VOICE OF HULGULANLAND AGAINST GLOBLISATION AND COMMUNAL FACISM. OUR LAND SLOGAN BIRBURU OTE HASAA GARA BEAA ABUA ABUA. LAND'FORESTAND WATER IS OURS.
Wednesday, June 22, 2011
भूमिगत सुरंगों के कारण प्रभावित गांव के पनी के स्त्रोत सूख रहे हैं-5
pahad ko kat kar road banaya gaya..
सतलुज जल संग्रहण क्षेत्र में बनने वाली सभी परियोजनाएं रन आफ दी रीवर परियोजनाएं हैं जिसमें लंम्बी लंम्बी भूमिगत सुरंगों द्वारा पानी को पावर हाउस स्थल तक पहुंचाया जाता है जिस से नदी पानी रहित हो जाती है। पानी के बिना नदी का स्वरूप अत्यंत खराब व नुकसान दायक होता है। नदी के निकट स्थित गांवों की जल-वायु गर्म हो जाती है और नमी की कमी के कारण उस क्षेत्र में सभी प्रकार के वनस्पतियां, जीव-जन्तु प्रभावित होगें। आज मौसम गर्म होने के कारण किनौर के निचले क्षेत्र में सेब का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। भूमिगत सुरंगों के कारण प्रभावित गांव के पनी के स्त्रोत सूख रहे हैं। भूमिगत जल प्रवाह के बहाव बदलने से उपर की सभी प्रकार की वनस्पति सूख सकती है। भारी मात्रा में मशीनरियों के प्रयोग से वायुमंडल प्रदूषित होने पर जो एसिड रेन होगा इससे भी पनी प्रदूषित होगा। यही नहीं जो पानी बिजली बनने के लिए उपयोग होने के बाद उसे पुना नदी में बहा दिया जाता है-वह भी प्रदूषित पानी ही होता है। साथ ही पूरे परियोजना क्षेत्र में नदी के किनारे मजदूर, कर्मचारी बसते जा रहे हैं। इसे भी प्रदूषण बढ़ रहा है।
समजुल नदी में जेपी कंपनी का कार्यालय
भूमिगत सूरंगों के प्रभाव-इन परियोजनाओं का निर्माण रन आफ दी रीवर पद्वति से हो रहा है। जिस में भूमिगत पावर हाउस के अतिरिक्त लंम्बी लंम्बी भूमिगत सूरंगें बनायी जायेगी, जिनकी लम्बाइ 15-20 किलोमीटर से कम नहीं होगी और इसका ब्यास 10.11 मीटर से कम नहीं। प्रस्तावित करछम-वांगतु परियोजना में भूमिगत सुरंगों की लम्बाई 17.2 किलोमीटर और इसका ब्यास 10.8 मीटर है। इन सुरंगों के निर्माण से 68 लाख टन से भी ज्यादा मलवा बाहर निकलेगा। एक नया प्रस्तावित परियोजना में 38 किलीमीटर की 9 सुरंगें होगी जिसके लिए सर्वे का काम चल रहा है।
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☺☺
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