Friday, March 2, 2012

विषय- कांके नगड़ी के ग्राम सभा से बिना सहमती लिये ही, किसानों की कृर्षि भूंमि, जो इनका एक मात्र जीविका का साधन है-को सरकार आई आई एम और law कालेज के न

महामहिम राज्यपाल महोदय दिनांक-2 मार्च 2012
झारखंड
विषय- कांके नगड़ी के ग्राम सभा से बिना सहमती लिये ही, किसानों की कृर्षि भूंमि, जो इनका एक मात्र जीविका का साधन है-को सरकार आई आई एम और law कालेज के नाम पर जबरन पुलिस बल के द्वारा जमीन कब्जा कर रही है-इसको रोकने के संबंध में।
mahashay

इतिहास गवाह है कि इस राज्य की धरती को हमारे पूर्वजों ने सांप, भालू, सिंह-बिच्छु से लड़कर आबाद किया है। इसलिए यहां के जंगल, पानी, जमीन पर हमारा परंपारिक अधिकार है। इस राज्य के जंगल-जमीन की रक्षा के लिए सिद्वू-कान्हू, बिरसा मुंडा जैसे वीर आदिवासी नायकों ने shहादत दी है। इन shahidon के खून का कीमत है छोटानागपुर kastkari अधिनियम 1908। इस कानून में आदिवासियों के जमीन की रक्षा का विषेsh प्रावधान है। यह कानून कृर्षि भूंमि में किसी तरह के गैर कृर्षि निर्माण कार्य को भी इजाजत नहीं देता है। लेकिन राज्य सरकार नगड़ी ग्रामवासियों के हाथ से पुलिस के बल पर जमीन छीन कर किसानों-राईयतों भूंमिहीन, गरीब-कंगाल बनाने जा रही है।
महामहिम का ध्यान इस ओर अक्रिष्ट करना चाहते हैं-कि राज्य पांचवी अनुसूचि क्षेत्र में आता है और इस इलाके में पेसा कानून भी अस्तित्व में है। इस कानून के आलोक में कहना चाहते हैं-कि इस इलाके में जो भी विकास योजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में लागू की जाएगी-इसकी इजाज ग्राम सभा से ली जाएगी। लेकिन सरकार आई आई एम और law kolege के नाम पर जमीन ग्रामीण देना चाहते हैं-यह नहीं, इस संबंध में ग्राम सभा से किसी तरह का राय-विचार-bimarsh नहीं लिया गया। यह पांचवी अनूसूचि को दिये अधिकार ’’ग्राम सभा ’’ सहित पेसा कानून का घोर उल्लंघन है। यह हम आदिवासी मूलवासी किसानों के उपर राज्यकीय दमन है।
हम नगड़ी ग्रामवासी आप को यह भी बताना चाहते हैं-कि 57-58 में बिरसा कृर्षिवि’वविद्यालय के लिए जमीन अधिग्रहण की बात सरकार कहती है-लेकिन तब भी हम ग्रामीण जमीन अधिग्रहण का विरोध किये-हम अपने पूर्वजों का जमीन नहीं देना चाहते हैं, यही कारण है कि-जमीन का पैसा सरकार देना चाही-तब भी हमलोगों ने पैसा नहीं लिया। (सलंग्न-29 फरवरी 2012-जिला भू-अर्जन पदाधिकारी रांची)।
हम नगड़ीवासी महामहिम को यह भी बताना चाहते हैं-कि नगड़ी आदिवासी बहुल गांव है। यहां (57-58) 153 पंचाटियां थीं, (वर्तमान में कई और परिवार बढ़ गये हैंं) यहां कुछ परिवार मु’िलम भी हैं। इन 153 पंचाटियों में से 128 राईतों (पंचाटियों) ने जमीन का पैसा लेने से इन्कार किया, क्योंकि हम किसी भी कीमत में अपना जमीन देना नहीं चाहते हैं। जो mushlim समुदाय के हैं वे पैसा लिये।
हम आप को यह भी कहना चाहते हैं-कि हम आदिवासी समाज का जीविका, अस्तित्व, भाषा-संस्कृति, इतिहास और पहचान जमीन-जंगल के साथ जुड़ा हुआ है। हम तब तक आदिवासी हैं-जबतक जमीन के साथ जुड़े हुए हैं। और इस पांचवी अनुसूचि एवं सीएनटी एक्ट क्षेत्र में हमारे अधिकारों की रक्षा एवं विकसीत करने की जिम्मेवारी राज्य के महामहिम राज्यपाल की है।
हम महामहिम को यह भी बताना चाहते हैं कि-57-58 में सरकार द्वारा प्रयास किये गये जमीन अधिग्रहण का विरोध तब भी हम लोगों ने किया और जमीन हमारे पूर्वजों से लेकर आज भी हमारे ही हाथ में है। आज भी हम खेती कर रहे हैं और जमीन का मजगूजारी भी देते आ रहे हैं। लेकिन साजिsh के तहत कुछ लोगों का मजगूजारी रसीद 2008 से काटना बंद कर दिया। लेकिन कुछ लोगों का मलगुजारी 2011 तक भुगतान किया गया है।
यहां यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं-कि 57-58 में पूर्ववर्ती राज्य सरकार द्वारा राजेन्द्र कृर्षि biswabidyalay वर्तमान में बिरसा कृर्षि वि’वविद्यालय कांके के लिए जिस जमीन को मात्र चिन्हित किया गया था-का मालिकाना हक बिरसा कृर्षि वि’वविद्यालय कांके को है-सरकार यह मानती है। इसी आधार पर राज्य सरकार उक्त भूंमि का अपने विभिन्न योजनाओं में अलग-अलग उद्वे’य में उपयोग करना चाह रही है और इस बावत बिरसा बिरसा कृर्षि वि’वविद्यालय कांके पर उक्त भूंमि पर अनापति प्रमाण पत्र जारी करने का दबाव डाला गया। ज्ञातव्य हो कि बिरसा बिरसा कृर्षि वि’वविद्यालय और पथ निर्माण विभाग रांची के बीच प्र’ानगत भूंमि पर रिंग रोड निर्माण हेतु कई पत्राचार हुआ। इसमें जमीन का मलिकाना हक बिरसा बिरसा कृर्षि वि’वविद्यालय को नहीं है-क्योंकि जमीन का अधिग्रहण नहीं किया गया है-यह बात स्वंय अधीक्षण अभियंता पथ निर्माण विभाग, पथ अंचल रांची ने पत्रांक 1137 दिनांक 18.08.08 में स्पष्ट किया है। (छायाप्रति सलंग्न)।

