VOICE OF HULGULANLAND AGAINST GLOBLISATION AND COMMUNAL FACISM. OUR LAND SLOGAN BIRBURU OTE HASAA GARA BEAA ABUA ABUA. LAND'FORESTAND WATER IS OURS.
Saturday, June 25, 2011
क्हीं उछलता-कूदता, कहीं शोर मचाते, कहीं शांत , तो कहीं गनुगुनाते अपने स्वाभिमान गति से निरंतर बहने वाली सतलुज अब-अपनी मर्जी से नहीं-पूजिंपतियों-उद्वोग
क्हीं उछलता-कूदता, कहीं शोर मचाते, कहीं शांत , तो कहीं गनुगुनाते अपने स्वाभिमान गति से निरंतर बहने वाली सतलुज अब-अपनी मर्जी से नहीं-पूजिंपतियों-उद्वोग घरानों के मर्जी पर चलेगी
सतलुज जल संग्रहण क्षेत्र में बनने वाली अधिकाश परियोजनाओं की भूमिगत सुरंगें नदी के दाहिने किनारे पर बनेगी। सतलुज के दाहिने किनारे की पहाडि़यां अधिकतर दक्षिणमुखी है, जिसमें नमी की कमी व अधिक तेज धूप के कारण वनस्पति आवरण बहुत कम है, और इन पहाडि़यों की ढ़लान 60 डिग्री से कम नहीं हैं जिससे घाटी अत्यंत तंग आकार की है। इन कारणों से दक्षिणमुखी पहाड़ी ढ़लान अपेक्षाकृत अधिक भूस्खलन ग्रस्त होती है। भूमिगत सुरंग के निर्माण में भारी मात्रा में विस्फोटक के प्रयोग से यह क्षेत्र जर-जर हो जाएगा। और इस क्षेत्र में स्थित गांव बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाएंगे। दक्षिण मुखी होने से इन गांवों में पानी की वैसे ही कमी हैं। भूमिगत भारी ब्लास्टिंग के कारण पानी के स्त्रोत सूख जाऐगें। भूस्खलन व भू-क्षरण के कारण लोगों के मकान, बगीचे, खेत नष्ट हो जाऐंगे। लोगों का जीवन दुष्वर हो जाएगा। इसके अतिरिक्त ब्लास्टिंग से उत्पन जहरीली गैसों, गाडियों, और अन्य मशीनरियों से उत्पन गैस के कारण भारी मात्रा में वायु प्रदुषित होगी और इसका खमियाजा यहां के लोगों को भूगतना पडेगा। इन प्रस्तावित परियोजनाओं से प्रभावित होने वाले गांव-पूह, स्पीली, जंगी, ठंगी, स्कीबा, असपा, खदरा, रारंग, पूर्वनी, पांगी, शैगगठौंग, उरनी, आदि पहले से ही भूस्खलन के शिकार हो चुके हैं। भूमिगत ब्लास्टिंग से इनकी त्रासदी और बढ़ सकती है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment