IS OURS.
Wednesday, April 6, 2011
आदिवासी समाज के जीवन शैली-भाषा, कला-सांस्कृति, लोक ज्ञान, लोक कथाओं, परंपारिक जीवन शैली, पेटिंग आदि का विशाल संग्राह है-PART-2
NATURE IN OUR HERITAGE
कैम्पस के बाहर बड़े-बड़े टुकू (पत्थर) रखे गये हैं। यह म्ूयूजियम विश्व में सबसे बड़ा है, जहां प्राकृतिकमूलक आदिवासी समाज के जीवन शैली-भाषा, कला-सांस्कृति, लोक ज्ञान, लोक कथाओं, परंपारिक जीवन शैली, पेटिंग आदि का विशाल संग्राह है। बिलडिंग 250,000 स्कोर्य फुट जमीन पर खड़ा है। म्युजियम को आदिवासियों के जंगल, तथा कृर्षि आधारित जीवन शैली से जीवंता प्रदान करने के लिए हर जगह कहीं जंगल, गेंहूं के खेत, दुसरे परंपारिक अनाजों के खेतों के प्रर्दशनी से पाट दिया है। पूरे अमेरिका के आदिवासियों के इस पहचान को संग्रह करने में 15 वर्षो का समय लगा है जो विभिन्न जन जातियों के समूदाय के सहयोग से किया गया है। यहां 8000 (आठ हाजार)उद्वेस्यों को लक्ष्य करके 800,000 (आठ लाख) आईटम संग्राहीत किया गया है।
म्यूजियम में प्रति दिन लाखों लोग आते हैं देखने के लिए। यहां हाजारों विभाग हैं, जिनको अलग-अलग तरीके से प्रस्तूत किया गया है। यह गैलेरी-विभाग-आवर यूनिर्वास, आवर पीपूलस, आवर लीव्स , में देश के 24 जनजातियों सहित अन्य स्थानीय समूदायें, अपनी इतिहास और कहानी अपने शब्दों में बयान करते रहतें हैं। इस गैलेरी में कहीं आदिवासियों के नाचने गाने की आवाज आती है तो कहीं, अपने संर्घर्षों के घावों का ताजा दुखद बयान मन को झकझोरने लगता है।
गैलेरी आवार यूनिर्वस-में आदिवासियों के परंपारिक ज्ञान तथा विश्वदर्शन की खोज-बीन करता है। प्रर्दशनी इनके समकालीन मनाये जाने वाले अवसरो में इन्हें एक साथ इकत्र करता है, जैसे डीनवीर मार्च पावअवा के दिन तथा उतरी अमेरिका इंडिजिनस खेल के दिन मिलते हैं। गैलेरी आवार पीपूल्स में-आदिवासियों के इतिहासिक घटनाओं को इनके दृष्टिकोण से फोकस किया जाता है। प्रर्दशनी विषलेशण करता है कि- किस तरह बीमारी, बंदुकें, बैबल और सरकार आदिवासियों के जीवन को 1491 के बाद प्रभावित किया है। गैलेरी आवार लीवस में-21 वीं शदी के आदिवासियों के समलाकीन जीवन और उनके पहचान, समाज, सांस्कृति, भाषा तथा राजनीतिक पहलुओं पर चर्चा करता है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment