सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट, मुंडारी खूंटी अधिकार को कड़ाई से लागू करो
(खूंटी-झारखंड)
हम सभी जानते हैं कि, झारखंड में जल, जंगल, जमीन को आबाद करने का आदिवासी-मूलवासी समुदाय का अपना गैरवशाली इतिहास है। आदिवासी समुदाय खतरनाक जंगली जानवरों से लड़ कर जंगल-झाड़ को साफ कर गाॅंव बसाया, जमीन आबाद किया है। आदिवासी-मूलवासी समुदाय जंगल, नदी, पहाडों की गोद में ही अपने इतिहास, भाषा-संास्कृति, पहचान के साथ विकसित होता है। प्रकृतिक-पर्यावरण जीवन मूल्य के साथ आदिवासी -मूलवासी समुदाय के ताना-बाना को संरक्षित और विकसित करने के लिए ही छोटानापुर काश्तकारी अधिनियम 1908, संताल परगना काश्तकारी अधिनियम 1949 बनाया गया है। साथ ही भारतीय संविधान में पेसा कानून 1996 एवं पांचवी अनुसूचि में आदिवासी समुदाय के जल, जंगल, जमीन पर इनके खूंटकटी अधिकार सहित अन्य परंपरागत अधिकारों का प्रावधान किया गया है।
सर्व विदित है कि आदिवासी समुदाय के जंगल, जमीन, सामाजिक-संस्कृतिक, आर्थिक आधार को संरक्षित एवं विकसित करने भारतीय संविधान में विशेष कानूनी प्रावधान किये गये हैं। सीएनटी, एसपीटी एक्ट, पेसा कानून में विशेष प्रावधान है कि गांव के सीमा के भीतर एवं बाहर जो प्रकृतिक संसाधन है जैसे गिटी, मिटी, बालू, झाड़-जंगल, जमीन, नदी-झरना, सभी गांव की सामुदायिक संपति है। इस पर क्षेत्र के ग्रामीणों का सामुदायिक अधिकार है। इस सामुदायिक अधिकार को सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट, पेसा कानून, कोल्हान क्षेत्र के लिए विलकिनसन रूल, मुंडारी खूुंटकटी अधिकार भी मिला हुआ है। ये सभी अधिकार आदिवासी समुदाय के लंबे संघर्ष और शहादत के बाद मिला है।
दूूसरी ओर देश के आदिवासी, किसान, मूलवासी, दलित, मजदूर वर्ग, मच्छुवारे, काश्तकार, प्रकृति के साथ जिनकी जिंदगी जुडी हुई है, को , केंन्द्र सरकार द्वारा अपनाया जा रहा सभी नये कानून- तीन नये कृषि कानून, झारखंड भूमि बैंक सह राष्ट्रीय भूमि बैंक, नये श्रमिक कानून, स्वामित्व योजना एवं प्रोपटी कार्ड, नई शिक्षा नीति, ये सभी कानून के लागू होने से देश एवं राज्य के आदिवासी, किसानों, मूलवासियों, काश्तकारों एवं मेहनतकश सामुदाय के परंपरारिक अधिकारों को खत्म कर देगी। ये सभी कानून सिर्फ देश-विदेश के बड़े-बड़े पूंजिपतियोें ,एवं कंपनियों को ही लाभ पहुंचाएगी। एैसे कानून के लागू होने से गांव उजड़ जाएगा, खेती की जमीन खत्म होते जाएगा, जलस्त्रोत, नदी-नाला, झरना सभी बरबाद हो जाएगा, जंगल-झाड़ विनाश हो जाएगा।
ग्रामीणों के सामुदायिक जमीन का मौद्रिकरण किया जाएगा, इससे ग्रामीण क्षेत्र के जमीन का व्यवसायीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा। इसे ग्रामीणों पर टैक्स का बोझ बढेगा। इन सभी नये कानूनों को लागू करने का केंन्द्र सरकार का एक मात्र उद्वेश्य है जमीन, जंगल सहित अन्य सभी संसाधनों के बाजारीकरण, खरीद-बिक्री को बढ़ावा देना है।
इस तरह से आदिवासी समाज का सुरक्षा कवच सीएनटी, एसपीटी एक्ट स्वतः टुटने लगेगा, पेसा कानून में मिला अधिकार खत्म हो जाएगा, मुंडारी खूंटकटी अधिकार खत्म हो जाएगा। इससे उत्पन्न परिस्थ्यिों से विस्थापन, पलायन, बेरोजगारी, भूख, भूमिहीन, अस्वस्थ्य, सूखा-आकाल एवं प्रदूषण जैसे महामारी का ही सामना करना पड़ेगा।
एैसे गंभीर चुनौती भरे समय में अपने पक्ष में जो संवैधानिक अधिकार और परंपारिक अधिकार हैं, जंगल, जमीन, नदी-नाला, झील-झरना, चुंआ-डोभा, खेत-खलिहान, झाड़-जंगल हैं, को बचाने की जरूरत है। गांव के सामुदायिक अधिकार को बचाना होगा। खतियान में दर्ज सामुदायिक अधिकार, वीलेज नोट में दर्ज अधिकार को बचाना होगा। खूंटकटी अधिकार को बचाना होगा।
हम सभी राज्य के शुभचितकों की जिम्मेदारी है कि इन सभी अधिकारों को बचाने के लिए आगे आना होगा। इसी उदेद्वय से 26 अक्टोबर दिन-मंगलवार को खूंटी में रैली एवं सभा का आयोजन करने का निर्णय लिया गया हैं। ताकि हम अपनी मांग राज्य सरकार एवं जिला के अधिकारियों तक पहुंचा सकें।
हमारी मांगें हैं-
1-केंन्द्र सरकार की नयी स्वामीत्व योजना /प्रोपटी कार्ड, को धरातल पर लागू नहीं किया जाए।
2-सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट, मुंडारी खूंटकटी एवं 5वीं अनुसूची में प्रावधान कानून को कड़ाई से लागू किया जाएं एवं आदिवासी-मूलवासी समुदाय के सामुदायिक अधिकारों को संरक्षित किया जाए।
3-तीनों नये कृषि कानून को रदद किया जाए
4-गैर मजरूआ आम, गैर मजरूआ खास जमीन, को भूमि बैंक में शामिल किया गया है को रदद किया जाए।
5-क्षेत्र के सभी जलस्त्रोतों, नदी-नाला का पानी लिफट ऐरिगेशन के तहत पाइप लाइन द्वारा किसानों के खेतों तक पहुंचाया जाए।
6-आॅनलाइन जमीन के दस्तावेजों का हो रहा छेड़-छाड़ एवं जमीन का हेरा-फेरी बंद किया जाए।
7-किसानों द्वारा लिया गया कृषि लोन माफ किया जाए।
नोट-
दिनांक 26 अक्टोबर 2021, दिन-मंगलवार
स्थान-खूंटी-साके बगीचा में 10 बजे जमा होगें, 12 बजे रैली-मेन रोड़ से होते हुए जदूर अखड़ा पहुंचकर सभी होगी।
आयोजक-आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच, मुंण्डारी खूंटकटी परिषद, आदिवासी एकता मंच। (संपर्क-दयामनी बरला-9431104386, तुरतन तोपना-7091128043, फूलचंद मुंडा, संदीप सांगा, सूचित सांगा, मंगरा मुंडा, बिरसा सांगा, बिरसा, मुंडा, निर्मल, पौलुस मुंडा, दयाल कोनगाड़ी, हातु तोपनो।
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