Wednesday, April 6, 2011

आज अमेरिका के रेड इंडियन समाज अमेरिका सेख़तम कर दिये गए . इनका भाषा -संस्कृति - इतिहास आज सिर्फ संग्रहालय में ही जिन्दा है-part-1



TRADITIONAL DRESS OF NETIVE AMERICAN SOCIETY

BANHURI, KARCHUL, TANGI AND OTHER TRADITIONAL HOME MADE

किसी भी देश के बिकास का इतिहास देखेंगे तो..यह साफ पता चलता है..की बिकास के नाम पर वंहा के आदिवासी-मूलवासी, किसान समाज को उजाड़ ऩे के बाद ही दूसरा पूंजीपति वर्ग अपने को स्थापित किया है. यही नहीं आदिवासी-मूलवासी, किसान समाज को उजाड़ कर ही राज्य यह देश में पूंजीवादी बेवस्था भी अपना जड़ जमा सका है. अमेरिका में भी यही हुआ है. आज अमेरिका के रेड इंडियन समाज अमेरिका सेख़तम कर दिये गए . इनका भाषा -संस्कृति - इतिहास आज सिर्फ संग्रहालय में ही जिन्दा है. नेशनल म्यूजियम आफ दा अमेरिकन इंडियन म्यूजियम के करीब पहुंचते ही आदिवासी गांवों के जंगल-पहाड़, धूल-माटी का सहसास होने लगता है। अंदर प्रवेश करते ही तीर -धनुष ताने काले आदिवासी पुरूष की प्रतिमा अनायास ही आदिवासी संर्घषों का अहसास दिलाता है। साथ ही बगल में अखाड़ा नुमा गोलाकार खाली स्थान पर लकड़ी का बड़ा नाव तथा बगल में रखा डांग(नाव खेने वाला डंटा) तथा वहीं दूसरे ओर घांस से बना नाव आदिवासियों के जीवन का जीवंत कथा मैन स्वर में यहां आये लोगों के कानों में कह रहा है। अंदर घुसते ही वेलकम डेस्क में आगंतुकों को म्यूजियम के बारे जानकारी देते कर्मचारी स्वागत करते हैं। पहला ग्राउंड फलोर में आदिवासियों के परंपारिक जीवन शैली से संबंधित तमाम तरह के घरेलू सामान, तीर-धनुष, टांगी-फरसा, बलुआ, बुसंरी, मिरदांग, केंदरा, हर तरह के परंपारिक घरेलू सामान झाडू-करछुल जैसे लाखों आइटम से दुकान को सजाया गया है। प्रदर्शित परंपारिक पहिरावा महौल को और आत्मियता बना दिया है। साथ ही इससे संबंधित सीडी भी बेचने के लिए रखा गया है।

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