Sunday, March 22, 2020

माँ मेरा जन्म कब हुआ था ,


माँ  मेरा जन्म कब हुआ था 
मुझे नहीं पता?
मैं कितने वर्ष की हो गयी हु?ं
मुझे नहीं पता
जींदगी की कितने बसंत देखी
मुझे नहीं पता
मैं अपने अनपढ़ पिता से
पुछती थी
बाबा मेरा जनम कब हुआ था?
बाबा कहता था-क्या पता
मैं भूल गया
अनपढ़ माॅ से पूछती माॅं मेरा
जनम दिन कब ह?ै
माॅ कहती थी तुम  अघन माहिना के पूर्निमा
की रात में जनमी हो
मैं पूछती थी-हाॅ माॅ
लेकिन कौन सा सन में जनमी हुं?
ये बताओगी
तब ना पता चलेगा कि 
मैं कितने साल की हो गयी हुॅ
माॅ कहती थी-मानो से, ना, 
उसे तुम, तीन महीना छोटी हो
और मंगरी है-जादुरा की बेटी
वो तुम से 15 दिन छोटी है
हाॅ माॅ-लेकिन कौन सा साल ?
था-वा?े
माॅ सिर पर हाथ फेरते,
चेहरे में हल्की सिकन के साथ
याद करने की कोषिष करती
है...
कहती है...हाॅ-ये  जो रेल लाईन है
वो बन कर पूरा हो गया था
जिस साल रेल गाड़ी 
इसमें चलना षुरू
हुआ-उसी साल तुम्हारा जनम हुआ है
चलो एक सुकून तो मिला
एक सुराग तो मिला कि
रांची-राउरकेला रेल मार्ग में
रेल सेवा-किस साल से
प्ररंभ किया गया
ष्षायद मेरी माॅ को
सही याद हो तो 
म्ेारी  सही उम्र का
मैं पता लगा सकती हूं
स्कूल में नामांकन के समय
मास्टर ने मेरी उम्र के 
पूछा या नहीं , क्या लिखा
ष्षायद किसी को नहीं 
नहीं पता,
तीन बड़े भाईयों
से छोटी एक बहन
मेरी जिज्ञासा थी
चलो-मेरा सबसे बड़ा भाई 
कब जनमा था-षायद ये तो
माॅ-पिता जी बता पाएगें
मैने माॅ-से पूछी 
बिजय दादा का जनम दिन
कब है?
माॅ-बतायी-तुम्हारा तीनों
बड़े भाईयों का जनम भी
अघन महिना में ही हुआ है
तीनों ष्षनिवार के दिन
ही जनमें हैं
हाॅ-माॅ, ये तो ठीक है
लेकिन कौन सा साल में
बिजय दादा पैदा हुआ था?
माॅ-बतायी
ये तुम्हारो अंदिरियास दादा है ना
बुधराम बड़ा बाबा का बेटा
तुम्हारा बिजय दादा और अंदिरियास
दोनों एक ही साल के हैं
बिजय और अंदिरियास 
15 दिन का छोटा-बड़ा 
हैं
माॅ -खजूर पता से पटिया 
बिन रही थी,
पतों को अंगुली से बिनते
हुए.....
तीनों भाई का उम्र
बताने की कोषिष की
तुम्हारा बड़ा भाई बिजय से
तुम्हारा डिब्रू दादा तीन साल
छोटा है
और तुम्हारा डिब्रू दादा से
तुम्हारा घटमा दादा
पांच साल छोटा है
तुम्हारा डिब्रू दादा खूब
मेरा दुध पिया है
कहे कि तुम्हारा घटमा दादा
पांच साल बाद हुआ है
इसिलिए 
तुम्हारा डिब्रू दादा खूब
मोटा-ताजा है
और तुम
तुम तो घटमा दादा से
तीन साल छोटी हो
चलो- ये सुकून है कि
 मेरे माॅ-पिता
अनपढ़ थें-लेकिन गणित
के जोड़-घटाव की 
अच्छी ज्ञान थी
जब किसी का जनम दिन
मनाते हैं कि लोग
तब सोचती हुं-मेरा 
जनम दिन मुझ को 
कब मनाना चाहिए
सही तारीख का पता नहीं
चलो नकली तारीख ही सही
जिस तारीख को
संत माग्रेट की षिक्षिका ने
मैट्रिक का पंजियन
भरने की तिथि समाप्त होते देख
