Sunday, December 19, 2010

खूंटी जिला कर्रा ब्लाक जबड़ा गाँव-क्या इसं राज्य का कोई भविष्य है?



खूंटी जिला के कर्रा प्रखंड के सुलंगी पंचायत के जबड़ा गांव के पास छाता नदी में 65 करोड़ का डैम कौन बना रहा हैए किस विभाग से बन रहा हैए किसके द्वारा बनाया जा रहा है। इसकी जानकारी न तो खूंटी उपायुक्त श्री राकेश कुमारजी को है, ना तो पुलिस अधिक्षक कार्यालय को है, ना तो जिला के एस डी ओ को, ना तो जिला के एडिशनल कलेक्टर को है। 10 दिसंबर 2010 को Triveni Engicons pvt.ltd ने भूंमि पूजन के साथ डैम का शिलान्यास किया। 11 दिसंबर से डैम बनाने के लिए गांव में मशीन लायी गयी। 12 दिसंबर से डैम बनना शुरू हो गया। वहां काम को देखने के लिए ठेकेदार का आदमी विंधयाचल गुप्ता के साथ गांव का युवक बिजय धान को मेंट में रखा था। 13 दिसंबर को शाम करीब साढे सात बजे विजय धान और विंधयाचल का अपहारण हुआ। विंधयाचल को थोड़ी देर बाद छोड़ दिया गयाए जबकि बिजय धान लापता रहे। 16 दिसबंर को विजय का लाश घोरपेंडा के पास कुंआ में मिला। अधिकारीयों के अनुसार डैम बनने की जानकारी तब हुई, जब इन दोनों युवकों का अपहरण हुआ। इस घटना के बाद 17 दिंसबर को कर्रा थाना के बड़ा बाबू श्री प्रदीप कुमारए एंव 18 दिसंबर को खूंटी जिला मुख्यालय के अधिकारियों ने भी कहा कि डैम योजना के संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं हैं।

अपहारण की घटना के बाद 14 दिसंबर को एस पी गांव जाते हैं। अरोपियों का सुराग खोजने के लिए जबड़ा गांव के ही लोधा धान तथा जगतु धान को पुलिस उठा कर कर्रा थाना लाती है। पुलिस मैनुवल कहता है.किसी भी निर्दोष को किसी भी केस में पुलिस पूछ.ताछ के लिए ले जाती हैंए उसे 24 घंटे के भीतर प्रक्रिया पूरा करके छोड़ देना है। लेकिन पुलिस ने इन दोनो निर्दोष लोगों को 19 दिसंबर तक थाना में रखा।

बिजय की हत्या के बाद गांव में भय का आतंक है। पहले ग्रामीणों को भय दिया गया कि यह जमीन सरकार की है.तुम लोग देना चाहो या नहींए जमीन तो सरकार लेगी ही। ग्रामीण भयभीत हैं.सवाल करते है.जमीन कैसे हमारी नहीं हैं। दलालों ने भय पैदा कर दिया है.यदि तुम लोग जमीन का पैसा लेना है तो लोए नही तो, जमीन सरकार लेगी ही। तुम लोगों को पैसा भी नहीं मिलेगा। अब ग्रामीणों को भय है कि यदि जमीन नहीं देगेंए और दलालों का विरोध करेगें तो .इसका परिणाम क्या होगा। ग्रामीणों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं.दो निर्दोषों को पुलिस उठा कर ले गयी.क्या हमारे साथ भी एैसा ही होगा। ग्रामीण कहते हैं.हम लोग नहीं चाहते हैं यहां डैम बने। हमलोग अपना जमीन नहीं देना चाहते हैं.लेकिन हमें दबाया जा रहा है। भयभीत ग्रामीण कहते हैं.अभी आप लोगों से हम लोग बात कर रहे हैं.क्या पता बाद में हमारे साथ क्या होगा।
17 दिसंबर को कर्रा थाना से इंस्पेक्टर गांव पहुंचे थे। ग्रामीणों ने बिजय के परिवार वालों के लिए मुआवजा की राशी की मांग रखी। मृतक के दो बच्चे हैं। लोगों ने दोनों बच्चों के लिए 20.-20 हजार रूपया मुआवजा के रूप में ठेकेदार से दिलवाने की बात इंस्पेक्टर से किये। लेकिन यह भी लिखित में नहीं है। ग्रामीण कहते हैं.हम लोगों को डैम के बार कुछ भी जानकारी नहीं है। डैम की उंचाई कितना होगाए कितना जमीन चाहिएए डैम का लंम्बाई कितना होगाए डैम में जलस्तर कितना फैलेगाए कितना फीट पानी जमा होगा। डैम किस लिए बनेगा, कौन बनवा रहा हैए। जमीन का कीमत किस दर से किसानों को दिया जाएगा। मुआवजा क्या मिलेगा या नहीं मिलेगा। नौकरी मिलेगा या नहीं क्या कहा गया है। इस संबंध में ग्रामीण .कुछ भी नहीं बता नहीं पा रहे हैं।

