Wednesday, June 22, 2011

बुंद-बुंद पानी पर कोरपोरेट घरानों का कब्जा बढ़ता जा रहा है-4


सतलुज जल संग्रहण क्षेत्र में सैकड़ों परियाजनाओं के निर्माण से अब यह जोखिम भरा क्षेत्र में तब्दील होता जा रहा है।
जलाशय पर प्रभाव--बुंद-बुंद पानी पर कोरपोरेट घरानों का कब्जा बढ़ता जा रहा है
इन परियोजनाओं में नदी पर जगह जगह बांध बना कर जलाायों का निर्माण किया जा रहा है। जलाशय के पानी से आस-पास की जलवायु में परिवर्तन आता है जैसे कि समरजैंस से बहुत बड़ा भू-भाग पानी में डूब जाता है। उस क्षेत्र में पाये जाने वाले पेड़ पौधे नष्ट हो जाते हैं। पानी के जमा होने के कारण मच्छर आदि किडे मकोडे पैदा होते है तथा अनेक प्रकार की बीमारियां फैलती हैं। धुंध के कारण उस इलाके की विजिबिजिटी कम हो जाती है। करछम जलाशय के कारण सापनी एवं ब्रुआ गांव को खतरा पैदा हो गया है और इसी तरह जलाशयों के निकट स्थित गांव को भी नुकसान हो सकता है। जलाशयों के कारण जो मौसम में परिवर्तन आयेगा उसे उंची चोटियों पर स्थित हिमखंण्ड 10 मीटर प्रति वर्ष सिकुड़ता जा रहा है। मौसम पविर्तन से सिकुडन की दर और बढ़ेगी और नदियों में बाढ़ आयेगी और जब हिमखंण्ड खत्म हो जायेगा तब हिमालय क्षेत्र से निकलने वाली सभी नदियां सूख जायेगी।

No comments:

Post a Comment