Sunday, February 27, 2011

Mitha Jahar..Punarwas awam Punarasthapan niti 2007, 2008.Part-10

जिस जमीन को सरकारी जमीन घोषित किया गया है-वह जमीन पूरी तरह से गा्रमीणों द्वारा आबाद है। उस जमीन पर किसान खेती करते हैं। कई भूखंड ग्रामीणों का चरागह है। जमीनी हकिकत से दूर सरकार सिर्फ कंपनी की दलाली कर रही है। एक तरफ जिला prashasan गुमला जिला के गांवो के ग्राम सभा को sasakt करने के लिए हर माह के 16 तारीख को हर ग्राम सभों का बैठक करती है। दूसरी ओर उन्हीं ग्रामीणों के अधिकारों का सरकार दमन कर रही है। आर्सेलर मित्तल कंपनी के पास यदि कोई नौतिकता है, तो मानवता पर जो दमन हो रहा है, इस पर विचार करना चाहिए। यहां aisa ही हो रहा है-jaise एक rupiya है इसमें से 99 रूप्या 98 पैसा किसानों के अधिकार में है और इसमें से जबरजस्त 2 पैसा पर सरकार अपना अधिकार जमाना चाह रही है और इसी के जरिये इस इलाके के gramino को उजाड़ने के लिए कंपनी को क्षेत्र में घुसाने के लिए रास्ता तैयार कर रही हैं। जो अमानवीयता का हद हैं। जहां-तहां जिस जमीन को चिन्हित किया गया है-वह किसानों के घर-आंगन और खेतों के बीच है। तब यहां तकनीकी सवाल उठता है कि -किसान तो जमीन देगे ही नहीं-तब इस चिन्हिित सरकारी जमीन पर कंपनी कैसे प्लांट लगाएगी।

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