हम आप को बताना चाहते हैं-कि जिस जमीन को 57-58 में बिरसा कृर्षि वि’वविद्यालय द्वारा अधिग्रहीत मानती है-वह बिरसा कृर्षि वि’वविद्यालय द्वारा अधिग्रहीत नहीं है। इसकी पुष्टी स्वंय बिरसा कृर्षि वि’वविद्यालय ने (6375) दिनांक 17-12-2008 में की गयी है।(छायाप्रति सलंग्न) सरकार जमीन अधिग्रहण के नाम पर-कागज पर फरजी अधिग्रहण कर रखा है-और इसी फरजी अधिग्रहण के आधार पर जिला भू-अर्जन विभाग ने आई आई एम हेतु कुल 214.29 एकड़ जमीन राज्यदेsh संख्या-658@ रा0 दिनांक 07.03.2009 से मानव संसाधन विकास, झारखंड को neshulk हस्तानान्तरण कर दिया है। साथ ही 12.635 एकड़ भूंमि रिंग रोड़ निर्माण के लिए पथ निर्माण विभाग को हस्तानान्तरण कर दिया गया।
सरकार हमारे अधिकारों का हनन करते हुए जब्रजस्ती 9 जनवरी 2012 को पुलिस बलों के सहयोग से हमारे जमीन पर कब्जा कर लिया और गलत तरीके से घेराबंदी का काम किया जा रहा है। हमारी यह जमीन उपजाउ कृर्षि भूमिं है। यहां साल में तीन फसल उगाते हैं। धान का फसल काटने के बाद हमलोगों ने वहां चना, गेंहूं आदि फसल भी बो दिये थे-जिसको पुलिस वालों ने रौंद डाला।
हम नगड़ीवासी आप से कहना चाहते हैं-हम विकास विरोधी नहीं हैं, लेकिन हम आदिवासी किसानों को उजाड़ कर नहीं। हम आई आई एम तथा लाॅ कालेज का विरोध नहीं कर रहे हैं-लेकिन हमारे कृर्षि भूंमि में नहीं।
हमारा संकल्प -हम अपने पूर्वजों की जमीन को एक इंच भी नहीं देगें, क्योंकि हमारे सामाजिक मूल्यों, भाषा-संस्कृति, सरना-ससनदीरी, मसना, इतिहास और पहचान को किसी भी मुआवजा से नहीं भरा जा सकता है, ना ही उसको पूनार्वासित किया जा सकता है।
हमारा सुझााव-
1-चिन्हित किया गया जमीन कांके नगड़ी के किसानों की उपजाउ कृर्षि भूंमि है और यह जीविका का एक मात्र साधन है। इस पर किसी भी तरह का इमारत -बिल्डिंग नहीं बनाना चाहिए
2-आई आई एम एवं लाॅ कालेज एक bishishst sikchhan संस्थान है, इसलिए यह ऐसी जगर पर बनायी जाए जो गांव से 30-35 किलो मीटर दूरी पर हो, ताकि sikchhan कार्यक्रम में किसी तरह का बाधा नहीं पहुंचे।
3-आई आई एम एवं लाॅ कालेज sanshthan संस्थान sahar -गांव की भीड़ भाड़ से दूर sant जगह में बनाया जाए
4-ऐसी जगह से संस्थान खड़ा किया जाए जो सरकारी जमीन हो, बंजर भूंमि और कृर्षि योग्य नहीं हो, सरकार ऐसी जगह चिन्हित करे
हमारी मांगें-
1-गा्रम सभा को दिये गये अधिकारों का सम्मान किया जाए तथा जिस जमीन को जबरन पुलिस बल द्वारा अधिग्रहण किया जा रहा है-उसे यथा shighar रोका जाए
2-छोटानागपुर का’तकारी अधिनियम 1908 के मूलधारा 46 में आदिवासियों को जो अधिकार दिये गये हैं-उसका सम्मान किया जाए।
3-हम आदिवासी-मूलवासी किसी भी कीमत में हमारी खेती की जमीन को आई आई एम एवं लाॅ कालेज के लिए नहीं देगें
4-आदिवासी-मूलवासियों का विस्थापन रोका जाए।
आप के biswast ग्रामीण
कांके -नगड़ी

No comments:

Post a Comment