VOICE OF HULGULANLAND AGAINST GLOBLISATION AND COMMUNAL FACISM. OUR LAND SLOGAN BIRBURU OTE HASAA GARA BEAA ABUA ABUA. LAND'FORESTAND WATER IS OURS.
Monday, December 20, 2010
समाज के सामुदायिक सम्पति पर पूंजीपतियों का कब्ज़ा- खूंटी जिला कर्रा ब्लोक-
जहां पूंजी का प्रवेश होगा, समाज की समूहिकता स्वतः समाप्त होगा। वहां व्यक्तिवाद हावी होगा। पैसा अपना काम करेगा। पैसा एक दूसरे को लडाएगा। खून होगा। पूंजी-पैसा का खेल ऐसा ही होता है। कर्रा प्रखंड में अब इसका खेल शुरू हो चुका है। बिजय धान के अपहरण के बाद हत्या, और इसमें ठेकेदार के सुपरवाईजर आर पी सिंह के बयान पर कर्रा थाना में दर्ज आरोपित महादेव मुंडा एंव उनके सहयोगियों , धारा....364, 323, 279, 34 आई पी सी इसका उदाहरण है। इस खेल में कानून, प्रशासन , नेता, मंत्री, दलाल, अधिकारी सभी अपने क्षमतानुसार हर अवसर का लाभ उठाना चाहेगें। इसमें आम जनता पर चैतरफा दमन बढेंगा। यह खेल भोले-भाले ग्रामीणों के समझ के परे होगा। यदि Triveni Engicons pvt.ltd द्वारा कांटी डैम के बनाने की प्रक्रिया पर बारिक से नजर डाला जाए तो उपरोक्त बात साफ हो जाती है। अचानक 10 दिसंबर को भूमिं पूजन होता है डैम का काम शुरू करने के लिए। 11 दिसंबर से ठेकेदार गांव गाड़ी घुसाता है। 12 दिसंबर से डैम बांघना शुरू कर दिया। 13 दिसंबर की sham 7-8 बजे एक ही जगह से एक साथ बिजय धान जबड़ा और बिंधयालय गुप्ता.-ठेकेदार का आदमी का अपहरण होता है। पुलिस के अनुसार उनकी दो टीम अलग अलग रास्ते से उसे खोजने निकलती है। एक टीम जब नदी के पास पहुंचती है-तो सामने से किसी आदमी को आता देख पुलिस उसे रोकती है। पता चलता है-यह विंधयालय गुप्ता है जिससे अपहरण किया गया था। पुलिस पूछती हैं-कौन लोग थे वे, कहां ले कर गये थे? और एक कहां है, उसको किधर ले गये? बिंधयाचल जबाव देता है-नहीं जानते हैं। 14 दिसंबर को एस पी गांव जाते हैं। अरोपियों का सुराग खोजने के लिए जबड़ा गांव के ही लोधा धान 45 तथा जगतु धान 38 को पुलिस उठा कर कर्रा थाना लाती है। पुलिस मैनुवल कहता है-किसी भी निर्दोष को किसी भी केस में पुलिस पूछ-ताछ के लिए ले जाती हैं, उसे 24 घंटे के भीतर प्रक्रिया पूरा करके छोड़ देना है। लेकिन पुलिस ने इन दोनो निर्दोष लोगों को 19 दिसंबर तक थाना में रखा। यहां यह सवाल उठता है कि बिंधयाचल गुप्ता जो ठेकेदार का आदमी है-जिसको छोड़ दिया गया, को पुलिस कास्टडी में रख कर पूछ-ताछ करती, कडा+ई से पुलिस पेश आती तो सायद पुलिस को जो मिला है, उससे और भी कुछ मिलता। साथ ही पुलिस कारवाई पर लोगों का भरोसा बढ़ता। लेकिन पुलिस आज बिंधयाचल कहां है..यह बताने में भी असमार्थ है। यह भी बता नहीं पा रही है वह मध्यप्रदेश का है या विहार का? जहां तक केस करने का सवाल है-ग्रामीणों को ठेकेदार पर यह कंपनी पर करवाना चाहिए था। क्योंकि बिजय उनके लिए काम करता था, और ठेकेदार के आदमी के साथ ही अपहरण हुआ था।
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