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Wednesday, July 13, 2011
ट्रैक्टर स्प्रेयर और डस्टर जैसे उपकराणों से कृर्षि उत्पादन में वृद्वि हुई है, लेकिन पर्यायवरण पर इन संसाधनों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
पशु उर्जा से कृर्षि उत्पादन बढ़ाएं
9 जुलाई 11-एआईसीआरपी की मीटिंग में एग्रीकचर विभाग के अधिकारियों ने कहा-पशु उर्जा से कृर्षि उत्पादन बढ़ाएं-
सिमित संसाधनों से बेहतर उत्पादन आज के युग की जरूरत है। कृर्षि के क्षेत्र में इसकी जरूरत ज्यादा है। हालांकि ट्रैक्टर स्प्रेयर और डस्टर जैसे उपकराणों से कृर्षि उत्पादन में वृद्वि हुई है, लेकिन पर्यायवरण पर इन संसाधनों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण संरक्षण और जानवरों की रक्षा दोनों को ध्यान में रख कर कृर्षि उत्पादन बढ़ाना होगा। इसी संदर्ध में बिरसा एग्रहकलचर यूनिवर्सिटी -बीएयू- के तत्वावधान में एसडीसी सभागार में दो दिवसीय मीटिंग की शुरुआत हुई। आल इंडिया कोओर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजक्ट की मीटिंग में कृर्षि मेंपशु उर्जा की उपयोगिता पर चर्चा हुईं ं।
चर्चा में देश के 13 राज्यों के कृर्षि वैज्ञानिक और कृर्षि विवि के पदाधिकारी शामिल थे। उनके अलावा डीन एग्रीकलचर डा एक सरकार, एग्रीकलचर इंजीनियरिग विभाग के हेड डीक रूसिया,एडिसनल डायरेक्टर डीके द्रीण -रिसर्च- ंमौजूद थे।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बीएयू के बीसी डाॅ+ एनएन सिंह ने पशु उर्जा के युक्तिपूर्ण उपयोग को कृर्षि के सतत सिकास का आधर बनाने को कहा। उन्होंने हल, खाद, और बीज गिराने वाले उपकरण, कादो करने वालीमशीन का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करने की सलाह दी।
तकनीकी सत्र में सेंट्रल इंस्टीटूयट आफ एग्रीकलचर इंजीनियरिंग, भोपाल के निदेशक डा प्रीतक चंद्रा, एडीजी एनपी सिरोही, सीआईएई भोपाल के डा दीपक चैधरी भी मौजूद थे।
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