Saturday, January 8, 2011

७ जनवरी ११ को जबड़ा डैम के बिरोध में घोर्पेंडा गाँव में बैठक करते gramin


Triveni Engicons pvt।ltd द्वारा कर्रा ब्लाक के छाता नदी में डैम बना शुरू कर दिया है। ग्रामीणों का सिकायत है की इसके लिए ग्रामीणों से किसी तरह से राय-मशबिरा नहीं लिया गया। एक तरफ सरकार कानून बनती है...गाँव में कोई भी परियोजना गाँव वालों के सहमती के बिना नहीं बन सकता है। गाँव वालों के सहमती के बाद ही..योजना को जमीन पर उतरा जायेगा। कानून में यह भी कहा गया है..की किसी भी परियोजना को यदि गाँव वालों की मंजूरी मिल जाती है..तब किसानो का जमीन तभी लिया जायगा..जब किसानों के जमीन का कीमत दिया गया हो..यह भुगतान कर दिया हो। लेकिन साकार अपने ही बनाये कानून को ख़ारिज कर किसानों के अधिकारों का हनन करने में तुला हुआ है। ना तो जमीन लेने से पहले किसानों से सहमती ले रही है..और ना ही जमीन का कीमत पहले दिया जा रहा है, और ना ही किसानों को जमीन का क्या कीमत दिया जायेगा..यह भी तय नहीं हो रहा है, यह भी तय नहीं हो रहा है..की जमीन का मुवावजा दिया जायगा यह नहीं..डैम किस उद्देश्य से बनाया जा रहा है..पानी किसको दिया जायेगा..कुछ भी ग्रामीणों को बताया नहीं जा रहा है..सिर्फ जो दलाली कर रहे हैं..वही किसानों को बोल रहे हैं..आप को नौकरी मिलेगा, मुवावजा मिलेगा, आप के खेत को पानी मिलेगा। किसान जमीन देना नहीं चाहते हैं ..लेकिन ठेकेदार और दलाल ग्रामीणों को जान से मरने की धमकी दे रहे हैं। ज्ञात हो की डैम को लेकर १३ दिसंबर को दो लोगों का उपहरण किया गया था, जिसमे एक ठेकेदार का आदमी था, दूसरा गाँव का। जो गाँव का था..उसका हत्या कर दिया गया..और ठेकेदार का आदमी को छोड़ दिया गया। डैम से प्रभावित होने वाले गांवों में..जबड़ा, जोंधने, घोर्पिंडा, तिकीसुलुंगी आदि है। भय को तोड़ते हुए, ग्रामीण डैम नहीं बनाने देने की खिलाफ संघर्ष के लिए उठ खड़े हो गए हैं। ग्रामीणों का कहना है..यदि हम डैम..नहीं बनाने देते हैं..फिर भी जान से लोग मरने की धमकी दे रहे हैं..और जमीन दे भी रहे हैं..तो हम लोग इसे ही बर्बाद हो रहे हैं..इसलिए ..अच्छा है की हम जमीन, गाँव, समाज की रक्षा के लड़ाई लड़कर मारें..

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