मेरी अनुपस्थिति में
स्वयं  फारम भरी ताकि 
मैं बोर्ड़ परीक्षा लिखने से
बंचित ना हो जाउं
फारम भरने के लिए
पैसों की जरूरत थी
पैसा कहां से व्यवस्था किया जाए
मन में चिंता थी
थैंक्स गोड
मुझे-10वी क्लास में 
स्कोलरसिप मिला था-70 रूपया
इसे मैं बिजय दादा को दी थी
बोली थी-मेरे लिए बकरी खरीद दो
इन्होंने बकरी खरीद दी थी
जब स्कूल लंम्बी छुटी मिलती थी
मैं सीधे रांची से गुमला जिला
कमडारा प्रखंड-अरहरा गांव
मेरा घर पहुंच जाती 
ट्रेन से बकसपुर में उतर कर 
7 किली मीटर पैदल
घर पहुंचते ही
यदि अभी तब बकरी घर में ही
हैं 
तो मैं अपनी डीयूटी 
में बकरी के साथ 
कोटबो नदी की ओर चल देती
जब मैंट्रिक का फारम
भरने के लिए पैसे की चिंता
आयी-तब मन को यह
सुकून भी मिला कि-चलो
घर में अपना बकरी है
अभी तब एक से चार हो गये थे
बेचने लायक भी हो गये हैं
उसी को बेचा कर पैसा का
व्यावस्था किया जाए
मैं बकरी बेचने गांव आयी
लेकिन सप्ताहिक बाजार
लगने में अभी 5 दिन बाकी हैं
5 दिन के बाद ही बाजार 
में बकरी बेचा जा
सकता है-
उफ.................
फारम भरने के लिए....
हाथ में मात्र 6 दिन है
बकरी बेच कर रांची लौटना....भी
कोई बात नहीं.....
इंतजार ही एक रास्ता है
जब बकरी बेच कर
मैं झालसुगड़ा पषिंनजर ट्रेन से
रांची षाम को पहुंची
मेरे बगल में मेरे ही क्लास में
पढ़ रही मेरी रोज टोप्पो
स्कूल से लौट कर मेरे पास आयी
पूछी-इतना दिन तुम कहां थी
टीचर रोज तुम को खोज रहे हैं
तीन दिन से रोज मैं
तुम को खोजने आ रही हुं
दूसरे दिन....................
स्कूल की प्रिंसिपल
स्कूल का सामूहिक प्रर्थना
समाप्त होते ही
मुझे अपने कार्यालय में बुला भेजी
पूछी कहां थी तुम इतने दिनों से
जी.....
 गांव गयी थी-फारम भरने के लिए पैसा....
ठीक है.......
क्र्लाक ....मामू को बुलायी
अपने चेम्बर में
बोली...........तुम अभी तुरंत इसको
चर्च रोड़ के ड्रीम स्टूडियों
में ले जाओ
मैं स्टूडियो वाले को 
को बोल कर रखी हुं
इनका पास पोट फोटा
तत्काल में
खिंच देगा, तीन कोपी बना देगा
करीब एक घंटा....में फोटा
बना कर देगा-साथ लेते आना
फोटा लेकर स्कूल पहुंची
सीधे प्रिंसिपल के कमरे में
इन्होंने दो तीन जगह दो-तीन
कागजातों पर हस्तक्षर करवायी
फोटो ....मेरी क्लास टीचर
वहां मौजूद थी-ने चिपकायी
पिंसिपल महोदया ने
पियून को बुलवायी
निर्देष दी----
इस सभी फारम का बंडल 
अभी तुरंत बोर्ड आफिस पहुंचाना है
मैं अभी भी वहीं खड़ी हुं
देख रही हूं..........
पियुन निकलने के बाद
साहस बटारते...100 रूपया
मैं फारम का पैसा पिं्रसिपल की 
ओर बढ़ायी
पूछी क्या है.....
मैडम फारम का पैसा
भर नाजर देखते हुए
पिं्रसिपल बोली.........
तुम बढ़िया से तैयारी करो
पैसा नहीं लगेगा
पैसा मेरे हाथ में ही रह गये

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