Tuesday, January 25, 2011

सरकार की मनमानी नहीं चलेगी.-karra block Jabda daim


ग्रामीणों ऩे नारा दिया है...सरना सके अबुआ-डैम दा कबुआ , ओते हासा अबुआ- डैम दा कबुआ ,गदा-डोडा अबुआ -डैम दा कबुआ , जान भी नहीं देंगे- जमीन भी नहीं देंगे..सरकार की मनमानी नहीं चलेगी..हिंदी--जंगल---जमीन..सरना-सके धर्मिक्स्थल हमारा है...डैम पानी नहीं चाहिए. नदी-नाला-झरना हमारा है..डैम पानी नहीं चाहिए..
खूंटी जिला के कर्रा ब्लाक के छाता नदी में ६५ करोड़ का daim में० त्रिवेणी एन्जिकांस प्राइवेट लिमिटेड जमशेदपुर ग्रामीणों से सहमती लिए बिना ही चोरी छिपे बनाना शुरू कर दिया गया है. १० दिसंबर १० को अचानक भूमि पूजन किया गया..११ दिसंबर को मशीन लाया गया और १२ दिसंबर से काम शुरू किया गया. १३ दिसंबर को ठेकेदार के ही एक आदमी और जबड़ा गाँव के बिजय धान का अपहरण किया गया..ठेकेदार का आदमी घोड़ दिया गया, बिजय का हत्या हो गया. इसे के पूछ ताछ के लिए पुलिस दो ग्रामीणों को पांच दिन तक थाना में रखा. १८ दिसंबर को इसकी जानकारी लेने जिलामुख्यालय खूंटी उपायुक्त श्री राकेश कुमार, दंडाधिकारी श्री परमेश्वर भगत, अपर समाहर्ता श्री रेमंड केरकेट्टा से बात किये. सभी अधिकारीयों ऩे इस योजना के बारे अनभिज्ञता जाहिर किये. सभी ऩे कहा हम को किसी तरह की सुचना नहीं है. आज २५ जान, ११ को ब्लाक घेराव के दौरान..प्रखंड बिकास पदाधिकारी श्रीमती मेघना रूबी कछाप और सर्किल ओफ्फिसर श्री कमला कान्त गुप्ता ऩे भी कहा की इसके बारे हम लोगों को किसी तरह की जानकारी नहीं दी गयी है. श्री कमला kantji ऩे बताया 2009 में जब खूंटी डी सी पूजा सिंघल थे, तब जलसंसाधन बिभाग से इंजीनियर आये थे और जबड़ा गाँव में कुछ गाँव वालों से बैठे थे. उस समय गाँव वालों को इंजिनियर अदि ऩे कहा था..की आप लोग मेजरमेंट करने दो..कितना पानी. जमा होगा..कितना क्या होगा.. इस समय कुछ ग्रामीण बिरोध किये. कुछ सहमत हुए... लेकिन इसके बाद क्या हुए..क्या मेजरमेंट किया गया ..कोई जानकारी नहीं मिली..ना ही. डैम बनाने के पहले कोई सूचना ही मिला . सी ओ साहब कहते हैं ..जो भी जमीन परियोजना के लिए लिया जाना है..उसका पहले अधिग्रहण किया जाता है, कौन सा खता ना. कौन सा प्लाट.कितना रकबा लिए जायगा..इसका पता सी ओ को होना चाहिए..लेकिन हम को कोई जानकारी नहीं है.बी डी ओ श्रीमती मेघना रूबी कछाप कहती हैं..यह हैरारनी की बात है..की आखिर इसके सूचना जिला के अधिकारीयों को क्यों नहीं दिया गया. जब की ग्रामीण इलाके में जब भी कोई जमीन अधिग्रहण होगा सी ओ को एक एक इंच जमीन कंहाँ कौन ले रहा है. इसकी जानकारी होनी चाहिए. इसे यही सिद्ध होता है की सरकार मनमानी कर रही है. और यह सवाल सिर्फ कर्रा ब्लाक का मामला नहीं है.. लेकिन यह पूरे राज्य का सवाल है. यह सरकार का अन्यायपूर्ण रवैया है..ग्रामीण-किसानों पर अत्याचार है. अगर इसा ही होते रहा तो झारखण्ड के आदिवासी मूलवासी किसान, ग्रामीणों का अधिकार पूरी तरह से ख़तम हो जायगे..यह समुदाय राज्य में जड़ से ख़तम हो जायेगा.. ग्रामीणों ऩे डैम किसी कीमत में नहीं बनाने देने की मांग किये..इसके लिए लिखित मांग पत्र भी दिया गया. साथ ही बिजय की हत्या के लिए में० त्रिवेणी एन्जिकांस प्राइवेट लिमिटेडको जिमेदार ठहराते हुए..१५ लाख रूपया मुवाजा का मांग किये..ग्रामीणों ऩे नारा दिया..सरकार की मनमानी नहीं चलेगी..हम किसी कीमत में अपना जमीन डूबने नहीं देंगे..

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