Wednesday, December 29, 2010

२०१० बार बार आये -इस निर्मल ह्रदय का प्यार जिंदगी में हर पल मिलतारहे..


इस निर्मल ह्रदय का प्यार जिंदगी में हर पल मिलतारहे.......यह तश्बिर २३ दिसंबर की है..जबड़ा गाँव में डैम कोलेकर ग्रामीणों के साथ बैठक हो रहा था..तभी येनन्ही..बच्ची आती है..और.... .
२०१० बार बार आता रहे. कई ऐसे समय आये...जिंदगी की सच्ची अनुभूति दे कर गए. जिसे जिंदगी को नई उर्जा मिलती है. फ़रवरी को insaf की मीटिंग बोम्बे के पहाड़ गाँव में राखी गयी थी, निलीमा और मै सुबह ट्रेन से उतर कर एक टेक्शी लेकर स्टेशन से निकले. घंटे का रास्ता तय कर मीटिंग सेण्टर पहुंचे. साथी गेट में इंतजार कर रहे थे. गाड़ी ड्राईवर को ६०० दिए, एक नोट ५०० का, एक नोट १०० का. पलक झपकते ५०० का नोट एक तरफ कर लिए..१०० का नोट दिखाते बोला...और ५००, ६०० बोला था..लेकिन बाद में वह मान गया की वह ६०० ले चूका है. कपडा का बेग उतारे. लैपटॉप का बेग गाड़ी में ही रह गया..साथियों से बात करते उतरना भूल गए..एक दुकान में चाय की चुस्की लेते एक घंटा निकल यागा. जब बेग लेकर रूम में जाने लगे...लैपटॉप बेग..गाएब..काटो तो खून नहीं...रोवो तो अंशु नहीं...सभी साथी..शांत...विल्लीजी , इरफान टेक्शी यूनियन से बात करने की सोच रहे थे. साउथ की महिलाओं के साथ हम लोग रूम में सभी शांत थे.मै शोच रही थी..लैपटॉप मेरी अमानत नहीं है..आम जनता का है..मैंने एक भी अपनी..निजी तश्बिर तक इसमें नहीं डाली..सभी जनता की तश्बिर है..एक एक फैल, रिपोर्ट, आन्दोलन, सभा, मीटिंग..की बातें मान में तैर रहा था..लैपटॉप मेरा काम को आगे बढ़ाने के लिए २००७ में जब अमेरिका गयी थी, तब प्रिया और उनके साथियों ने भेंट किया है. चलो...यदि मैंने लोगों के लिए ईमानदारी से काम किया है..तो वापस मिल सकता है..उस टेक्शी वाले का मन वापस आएगा...करीब दो घंटे के बाद..वह वापस आया..किसी को बिस्वाश नहीं हो रहा था...उनको..सिर्फ भाडा दिये..मै कुछ नहीं दे सकी...उन्हों ने सब कुछ देदिया..8 माई को हिमाचल केनौर से लौटे समय मंडी बस स्टेशन में हम लोग रुके. यंहा से रामेश को बस पकड़ना था..अपना गाँव जाने के लिए.हमारी गाड़ी..बाज़ार में रुकी..रोड में. गाड़ी रुकते ही.रामेश बस का पता करने गया. जीतेन्दर और मै बातरूम खोजने निकले. bathroom से निपट कर करीब २० मिनट में लौटे..गाड़ी में ड्राईवर पवन अभी भी बैठा था. मै गाड़ी के पास कर खड़ी थी..लेकिन मुझे पता नहीं था..की मेरा विडियो और स्टील केमरा दोनों गाड़ी के नीचे गिरा हुआ है..सामने एक लड़का सब्जी दुकान में बैठा सब्जी बेच रहा था..उसने हम को बोला..आप का सामान गिरा हुआ है...मै उस इमानदार ...को एकटक देखते रही..
साल के जड़ो जेहाद के बाद खूंटी जिला के तोरपा, कर्रा और रनिया ब्लोक, एवं गुमला जिला के कामडारा ब्लोक के करीब ४० गाँव को विस्थापित होने से आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्ष मंच ने रोक सका..फ़रवरी-मार्च माह में मित्तल कम्पनी ने कहा...जमीन अधिग्रहण के खिलाफ सशक्त आन्दोलन के करना वंहा जमीन लेना संभव नहीं है..इसलिए दूसरा जगह देख रहे हैं...जल, जंगल, जमीन, नदी, पहाड़, खेती-बरी, समाज, भाष-संस्कृति--बचाने की लड़ाई...सचाई की लड़ाई..ने जीत हाशिल किया.. दिसंबर को Hindustan Times में छपा-- साल से खूंटी और गुलमा जिला के कम्द्दारा, तोरपा,कर्रा ब्लोक में मित्तल कम्पनी और इस्पात इंडस्ट्री स्टील प्लांट एक इंच भी जमीन नहीं ले सका..साथ ही पानी के लिए छटा नदी और करो नदी में बांध/ डैम बनाने की योजना थी..इसे और कई गाँव उलड़ने वाले थे..