18 दिसंबर को इस योजना की सच्चाई को जानने के लिए खूंटी जिलामुख्यालय जाकर उपायुक्त श्री राकेश कुमार जी से मिले। उपायुक्त महोदय ने बताये.मुझे इसके संबंध में किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी गयी है। डैम बन रहा है वो भी पता नहीं है। हां.दोनों का अपहारण हुआ इसके बाद ये बात सामने आयी। लेकिन अभी तक इसके संबंध में हमे कोई जानकारी नहीं दी गयी है। कोई भी बडी योजना क्षेत्र में लाया जाता है इसकी जानकारी तो उपायुक्त को देना चाहिए.इस पर उपायुक्त ने कहा, देना तो चाहिए.लेकिन दिया ही नहीं। जिला में योजनाओं के लिए जमीन कहां कितना देना हैए किसको देना है.इसकी जिम्मेवारी एडिशनल क्लेक्टर की होती है। जब एडिशनल क्लेक्टर श्री एडमन केरकेटाजी से इस संबंध में पूछने पर, पलट सवाल करते हुए इन्होंने पूछा .कहां डैम बन रहा हैए हमलोगों को कोई जानकारी नहीं है। एस डी ओ श्री परमेश्वर भगतजी से भी इस संबंध में जानकारी लेने की कोशिशि की। इन्होंने भी अनभिग्यता जाहिर करते हुए बोले।कौन बना रहा है,किसके द्वारा बनाया जा रहा है.कोई जानकारी नहीं है।

इस संबंध में जब ग्रामीणों से बाते हो रही थी.तो लोगों ने कहा।हमलोग नहीं जानते हैं। तब लोगों ने उस लड़के को बुला लाया.जो कंपनी वालों के साथ रहता है। लड़का ने अपना नाम बिमला प्रधान एवं पिता का नाम स्व जगरनाथ प्रधान बताया। इनसे पुछा गया।डैम का डी पी आर है आप के पास? बोला.क्या होता है नहीं जानते हैं। साथ ही डैम संबंधित उपरोक्त सभी सवला उनसे पुछा गया.जबाव नहीं दे सका। किस दर से जमीन का कीमत मिलेगा.पूछने पर एक कागज आगे बढ़ाया जो पत्रांक ११५, श्रीमती शिला रपाज किस्कू, आयुक्त दक्षिण छोटानागपुर प्रमंडल रांची सवार १०-३-०५ को गुमला, रांची, और लोहरदगा के उपायुक्तों को जमीन संबधी लिखा गया है को दिखाया. नौकरी मिलेगा -पूछने पर .बोला हां नौकरी और पैसा दोनों देगें बोला है। ग्रामीणा बार बार बोल रहे थे.हम लोग जमीन नहीं देना चाहते हैं, लेकिन यही लोग बोल रहे हैं कि तुम लोग नहीं भी देना चाहोगे फिर भी सरकार जमीन तो लेगी ही।

लोगों को यह भी भय दिया जा रहा है कि तुम लोग डैम का विरोध करोगे.तो तुमलोगों का नाम पेपर में छपेगाए इसके बाद क्या होगा तुम लोग समझ लो। बात बात में ग्रामीण डैम को लेकर असंतुष्ट दिख रहे थे। बिमला प्रधान बोल रहा था.यहां का 75 प्रतिशत लोग डैम बनाना चाहते हैंए केवल 10 प्रतिसह्त लोग नहीं चाहते हैं.इसलिए मैं भी 75 प्रतिशत की ओर हो गया। सफाई दिया ग्राम सभा करके तय किया गया है कि डैम बने। लेकिन ग्राम सभा का कागज दिखाने की बात कही गयी .तो बोला लिखा.पढ़ी तो नहीं हुआ है। ग्रामीणों ने कहा कोई ग्राम सभा नहीं हुआ है।

राज्य के लिए दुखद बात यह है कि .जिला में होने वाले तमाम गतिविधियोंए योजनाओं के साथ अन्य जिम्मेवारियों के प्रति जिला उपायुक्त एवं जिला पुलिस अधिक्षक उत्तरदायी होते हैं। कोई भी बड़ी योजना इनके जानकारी के बिना जमीन पर नहीं उतारा जा सकता है। लेकिन इस राज्य में कुछ भी हो सकता है। इसका जीवंत उदाहरण जबड़ा की घटना है। इस तरह की घटनाओं को अगर पूरी संजिदगी से समझने की कोशिश नहीं की जाएगीए ऐसे घटनाओं को रोकने की कोशिश इमानदारी से नहीं कि जाएगी तब गांव गांव में पूंजी के खेल का दमन चलेगा।

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