Thursday, March 19, 2020

आज जब पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग से त्रस्त है. तब पर्यावरण की रक्षा करने का ज्ञान आदिवासी जीवन शैली से सीखना चाहिए।

जंगल में महुवा चुनता युवक 
झारखण्ड राज्य का भौगोलिक छेत्रफल ७९,७१४ वर्ग किलो मीटर है. जिसमे कुल कृषि योग्य  भूमि २५. लाख हेक्टेयर है।  राज्य की आबादी को भोजन के लिए लगभग ४६.०० लाख मीट्रिक  टन खद्यान की आवस्यकता है।  वर्तमान में उत्पादन केवल २३. ००  लाख मीट्रिक टन है. राज्य में वन  छेत्र  23. ३२ लाख हेक्टेयर है. कृषि उपज के बाद राज की बड़ी आबादी वनोपज पर निर्भर है. वनोपज पैर ही ग्रामीण आबादी आर्थिक रूप से निर्भर करती है।  सालों भर दातुन, पत्ता , लकड़ी , झूरी , घर के लिए बाली , बाता ,  जगल से ही लेते हैं. हूटर फूल, जिल्हूर फूल, कोयनार सैग, रुगडा, खुखड़ी , हर तरह के नगदी फसल अधिक मात्रा में जंगल में मिलता है. नगदी फसल के तौर पर महुवा, चार, डोरी, कुंड, कुजरि बहुत मिलता है.
आदिवासी मूलवासी समुदाय का पूरी जीवन शैली पर्यावरण के साथ जुड़ा हुवा है. आदिवासी समाज प्रकृति से जितना लेता है, उससे अधिक प्रकृति को देता है. यही कारन है की जंहा जंहा आदिवासी समाज है। वंहा वंहा आज भी जंगल सुरक्छित है. आज जब पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग से त्रस्त है. तब पर्यावरण की रक्षा करने का ज्ञान आदिवासी जीवन शैली से सीखना चाहिए। 

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