Wednesday, June 22, 2011

पहाड़ पर रोड़ बनाने की प्रक्रिया जारी है-पहाड़ पर अब जंगल-झाड़, पर्यावरण नहीं, अब यहां कंपनियों की गाडि़यां दौडेगीं..3



पहाड़ पर रोड़ बनाने की प्रक्रिया जारी है-पहाड़ पर अब जंगल-झाड़, पर्यावरण नहीं, अब यहां कंपनियों की गाडि़यां दौडेगीं


इन परियोजनाओं के कारण किनौर में सतलुज बासपा नदी पूर्ण रूप से भूमिगत हो जाएगी। भूमिगत सुरंगों के उपर स्थित सम्पूर्ण क्षेत्र जर्जर हो जाएगा जिस से यहां का पर्यावरण संतुलन डगमगा जाएगा। सतलुज जल संग्रहण क्षेत्र का 90 फीसदी भाग शीत मरूस्थलीय होने के कारण यह जल संग्रहण क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील जोखिम भरा है। पूजिपतियों तथा कारपोरेट घरानों ने किनौरवासियों से सतलुज के पानी का अधिकार छीना चुका है। जिनती परियोजनाएं इस जलसंग्रहण +क्षेत्र में बनाये जा रहे हैं नदियों के बुंद-बूंद पानी कंपानियों के कब्जे में होता जा रहा है।viswa पर्यावरण दिवस के दिन हिमाचल नीति अभियान के रंजीत सिंह नेगी ने चिंता व्यक्त किया-कि आज हम भारी मुशीबत में हैं। औद्योगिकीकरण से सामाजिक, सांस्कृतिक प्रभाव हुआ है। हम विकास विरोधी नहीं हैं-लेकिन हमारा सामाजिक अस्तित्व, पहचान, भाषा- सांस्कृतिक, पर्यावरण को नष्ट कर नहीं। श्री गुमान सिंह ने दुख प्रकट किया-कि जे0 पी0 और अन्य कंपनियों ने पूरे किनौर के पर्यावरण को छीन लिया। कंपनियों की गाड़ीयों के लिए रोज जंगल और पहाड़ उजाडे जा रहे हैं। सतलुत के नदियों को बांध कर बिजली पैदा कर दिल्ली के अमिरों, पूंजिपतियों के कारखानें चलाये जा रहे हैं। विकास के नाम पर भखरा बना, विकास हुआ, लेकिन यहां के विस्थापित जो बेघर-बार हुए आज तक उनकी सुधी नहीं ली गयी। आज भी ये रोजगार और पूनर्वास के लिए भटक रहे हैं। भखरा के विस्थापित नंदलाल शर्मा जी विस्थापितों के दर्द का बंया किया-40 साल बाद भी विस्थापितों का पुनर्वास नहीं किया गया। उन्ना जिला के हरेन्द्र सिंह परमार ने सवाल उठाया कि एस जेड के नाम पर किसानों का जमीन अधिग्रहण कर सरकार एयर पोर्ट बनाना चाहता है। आखिर एयरपोर्ट किसके लिए बनाया जाएगा, जिसके लिए हजारों किसानों को अपने धरोहर से उजड़ा जाएगा। दिल्ली फोरम की अध्यक्ष राधा बहन ने कही-हिमाचल बिक जाएगा तो हम गुलाम हो जाएंगे। जे0 पी0 कंपनी ने पूरे देश के जल जंगल जमीन को लूटने का काम कर रहा है। सरकार, प्रशासन उनकी दलाली कर रहे है। इस धरोहर को अगली पीढ़ी को देना है इसलिए इसकी रक्षा होनी चाहिए। उतराखंड, झारखंड, दिल्ली, जम्मू-मीर, उतरांचल के प्रतिभागीयों ने भी देश के हर क्षेत्र में सरकार और कारपोरेट घरानों द्वारा जनतांत्रिक अधिकारों पर किये जा रहे हमलों का विरोध किया।

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