Saturday, January 22, 2011

अगर हो सके तो कोई सम्मा जलाइये

आइये हम मिलकर गीत गाएं

अगर हो सके तो
कोई सम्मा जलाइये
इस दौरे सियासत का अँधेरा मिटाए
जुम्मों- सितम्म का आग लगा है
यंहा -वंहा
पानी से नहीं - आग से
बुझाइये
क्यों कर रहे हैं-- आंधियां रुकने
का इंतजार
आइये कन्धा से कन्धा
मिलाइये
नफरत फैला रहे हैं जो मजहब में
सता के भूखे लोगों से
मजहब बचाइये
कुर्सी के भूखे लोगों से
मजहब बचाइये



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