Monday, December 20, 2010

खूंटी जिला कर्रा ब्लाक -जनता के सामुदायिक अधिकार ---छठा नदी पर पूंजीपतियों का कब्ज़ा शुरू





नदी किसी एक गाँव का नहीं- पुरे समाज का सामुदायिक सम्पति है
राज्य
की राजधानी से मात्र 60 किलो मीटर, जिला मुख्यालय खूंटी से लगभग 30 किलो मीटर दूर से कर्रा प्रखंड के सुलुंगी पंचायत का जबड़ा गांव। कर्रा प्रखंड मूख्यालय एवं कर्रा थाना से मात्र 5-6 किलो मीटर दूर है यह गांव। कई गांवों को सिंचते हुए छाता नदी घोरपेंडा और जबड़ा के बीच से बहते हुए तोरपा प्रखंड में कारो नदी के साथ जा कर मिलती है। जितने गांवों से हो कर गुजरती है-क्षेत्र के सभी गांवों के खेत-खलिहान, नदी-नाला, जंगल-पेड़ पौधों को जीवन दान करता है। जिन गांवों से होकर बहती है-उन गांवों के लोगों के नहाने , कपड़ा धोने, गाय-बैल, भैस, भेड़, बकरी, मछली मरने, साथ सभी जीव मंडल इस नदी का उपयोग करते हैं नदी किसी एक गांव का नहीं है। इस इलाके का समूहिक धरोहर है।
जबड़ा के उतर में जोने, पूरब में तिकी, पक्षिम में घोरपेंडा, दक्षिण में सुलुंगी गांव है। यह पूरा इलाका कृर्षि प्रधान है। जीविका का मूल साधन जल, जंगल,जमीन ही है। यह गर्भ की बात है कि खूंटी जिला ही एक ऐसा जिला है-जहां की सभी नदियां पूरी तरह से प्रदुषणमुक्त हैं। सभी नदियां सदियों से जिलावासियों के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, इतिहासिक जीवन में रचा बसा है।
अब इन नदियों के पानी पर कई पूंजी-पतियों का नजर पड़ना शुरू हो गया है। अब इलाके में उद्योग लगाने वाले पूंजिपतियों को पानी बेचा जाएगा। इस इलाके में आने वाले अमीर, बाबूओं के घरों में पानी जाएगा। इसकी तैयारी कई स्तर पर चल रही है। अब यह जमीन पर भी दिखने लगा है।
पूरे देश में आज पानी पर कब्जा जमाने के लिए पूंजीपतियों में भारी प्रतियोगिता चल रहा है। सभी पानी में पूंजी लगा कर भारी मुनाफा कामना चाहते हैं। अब नदियों का पानी, तलाव का पानी, कुंआ का पानी, नालों के पानी पर समुदाय का अधिकार था, उद्योग घराने छीनने की कोशिश में हैं।

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