सुखद अनुभव रहा आन्दोलन जितने के बाद युवाओं के विकास के लिए कुल्डा में सेंटर का शुरवात किये..जंहा बच्चे कंप्यूटर सीखते हैं, झारखण्ड का इतिहास बोध कराया जाता है.
hightec की दुनिया को पूरी तरह समझ नहीं पायी हूँ..इस दुनिया में सब कोई हैं..कौन सही है- कौन गलत है..यह मेरे समझ के परे है..मेरे मेल में फेसबुक मित्र के लिए हजरों लोगों का अनुरोध था..मै देखती थी..समझ में नहीं आता था..इसका क्या करना है. १८ सितम्बर को मै फिलिपिन्स से लौटते समय इंसाफ ऑफिस में राकेश भरद्वाज से मिले..इसके पहले भी बार बार बोल रहे थे..मै आप को request भेजा हूँ ..आप स्वीकार नहीं कर रहे हैं...मैंने हँसते हुए अपने स्तिति बता दी..तब इन्होने इसी समय फेसबुक में इंट्री करने सिखलाये. इस दुनिया में कई नए मित्रों से मुलातक हुई-जो हमारी लड़ाई में अपनी सभागिता दर्शाए..ऐसे सभी साथी dhanyabad.के पत्र हैं. कुछ लोग अच्छे दोस्त होने का नकाब पहन कर दोस्ती का हाथ बढ़ाये..इन लोगों से भी बहुत कुछ समझने-सिखने का मौका मिला....इसे साथियों को भी धन्यवाद देती हूँ..लेकिन ..मै जानती हूँ...सचाई की हमेशा जीत होती है..यही मेरी जिंदगी दी पूंजी है.
मेरे जानकारी में पहली बार मलेरिया से एक माह सोये रही-पूरा नोबेम्बर. पहले से १५ नोबेम्बर बिरसा जयंती मानाने का निर्णय सगठन ले रखा था. युवकों के आत्म मनोबल बढ़ाने के लिए लड़कियों का फुटबाल और लड़कों का होकी टूर्नामेंट रखा गया था..फुटबाल में टीम इंट्री किया. होकी में १८ टीम..१३ नोव. से दोनों टूर्नामेंट शुरू किया गया. १५ नोव. को सास्कृतिक करायाकर्म किये-जिसमे तीरंदाजी-महिला-पुरुष दोनों का, बच्चों का..बिरसा का नाटक..दिन भर चलते रहा...१७ नोव. को होकी फ़ाइनल खेलाये..मलेरिया ने mujhko बहुत कुछ देकर गया. सोये सोये मान उब जाता..लैपटॉप ले कर बैठ जाती थी..ब्लॉग अपडेट करने ठीक से नहीं आता था..फेसबुक में मेसेज भी डाल नहीं पाती थी...बीमारी के समय ही यह भी सिख ली..फेसबुक में ११ दिसंबर को साथियों ने जन्मदिन की बधाई भेजे..मै पसोपेस में थी..इसलिए की..मेरा जन्मदिन कब है..मेरे माँ-पिताजी को भी नहीं पता..तब..मै ने एक जीवन यात्रा ..मेरी उम्र की हकीकत क्या है...लिखना शुरू की..आज मै ५५ पेज में हूँ..
हैटेक की दुनिया को समझाने में विल्लीजी, रमेश, अनिल दा, प्रिया रंजन, मौशुमी बासु, अलोका अदि साथियों का प्यार भरा सहयोग मिला है..औरमिलते भी रहेगा..
अभी कर्रा ब्लोक में Triveni Engicons pvt.ltd ने चोरी छिपे बांध बनाना शुरू किया है..स्थानीय लोगों को iski कोई जानकारी नहीं है.. ग्रामीण जमीन देना नहीं चाहते हैं, बांध बनाना नहीं चाहते हैं..लेकिन इन्हें डराया-धमकाया जा रहा है..यह जमीन सरकार की है..गाँव वालों का नहीं है..तुम लोग जमीन नहीं भी देना चाहो.. लेकिन सरकार तो जमीन लेगी ही..एक की हत्या भी हो गयी...लोग आतंकित हैं..क्या होगा..लेकिन अपने गाँव-खेत-बरी, समाज बचाने के लिए..लोगों में लड़ने की जज्बा भी है -ग्रामीण नारा दिये हैं--जान देंगे पर जमीन नहीं. लगातार इसको लेकर बैठक चल रही है..स्तिति गंभीर है..यह सवेदनशील इलाका है..नया साल कंहा मनाया जाय..इस पर नेल्सन से बात हो रही थी..मै बोली - अब जंहा थोडा भी टेंसन होता है..जाने का मन नहीं करता है..नेल्सन हँसते हुए...जंहा टेंसन रहता है- वंही तुम जाती हो..रोज मौत के मुंह में घुसने जाती हो...और कहती हो..टेंसन..होता है..वंहा नहीं जाने का मन करता है........दोनों खूब हँसे....