Friday, April 24, 2020

भाग-6-- कब तक हम एक रुपये किलो वाले चावल पर हमारे लोगों को परजीवी बना कर रखेंगे। कब तक लाल कार्ड , पीला कार्ड के सहारे राज्य को छोड़ेंगे। हम अपने राज्य को आत्मनिर्भर बनायें


                                                              भाग-6
आज राज्य की इस्थिति  का समीक्षा होनी चाहिए, साथ ही आने वाले समय के लिए  हमें तैयारी भी  करनी चाहिए
2011 के जनगणना के अनुसार राज्य की कुल आबादी 3,29,88,134 है।
राज्य का भौगालिक क्षेत्रफल-79,741 वर्ग किमी
झारखंड का क्षेत्रफल 79,714 वर्गकिमी हैं, यानी 7971400 हेक्टेयर है
इसमें लगभग 23 लाख हेक्टेयर भूमि का उपयोग जंगल  के लिए हो रहा है
6 लाख हेक्टेयर भूमिं खाली हैं
पहाड, पर्वतों के कारण 7 लाख हेक्टेयर भूमि में गैर कृर्षि कार्य हो रहे हैं अर्थात चरागाह, मकान, संडक, रेल, नदी, कारखाना, खान आदि हैं
27 लाख हेक्टेयर भूमिं बेकार, परती, चरागाह आदि के लिए है
41 लाख हेक्टेयर भूमिं कृर्षि योग्य है, इसमें 3.12 लाख हेक्टेयर बेकार पड़ी है
परती भूमि 19.58 लाख हेक्टेयर है तथा कुल 18.30 लाख हेक्टेयर भूमि बोई गयी भूमि है जिसमें लगातार फसल बोयी जाती है.
यहां यह स्पस्ट है कि झारखंड के क्षेत्रफल का आधा से अधिक याने 51.44 प्रतिशत
भूभाग  कृर्षि के योग्य है। किंन्तु संसाधन के आभाव में इसका संपुर्ण उपयोग नहीं हो पा रहा है, केवल 45 प्रतिश त याने 18.30 लाख हेक्टेयर में ही फसल बोयी जा रही है। षेश  55 प्रतिषत  कृर्षि के योग्य बेकार याने परती पड़ी है।
यहां समीक्षा करना है कि राज्य की आबादी के लिए अनाज का पैदवार कितना है? यदि खाद्यान का उत्पादन प्रयाप्त नहीं है, तो उत्पदान बढ़ाने का प्रयास होना चाहिए। जब हमारे पास जमीन है, पानी है साथ में मैनपावर भी है। तब कृषि योगय 19.58 लाख हेक्टेयर जमीन पर जो खली है पर भी खेती करने की जरूरत हें रज्य  में केवल 8 प्रतिशत सिंचित जमीन हे, तब सवाल है  कि बाकी असिंचित ़़क्षेत्र को सिंचित क्षेत्र में केसे बदल सकते हें यदि ऐसे संभव  होता है  तो राज्य  कृषि हब बन जायेगा , और  आनाज का बड़ा निर्यातक  भी  बन जायेगा।  जंहा तक सिंचाई सुबिधा का सवाल है , जब उद्योगों  के लिए १०० किलोमीटर दूर से पाईप लेने बिछा कर पानी का सेवास्था कर सकते है , तब किसानों के खेतों के लिए क्यों बेवस्था नहीं को  सकता है,. . कब तक हम एक रुपये किलो वाले चावल पर हमारे लोगों को परजीवी बना कर रखेंगे।  कब तक लाल कार्ड , पीला कार्ड के सहारे राज्य को छोड़ेंगे।  हम अपने राज्य को आत्मनिर्भर बनायें , ये दुखद बात है की राज्य की आधी आबादी बीपीएल (बिलो पॉवर्टी लाइन ) के रूप में पहचान दे रही है। 
शिक्चा , स्वास्त्य , और रोजगार के अस्तर को ऊपर उठाना होगा. राज्य में करोड़ों खनिज से रॉयल्टी आ रहा है।  पचासों विकास योजना केंद्र और राज्य सरकार की चल रही है, फिर भी राज्य आगे नहीं भाड़ रहा है, क्यों इसका जवाब शायद सबके पास है., राज्य में विकास का सबसे बड़ा बाधक भ्रस्टाचार है, भ्रस्टाचार जड़ जमा लिया है , इसको जब तक उखड नहीं फेकेंगे , राज्य और पीछा चला जायेगा।  
शेष भाग --७ में पढ़ें 

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